tag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post3134883174666460651..comments2023-09-03T14:39:48.650+05:30Comments on ब्लॉगर "रचना " का ब्लॉग " बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है ": पाश्चात्य सभ्यता अगर इतनी खुली हैं तो जनसँख्या हमारी क्यूँ ज्यादा हैं ?? जरुर बतायेरचनाhttp://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-19940083405672388632009-04-14T09:44:00.000+05:302009-04-14T09:44:00.000+05:30पाश्चात्य का खुलापन मानसकिता और बुद्धि से आता है, ...पाश्चात्य का खुलापन मानसकिता और बुद्धि से आता है, जो उनके व्यवहार में भी झलकता है. खुलेपन का मतलब अज्ञानता और लापरवाही नहीं है.-कौतुकhttp://paricharcha.wordpress.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-76855658238374507352009-04-14T11:22:00.000+05:302009-04-14T11:22:00.000+05:30किसी भी वस्तु को बाँध दोगे तो वह सड़ जाएगी. हमारे स...किसी भी वस्तु को बाँध दोगे तो वह सड़ जाएगी. हमारे साथ भी वही हो रहा है. वरना तो भारत में स्त्रियाँ कमर से उपर कपड़े नहीं पहनती थी और वह भारत का स्वर्णकाल था.संजय बेंगाणीhttp://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-43029392091141795022009-04-14T12:24:00.000+05:302009-04-14T12:24:00.000+05:30सोचनीय और विचारणीय प्रश्न...हथियार का उपयोग अगर खु...सोचनीय और विचारणीय प्रश्न...हथियार का उपयोग अगर खुद को घायल करने में करोगे तो भला हथियार का क्या दोष...<br>नीरजनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-50899905988433817492009-04-14T13:07:00.000+05:302009-04-14T13:07:00.000+05:30वहाँ खुला पन है, इस लिए नंगई दिख जाती है। यहाँ ढका...वहाँ खुला पन है, इस लिए नंगई दिख जाती है। यहाँ ढकापन है इस लिए नंगई ढकी रहती है। नंगई को तो पैमाने से ही नापा जा सकता है। वह आप ने सब के सामने रख ही दिया है।दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedihttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-56040690231294239522009-04-14T14:25:00.000+05:302009-04-14T14:25:00.000+05:30नंगेपन का बच्चे पैदा करने से कोई मेल नहीं है।शिक्ष...नंगेपन का बच्चे पैदा करने से कोई मेल नहीं है।<br><br>शिक्षा के अभाव में व्यक्ति को पता नहीं होता कि बच्चे कितने पैदा करने चाहियें, उनकी परवरिश कैसे हो, इत्यादि। रूढ़िवादियों को तो यह भी कहते सुना है "बच्चे तो भगवान की देन हैं, इन्हें कैसे रोकें?"। अब ऐसों का क्या करियेगा?<br><br>ले-देकर सब शिक्षा का ही खेल है। नग्नता तो पश्चिम का मज़ाक बनाने का ढकोसला-मात्र है।Anilhttp://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-57342459102115980302009-04-14T16:23:00.000+05:302009-04-14T16:23:00.000+05:30बच्चे पैदा करना खुलापन की श्रेणी में नहीं आता जो क...बच्चे पैदा करना खुलापन की श्रेणी में नहीं आता जो की पश्चिमी सभ्यता में है..<br><br>रही बात भारत कि पोपुलेशन ज्यादा क्यों है ? तो पश्चिम में सेक्स पर खुलकर बात होती है.. वहा पर शिक्षा में भी सेक्स एजुकेशन को शामिल किया जाता है.. परन्तु हमारे यहाँ इसका सर्वथा अभाव है.. भारत में सेक्स एजुकेशन लोग स्टेशनों पर मिलने वाले साहित्यों में पाते है.. वजह साफ़ है किसी ने अभी तक इनिशिएटिव नहीं लिया.. पर अब लिया जा सकता है.. कुछ पत्रिकाओ में जान बूझ कर सेक्स सम्बन्धी सवालों को मसालेदार बना कर लिखा जाता है.. इन पत्रिकाओ में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला स्तम्भ भी यही होता होगा.. <br><br>पश्चिमी देशो से तुलना किसी भी कीमत पर नहीं की जानी चाहिए.. आपकी पोस्ट भी कुछ वैसी ही है जहाँ तुलना हो रही है.. अच्छी या बुरी फर्क नहीं पड़ता..