मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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February 25, 2009

हम किसी के कर्मो को या विचारो को "देश द्रोही " होने का फतवा कैसे दे देते हैं ??

पिछली पोस्ट के प्रश्न " देश भक्त कौन होता हैं और इनको वर्तमान समय मे कैसे पहचाना जा सकता हैं ? कुछ लक्षण बताये ब्लॉगर दोस्तों । कुछ जानकारी मिले आप से । कोई पहचान कोई निशानी ?? के उत्तर मेबहुत से कमेन्ट आये हैं जो इस प्रकार हैं


रंजन said...

जो कहे कि मैं तो संशय करो!!

अंशुमाली रस्तोगी said...

बेहतर हो आप भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों को गौर से पढ़ें, उत्तर मिल जाएगा।

ab inconvenienti said...

जिस किसी पढ़े लिखे व्यक्ति को यही न मालूम हो वह तो देशभक्त हो ही नहीं सकता. कम से कम आप तो इस श्रेणी में .......

रचना said...

अब आप ने नहीं बताया ab inconvenienti जी , बे पढ़ा लिखा समझ कर ही बता देते

संजय बेंगाणी said...

देशभक्त दो विपरीत विचारधारा वाले भी हो सकते है. गाँधी और गोडसे दोनो देशभक्त थे. अब कुछ कहने को बचता है? अगर कोई कहे कि खास विचारधारा ही देशभक्त है तो वह गलत है.

neeshoo said...

देशभक्त वही है ,जो देश की भलाई के लिए कुछ प्रयास करे । चाहे आप बड़े नामों को गिन लीजिए या फिर कुछ ऐसे गुमनाम को ले लीजिए जो हमारे आस-पास ही है ।वैसे आपकी राय में कौन है देश भक्त?

Suresh Chiplunkar said...

वैसे पहचान तो आसान है, 1) जो हमेशा देश का भला सोचे, 2) जिसे अपने देश का अपमान सहन न हो, 3) जो देश की समस्याओं से चिन्तित हो और उन्हें हल करने के सुझाव आदि देता हो, कार्यक्रम चलाता हो… ऐसे कई लक्षण हैं… पहचानने वाला चाहिये… देशभक्त किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता, यह तो उसके "कर्म" और "विचार" तय करते हैं… (यह उत्तर काफ़ी संक्षेप में है)

मुंहफट said...

जो देश की समस्त संपदा पर देश के समस्त लोगों के समान अधिकार को मुहैया कराने के जज्बे का कद्रदान हो।

ajay kumar jha said...

sirf wo jo ek achha insaan hai, kyonki samaaj parivaar ya desh hamse yani insaano se hee bana hai, ham hain to raashtra hai, ham theek hain to raashtra theek hai, waise prashn ke saath sandarbh ka ullekh kiya hota to jyada behtar hota।


संजय जी का उत्तर बहुत ही सही लगा
और
सुरेश जी के उत्तर कि " देशभक्त किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता, यह तो उसके "कर्म" और "विचार" तय करते हैं… " से मन मे फिर प्रश्न उठा कि अगर ऐसा हैं तो किसी के कर्मो और विचारो के बारे मे निर्णय लेने वाले हम कौन होते हैं ? हम किसी के कर्मो को या विचारो को "देश द्रोही " होने का फतवा कैसे दे देते हैं ?? क्या हमे अधिकार हैं की हम किसी के विचारों और कर्मो को क्लासिफाई करे ? अगर ये अधिकार हमारा नहीं हैं तो फिर किसका हैं , कौन ये बता सकता हैं की कौन सा कर्म देश भक्ति हैं और कौन सा कर्म देश द्रोही हैं , कौन सा विचार देश भक्ति हैं और कौन सा विचार देश द्रोही हैं ।

मन मे जब प्रशन होते हैं तो ज्यादातर हम उन्हे किसी से दिस्कुस्स करते हैं मे कर रही हूँ ब्लॉगर मित्रो के साथ । जवाब हो तो शेयर करे

2 comments:

  1. इसे संगीता पुरी की कसौटी पर कसें, समाधान मिल जायेगा (मेरा उत्तर भी यही है)

    अपना , अपने परिवार , अपने समाज , अपने धर्म से उपर अपने देश को रखे , बस और क्‍या ?

    गाँधी और गोडसे ने यही किया, जो यह नहीं करते वे किसी न किसी रूप में देशद्रोही हैं.

    आईसी १८४ के बंधकों के लिए 'दे दो कश्मीर' का रोना-पीटना मचाने वाले संभ्रांत क्या अलगाववादियों का साथ देने वालों से कम देशद्रोही हैं?

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