मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

December 31, 2008

आप सब को नया साल शुभ हो ।

आप सब को नया साल शुभ हो

बिता साल और हिन्दी ब्लोगिंग मे आप का योग दान ??

साल बीत रहा हैं आप आज भी पोस्ट लिख पढ़ रहे हैं । आप का हिन्दी ब्लॉग्गिंग मे क्या योगदान रहा ? बताना चाहते हैं या औरो से बांटना चाहते तो बताये । क्या क्या पढा , क्या क्या लिखा आपने ? क्या आप का योगदान सकारात्मक रहा या आप को लगता हैं हिन्दी ब्लॉगर ना ही बनते तो अच्छा था ??!!

December 30, 2008

बेक लिंक --------ये किस प्रकार से किया जाता हैं मै ये जानना चाहती हूँ । -

अपनी पिछली पोस्ट मै मैने ब्लॉग के बेक लिंक्स से सम्बंधित प्रश्न पूछा था । कुछ जवाब आए तो लगा की शायद मैने सही तरह से नहीं पूछा हैं ।
आप ये लिंक देखे । इस पोस्ट मै नीचे बहुत से बेक लिंक देख रहे हैं । लेकिन जब उस लिंक को क्लिक करके उस ब्लॉग पर जाओ तो वहाँ कोई भी लिंक नहीं हैं इस लिंक का ।

यानी बेक लिंक तो हैं लेकिन जिस पोस्ट का बेक लिंक हैं उस पोस्ट पर जाओ तो जिस पोस्ट पर बेक लिंक हैं वो पोस्ट वहाँ नहीं हैं ।

ये किस प्रकार से किया जाता हैं मै ये जानना चाहती हूँ ।

दूसरा एक्साम्प्ल
इस पोस्ट पर http://satyarthmitra.blogspot.com/2008/12/blog-post_29.html

इस पोस्ट का http://sikayaat.blogspot.com/2008/12/blog-post_30.html

बेक लिंक हैं
लेकिन
इस पोस्ट को खोलिये http://sikayaat.blogspot.com/2008/12/blog-post_30.html
तो
आप को
इस पोस्ट http://satyarthmitra.blogspot.com/2008/12/blog-post_29.html
का कोई भी लिंक पोस्ट मे नहीं हैं

ऐसा क्यों हैं और कैसे किया जाता हैं

सब से ज्यादा बेक लिंक
मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.: बुझो तो ...
रामपुरिया का हरयाणवी ताऊनामा ...

इन दो ब्लोग्स के हैं तक़रीबन हर पोस्ट पर जबकि इनकी पोस्ट मे उस पोस्ट का कोई जिक्र नहीं हैं , जिस पर इनका बेक लिंक दिखता हैं ।
क्या अब कोई इस बारे मे मुझे सही तकनीक की जान करी दे सकेगा


दिस्क्लैमेर

जिन ब्लोग्स का जिक्र इस पोस्ट मे हैं वो केवल और केवल एक्साम्प्ल के तोर पर किया हैं !!!! सो उस ही नज़रिये से देखा जाए और जानकारी को बांटा जाए । आभार होगा

December 29, 2008

मुझे ये तकनीक सही तरह नहीं आती हैं । कोई सही तरीका बता सके तो आभार होगा ।

किसी की ब्लॉग पोस्ट पर अपने ब्लॉग की पोस्ट का लिंक किस तरह लगाया जा सकता हैं ? मुझे ये तकनीक सही तरह नहीं आती हैं । कोई सही तरीका बता सके तो आभार होगा ।

मै अगर किसी पोस्ट का लिंक अपनी पोस्ट मै लगाती हूँ तो वो उस पोस्ट पर बेक लिंक की तरह नहीं दिखता ? इसकी भी सही तकनीक क्या हैं ?