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-58797205884399818912009-04-14T17:21:09.364+05:302009-04-14T17:21:09.364+05:30फक्ट्स एंड फिगर्स को जब डाटा अनाल्य्सिस के लिये इस...फक्ट्स एंड फिगर्स को जब डाटा अनाल्य्सिस के लिये इस्तमाल किया जाए तो तुलना की शेदी मे नहीं आता । आप जिस तुलना की बात कर रहे उसका अर्थ हैं की दो चीजों की कमियाँ या खूबियाँ । on the contrary i am talking about census based data and our thinking process and fault finding in others where as the fault is in our own systemरचनाhttp://www.blogger.com/profile/09795080624079458936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-7754582001263046072009-04-14T17:59:00.000+05:302009-04-14T17:59:00.000+05:30कुश की बात में दम है .....खुलेपन को भी देखा जाए तो...कुश की बात में दम है .....खुलेपन को भी देखा जाए तो कई रूप हैंअनिल कान्त :http://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-52861638846214898112009-04-14T22:16:19.637+05:302009-04-14T22:16:19.637+05:30वैसे तो कुश ने आपके प्रश्न का एक तर्कसंगत उत्तर दे...वैसे तो कुश ने आपके प्रश्न का एक तर्कसंगत उत्तर दे ही दिया है, किन्तु फिर भी आपके विचारों को जानकर मैं टिप्पणी करने से अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूं...नैतिकता और शुचिता से जुड़े सवालों पर अगर क्रांतिकारिता हो तो गलत नहीं है। न ही सामाजिक दोषों, बुराइयों, कमजोरियों और अपवादों के खिलाफ लड़ना कोई छोटी बात है। मगर आज स्त्री जब सर्वाधिक स्वतंत्र, सक्षम, सहज, और समर्थ हो रही हो और उसके लिए समाज में परिवेश भी निर्मित हो रहा हो तब आपका इस प्रकार वैयक्तिक शारीरिक असंयम एवं नग्नता को नारी मुक्ति रूपी आंदोलनकारिता का दर्जा देना(जैसा कि आपके विचारों से मुझे आभास हो रहा है) न केवल स्त्री जाति की स्वाभाविकता और नैसर्गिकता को गलत अर्थ एवं दिशा देने की कोशिश है बल्कि सामाजिक संतुलन, गरिमा और मर्यादा को विश्रृंखलित करने की एक उच्छृंखल शरारत भी लगती है। आजादी भी जरूरत से ज्यादा हो तो अक्सर वो बर्बादी में बदल जाती है। चाहे आप मुझसे उम्र में बडी हों या छोटी किन्तु एक बात कहना चाहूंगा कि असंयम और चारित्रिक पतन से बदलाव नहीं बवाल ही हुआ करते हैं। ईश्वर से कामना करता हूं कि मेरी बात आपको समझ में आ जाए ।पं.डी.के.शर्मा"वत्स"http://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-67035539686043996682009-04-14T23:55:29.065+05:302009-04-14T23:55:29.065+05:30यही सवाल मैंने कुछ दिनों पहले भारतीय संस्कृति के स...यही सवाल मैंने कुछ दिनों पहले भारतीय संस्कृति के समर्थक अमरीकी युवक -- सीजे -- से पूछा था, उसने बताया, पश्चिम में बिना शादी के किसी के भी साथ कभी भी व्यभिचार होता है, समाज की अनुमति की परवाह नहीं की जाती. और समाज भी परवाह नहीं करता. वह खुला नहीं व्यभिचारी समाज है.