सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
May 14, 2013
May 02, 2013
प्रोटोकोल क्या कहता हैं , स्टेट फ्यूनरल , झंडे में पार्थिव शरीर को लपेटना किस के लिये मान्य हैं
KAMENT EK
mae is post kae sarbjeet waale hissae se purii tarah ashmat hun
agr ham apne desh me bomb dhamake karnae walo ko sajaa daetey haen to dusrae desho ko bhi adhikaar haen
sarbjeet ek sharbi thaa aesi bhi khabar haen aur sharab pee kar seema par gayaa thaa
ab kyaa yae sarkaar ki jimmedari haen ki wo har sharabi ko pakad kar seema kae andar rakhae
jisnae apnae desh kaa kanun nahin maanaa uskae prati sadbhaw dikhnaa kaunun sahii ho hi nahin saktaa { bhavnatmk rup sae its ok }
ham mae aur dusrae desh me bas itna antar haen ki hamari sarkaar ne " yae nahin kehaa ki sarbjeet bhartiyae nahin haen " jabki wo sarkaar kabhie maanti hi nahin ki hamarey yahaan marne walaa unkae desh kaa thaa
aap sae agrh haen ki aatank sae judae logo , sharabi ityadi kae vishay me likhnae sae pehlae
PLEASE RETHINK
with regards
rachna
KAMENT DO
KAEMNT TEEN
प्रोटोकोल क्या कहता हैं , स्टेट फ्यूनरल , झंडे में पार्थिव शरीर को लपेटना किस के लिये मान्य हैं ?
mae is post kae sarbjeet waale hissae se purii tarah ashmat hun
agr ham apne desh me bomb dhamake karnae walo ko sajaa daetey haen to dusrae desho ko bhi adhikaar haen
sarbjeet ek sharbi thaa aesi bhi khabar haen aur sharab pee kar seema par gayaa thaa
ab kyaa yae sarkaar ki jimmedari haen ki wo har sharabi ko pakad kar seema kae andar rakhae
jisnae apnae desh kaa kanun nahin maanaa uskae prati sadbhaw dikhnaa kaunun sahii ho hi nahin saktaa { bhavnatmk rup sae its ok }
ham mae aur dusrae desh me bas itna antar haen ki hamari sarkaar ne " yae nahin kehaa ki sarbjeet bhartiyae nahin haen " jabki wo sarkaar kabhie maanti hi nahin ki hamarey yahaan marne walaa unkae desh kaa thaa
aap sae agrh haen ki aatank sae judae logo , sharabi ityadi kae vishay me likhnae sae pehlae
PLEASE RETHINK
with regards
rachna
KAMENT DO
KAEMNT TEEN
प्रोटोकोल क्या कहता हैं , स्टेट फ्यूनरल , झंडे में पार्थिव शरीर को लपेटना किस के लिये मान्य हैं ?
बहुत कुछ दिखा ७ साल की हिंदी ब्लोगिंग में . हर साल लोग सोचते हैं "अब गयी "
पाठक संख्या ३६५ कमेन्ट लगभग ४०
५ साल होगये पता भी नहीं चला , मै यहाँ खुश होने आयी थी , खुश करने नहीं और मै उस मकसद में कामयाब हूँ ।
पाठक संख्या ४०६ कमेन्ट २९
एक और साल होगया हैं हिंदी में ब्लॉग लेखन करते हुए . इस पूरे साल में खुद ही बहुत कम सक्रिय रही लिखने में लेकिन पढना बदस्तूर जारी रहा .
बहुत बदलाव दिखा ब्लॉग सम्बन्धो मे
इस पोस्ट पर मठाधीश के बाद मठ की जानकारी बिना किसी सक्रियता क्रम दिये हुए संबंधो में बहुत बदलाव आया हैं . बहुत से जो नेट वर्किंग के लिये ब्लॉग का इस्तमाल करते थे अब नेटवर्किंग साइट्स पर ब्लोगिंग करते हैं
इस साल बहुत से ब्लॉगर प्रिंट मीडिया में साहित्यकार बन गए यानी उनकी पुस्तके छप गई हैं या यूँ कहिये ब्लॉग पर जो उन्होने लिखा हैं उसको पैसा देकर उन्होने छपा लिया हैं एक पुस्तक के रूप में . इस साल जैम कर पुस्तक विमोचन हुए हैं हिंदी ब्लॉगर की किताबो के .
फिर भी लोग कहते हैं ब्लोगिंग में पैसा नहीं हैं :) पब्लिशर की रोजी रोटी का जुगाड़ तो कर ही दिया हैं हिंदी ब्लॉग / ब्लॉगर ने . और साहित्यकार तो पैसे वाले ही बन सकते हैं , इस साल ये पूरी तरह से निश्चित हो गया हैं की हिंदी ब्लॉगर के पास पैसा हैं इस लिये वो साहित्यकार बनने में सक्षम हैं .
इसी ब्लॉग नेट वर्क के जरिये लोगो ने इतना पैसा इकठा कर लिया हैं किताबे छपा कर की वो अपनी खुद की साईट पर अपना अखबार चला रहे हैं लेकिन ऐसी जानकारियों को छुपा कर रखते हैं और "ब्लॉग परिवार " के साथ नहीं बाँटते हैं
जिन्होने 'सहभागिता " से पुस्तके छपवाई हैं अब उनको बेचने का जिम्मा भी उन्ही का हैं . तमाम किताब बेचने वाली साईट पर ये पुस्तके उपलब्ध हैं यानी उन साईट का भी फायदा .
फिर लोगो कहते हैं हिंदी ब्लॉग लेखन में पैसा नहीं हैं :)
एक ही पुस्तक की समीक्षा ना जाने कितने ब्लॉग पर पढने को मिल जाती हैं और सब " सकारात्मक " समीक्षाए हैं मजेदार बात ये हैं की जो समीक्षा करते हैं उन्होने शायद ही कभी उस ब्लॉग पर जा कर कमेन्ट दिया हो जिस को पुस्तक का रूप दिया गया हैं .
बहुत कुछ दिखा ७ साल की हिंदी ब्लोगिंग में . हर साल लोग सोचते हैं "अब गयी " पर व्यक्ति संबंधो की लिस्ट बढ़ रही हैं मै बस यही कहूंगी
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