December 23, 2008

" मै ये फ़िल्म नहीं देखूंगी " क्युकी शायद मै इसी तरह विद्रोह कर सकती हूँ ।

आमिर खान बाल काट रहे हैं । इस ख़बर मे इतना दम था की पूरा दिन हर न्यूज़ चैनल इसका सीधा प्रसारण करता हैं । काफी खोजने की कोशिश की , कि पता चले क्या मकसद हैं इस "बाल काटने का " । क्या वो इस काम को करके किसी चैरिटी के लिये पैसा इकठा कर रहें थे ? या केवल और केवल अपने फ़िल्म के प्रमोशन के लिये ये काम कर रहे थे । लगा शायद केवल फ़िल्म प्रमोशन ही था { कुछ और मकसद हो और किसी को पता हो तो मेरी भ्रान्ति दूर कर दे } ।
ये एक विदेशी प्रचलन हैं कि प्रमोशन किया जाए किसी भी काम का लेकिन उसके पीछे कोई मकसद हो यानी किसी चैरिटी के लिये पैसा इकठा करना या किसी कि मद्दत के लिये अपने सेलिब्रिटी स्टेटस को भुनाना हो । हमारे यहाँ विदेशी को कॉपी करने का प्रचलन हैं पर उनकी सही और अच्छी बात को नहीं केवल और केवल उस बात को जिस से अपना और सिर्फ़ अपना फायदा होता हैं

आमिर खान जैसे व्यक्ति जब ये काम करते हैं और मीडिया उसको पूरा दिन दिखाती हैं तो मन मे यही आता हैं " मै ये फ़िल्म नहीं देखूंगी " क्युकी शायद मै इसी तरह विद्रोह कर सकती हूँ । हो सकता हैं मेरी आवाज किसी तक ना पहुचे पर मेरी असहमति दर्ज होगी मेरे अंतर्मन मे ।

दूसरी तरफ़ अक्षय कुमार भी मशाल ले कर दौडे उसी दिन जिसको "flame of hope" कहा गया जो २००९ Special Olympics World Winter Games के लिये दिल्ली पहुँची थी. उन्होने उसदिन किसी फ़िल्म कि चर्चा नहीं कि और केवल और केवल खिलाड़ियों कि चर्चा कि और मीडिया को भी यही करने को कहा

December 21, 2008

इंतज़ार हैं कुछ सच्चे जवाबो का ।

आप ब्लोगिंग क्यूँ करते हैं ? कोई मकसद , कोई जरुरत या केवल और केवल शुद्ध टाइम पास ?

December 20, 2008

हम १० घंटे के काम को २० घंटे मे करने मे अपनी दक्षता समझते हैं

आप नौकरी करते हैं या आप अपना कारोबार करते हैं या आप कोई भी काम करते हैं क्या आप उस काम के पैसे लेते हैं या आप उस समय के पैसे लेते हैं जितने समय मे आप वो काम पूरा करते हैं ?

जी हाँ इस प्रश्न का उत्तर जरुर खोजे अपने अंदर क्युकी आप कहीं भी काम करते हैं तो आप को पैसा अगर आप की काबलियत के लिये मिलता हैं तो आप की नौकरी मे समय की कोई पाबंदी नहीं होती यानी काम करो पैसा लो अब चाहे २ घंटे मे करो या १० घंटे मे करो पैसा वही मिलेगा । सो जितने भी लोग १० घंटे का काम २ घंटे मे कर लेते हैं वो अपनी आमदनी को पाँच गुना कर लेते हैं ।

लेकिन जब आप समय सारिणी से काम करते हैं तो आप को १०-६ यानी तक़रीबन ८ घंटे रोज काम करने के लिये या महीने मे २२४ घंटे काम करने का लिये एक निश्चित राशि दी जाती हैं तो आप को वो २२४ घंटे वही काम करना चाहिए और उन्ही के लिये काम करना चाहिये जो आप को ये राशि देते हैं ।

सरकारी क्षेत्र से प्राइवेट छेत्र की तनखा का हमेशा मिलान होता हैं और ये कहा जाता हैं की सरकारी क्षेत्र मे उतनी तनखा नहीं मिलती जितनी प्राइवेट क्षेत्र मे मिलती हैं लेकिन कोई ये कभी क्यूँ नहीं देखता की दोनों जगह काम करने के घंटो मे कितना अन्तर हैं ।

आज बड़ी बड़ी कम्पनिया अपने एम्प्लोयी को अगर एक महीने का १ लाख से ऊपर रुपया देती हैं सैलरी मे तो उसके काम करने के घंटे भी २४ नहीं कम से कम ३६ घंटे होते हैं । यानि वोह तक़रीबन रोज १० घंटो मे ३६ घंटे का काम करता हैं । इसके अलावा उसको ये सैलिरी टैक्स फ्री मिलती हैं यानी उसका इनकम टैक्स भरना कम्पनी की ज़िम्मेदारी होती हैं ।

अगर हम १० घंटे का काम ५ घंटे मे करने की क्षमता अपने अंदर पैदा करे तो हम कही आगे जा सकते हैं लेकिन हम १० घंटे के काम को २० घंटे मे करने मे अपनी दक्षता समझते हैं

क्या नैतिकता एक सामजिक प्रश्न नहीं हैं केवल एक व्यक्तिगत प्रश्न हैं ?