<br><br>पर भारत में यौन सम्बन्ध समाज की अनुमति से अधिकतर पति पत्नी के बीच ही होते हैं. हाँ भारत के लोगों की जनन दर (फर्टिलिटी रेट) ज़रूर अधिक है, जो की अधिकतर गर्म देशों में होती है.ab inconvenientihttp://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-56877512155884480112009-04-15T03:13:17.175+05:302009-04-15T03:13:17.175+05:30समय का जबर्दस्त अभाव है व मन, तबीयत भी ऐसी नहीं है...समय का जबर्दस्त अभाव है व मन, तबीयत भी ऐसी नहीं है कि अपने कथन को तर्कों के साथ प्रस्तुत करूँ किन्तु मुझे विश्वास है कि मेरी बात के बारे में सोचोगी अवश्य इसलिए कह रही हूँ। आँकड़े आज के ही न देखिए। भारत की लगभग सारी आबादी भारत में ही है। पश्चिमी देशों याने यूरोप ने पूरा का पूरा उत्तर व दक्षिणी अमेरिका बसा दिया। इंगलैंड ने आस्ट्रेलिया लगभग अकेले ही बसा दिया। यदि आप यूरोप के क्षेत्रफल पर ध्यान देंगी तो आपको भी मानना पड़ेगा कि संसार की अन्य जातियों को खत्म करके गौरे लोगों की आबादी बढाने में ये लोग हमसे दो कदम आगे ही रहे। एक छोटे से द्वीप के लोगों ने अपनी आबादी इतनी बढ़ा ली थी कि उन्हें लोगों को बसाने के लिए सारे संसार में भटकना पड़ा।<br>वैसे खुलेपन से मेरा कोई विरोध नहीं है। नैतिकता का सम्बन्ध आबादी के घटने बढ़ने से नहीं है। शरीर बेचने वाले सबसे कम बच्चे पैदा करते हैं। <br>भारत के लोग जब सदियों की दासता से उबरेंगे तो आबादी पर भी नियन्त्रण हो जाएगा। जीवन स्तर,स्वास्थ्य व शिक्षा का आबादी से गहरा नाता है। कॉलेज के दिनों में पढ़ाया गया था कि जब भी माता पिता को विश्वास होता है कि उनकी सारी संतानें लगभग लगभग निश्चित रूप से जीयेंगी तब तब वे कम बच्चे पैदा करते हैं। यदि हम उन्हें यह आश्वासन नहीं दे पाते तो आबादी बढ़ेगी ही। ये समस्याएं ऐसी नहीं हैं कि इनका इतना सरलीकरण कर दि्या जाए। बहुत गंभीर मुद्दे हैं। इन्हें हम अपनी बात सिद्ध करने भर को यूँ उपयोग नहीं कर सकते। बच्चों की संख्या का कितनी बार कोई संभोग करता है से इतना सीधा सम्बन्ध भी नहीं है। सीधा सम्बन्ध केवल परिवार नियोजन के साधन के उपयोग करने या न करने से है। <br>आशा है कि मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगी व हो सके तो इस विषय का और अध्ययन करेंगी।<br>घुघूती बासूतीMired Miragehttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-62234333447899031362009-04-15T09:03:35.620+05:302009-04-15T09:03:35.620+05:30all those who found this post worth writing a resp...all those who found this post worth writing a response on , i thank them <br><br>we grow when we discussरचनाhttp://www.blogger.com/profile/09795080624079458936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2317402208490749429.post-16759958681879836412009-04-15T09:03:35.619+05:302009-04-15T09:03:35.619+05:30Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" yahii antar aata ha...Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" <br><br>yahii antar aata haen soch kaa ki ham koi bhi prshan karae usko naari purush ki baat par lae jaa kar smaapt kar diya jaaye <br><br><br>vishay sae bhatakae huae kament koi baat nahin badhaatey post laekhak kae sochnae kae liyae <br><br>kewal aur kewal vivaad utpaan kartey haen <br><br>yahaan ek census vs thinking process ki baat thee <br><br>aur aap ki zara mae wo stri aur shuchitaa ka mudaa ban gayee <br><br>please padh kar viccar dae dubaraरचनाhttp://www.blogger.com/profile/09795080624079458936noreply@blogger.com