अगर आप भगवान् नहीं हैं तो किसी ना किसी धर्म मे आपकी आस्था होती ही हैं । ये आस्था आप ले कर पैदा नहीं होते हैं ये आप के संस्कार से आप को मिलती हैं । अपनी आस्थाओ के प्रति झुकाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया हैं ।
मैने तक़रीबन हर पोस्ट पढ़ी हैं और जब भी जाकिर ने हिन्दू आस्थाओ के विरुद्ध लिखा हैं मैने शोर मचाया हैं और करती रहूंगी क्युकी जब तक हम निस्पक्ष नहीं लिखेगे तब तक विज्ञानं की बात करना ही फिजूल हैं ।
विज्ञान की आड़ मे हिन्दू धर्म , जैन धर्म इत्यादि का मखोल अगर होगा तो सहनशीलता की उम्मीद ना ही करे मुझसे ।
मेरे लिये जितने मान्य राम हैं उतने ही अल्लाह हैं
और जितना पेड होलिका दहन के लिये कटते हैं उतने ही ताज़िओं मे लगे कागजो के लिये भी कटते हैं
लेकिन ना हम होलिका दहन रोक सकते हैं ना ताज़िओं का बनना
पर जाकिर जी को आपत्ति होलिका दहन पर थी और वो भी ऍन होलिका दहन के दिन लेकिन ताजियो की बात पर उनका जवाब था की पहले रचना ये कहे की वो एक भी पेपर बर्बाद नहीं करती तब वो लिखेगे ।
धर्म पर बात करनी हो तो धर्म पर करे लेकिन हर धर्म पर करे । निस्पक्ष होने का दावा तब करे जब आप निस्पक्ष हो । एक पोस्ट नहीं ऐसी बहुत सी पोस्ट हैं और सब मुसलमानों की ही हैं जहां हिन्दू धर्म की बुराई के अलावा कुछ नहीं हैं अरे अपने धर्म की विस्गंतियों पर लिखिये उसको सुधारिये
क्या आप दूसरे के घर कि सफाई करते हैं ??
सन्दर्भ
http://sb.samwaad.com/2011/03/blog-post_19.html
http://ts.samwaad.com/2011/03/70.html
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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dharm v aastha har vyakti ke prathak prathak hain hame swayam inki kamiyan khojni chahiye aur inme sudhar lana chahiye iske liye ye bilkul bhi zaroori nahi ki doosre aisa kahen kyonki rachna ji aapne bilkul sahi kaha ki koi bhi doosre ke ghar kee safai nahi karta.
ReplyDeletehawa gul hoti hai .......
ReplyDeletebiradari se bahar kar diye jayange ....
samaj main nahi rah sakate......
is liye apne dharam ke khilaf nahi likh sakate....
jai baba banaras...
Valid question !
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
ReplyDeleteआपकी बात से सहमत हूँ... चाहे ताज़िए हो या होली बर्बादी कहीं भी नहीं होनी चाहिए... लेकिन होली के ऊपर मैंने वहां भी लिखा था... कुछ लोग केवल अज्ञानता वश ही पेड़ों को जलाते हैं... जहाँ तक मुझे जानकारी है और मैंने अपने बचपन से अब तक देखा है... होलिका दहन मैं पेड़ों या लकड़ियों काट को नहीं जलाए जाने का कोई नियम नहीं है...
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