कल की पोस्ट पर कमेन्ट मे कई प्रतिक्रिया मिली । सभी नीचे दे रही हूँ ।
8 comments:
रूपाली मिश्रा said...
मै आपकी बात से सहमत हूँ मेरी चैट एक बार एक गृह मंत्रालय में कार्यरत सज्जन से हुई थी जो दिनभर जीमेल , ऑरकुट और अपने ब्लॉग पर रहते थे और ऊपर से गृह मंत्री और देश की सरकार को निकम्मा बताते थे
December 19, 2008 1:45 AM
विवेक सिंह said...
ऐसा क्यों ? यह तो आप ही जानें :)
December 19, 2008 2:24 AM
लवली कुमारी / Lovely kumari said...
100% सहमत हूँ रचना जी आपसे...पर किसी को फर्क क्या पड़ता है.
December 19, 2008 2:48 AM
ताऊ रामपुरिया said...
बात तो आपकी सही है ! अब दुसरो की बात क्या करे ? हम सेल्फ़ ईम्पलायड हैं तो भी कोशिश करके आफ़िस मे बचने की कोशिश करते हैं पर जब काम नही होता तो खुद ब खुद ब्लाग पर पहुंच जाते हैं ! आगे से कोशिश करेंगे कि आफ़िस मे आफ़िस का ही काम किया जाये !आपक सुझाव मानने लायक है और माना जाना चाहिये !राम राम !
December 19, 2008 3:43 AM
विष्णु बैरागी said...
ऐसे लोगों के लिए ही कबीर बाबा कह गए हैं -बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलिया कोय ।जो दिल खोजा आपना,मुझसे बुरा ना कोय ।।
December 19, 2008 4:33 AM
डॉ .अनुराग said...
खरी बात है जी....वैसे हम अपने privet क्लीनिक में है ,सरकारी डॉ नही है....ओर बिल भी भरते है.....
December 19, 2008 5:39 AM
masijeevi said...
नैतिकता की अपनी निजता होती है तथा होनी चाहिए। मुझे याद पड़ता है कि ज्ञानदत्‍तजी ने अपनी एक पोस्‍ट स्‍पष्‍ट किया था कि इस विषयक नैतिकता स्‍व आरोपित ही होनी चाहिए। न कीजिए ब्‍लॉगिंग, उपन्‍यास भी मत पढि़ए लेकिन फाइल खोलकर बैठे रहें, कोई काम न करें या करें तो उलटा नुक्‍सान करें, इससे कहीं बेहतर है कि जिम्‍मेदारी निबाहें, काम के प्रति, अपने प्रति और किलसने की बजाए प्रसन्‍न रहें
December 19, 2008 6:46 AM
नीरज गोस्वामी said...
बात सच्ची और खरी है....नीरज
December 19, 2008 9:49 AM



क्या नैतिकता एक सामजिक प्रश्न नहीं हैं केवल एक व्यक्तिगत प्रश्न हैं ? कुछ बातो मे जहाँ हमारी नैतिकता से दूसरो की जीवन शैली पर असर आता हो क्या वहाँ ये कहना सही हैं की नैतिकता व्यक्तिगत प्रश्न हैं । आप सरकारी समय का उपयोग सरकारी काम के लिये ना करके किसी और काम के लिये करते हैं जो आप का व्यक्तिगत काम हैं तो आप सरकारी धन का अप्वय कर रहे हैं और सरकारी धन कहां से आता हैं ?? सरकार की कोई अपनी कमाई का साधन हैं क्या टैक्स के अलावा ? सो सरकारी महकमे मे काम करने वाले उन घंटो मे केवल और केवल सरकारी काम करे जिन घंटो की उनको तनखा मिलती हैं तो शायद वो अपने कर्तव्य को पूरा करेगे ।

पिछली बार जब दिल्ली विश्व विद्यालय मे पे रेविसन हुआ था तो UGC चाहती थी की और विश्व विद्यालय की तरह टीचर्स के लिये भी समय सारणी हो यानि ९-५ की नौकरी , जहाँ आपको उतने घंटे कॉलेज मे बैठना अनिवार्य हैं .लेकिन किसी भी अध्यापक को ये बात रुचिकर नहीं लगी क्युकी हर अध्यापक ये समझता हैं की हफ्ते मे १८ period पढ़ने हैं यानि तक़रीबन 4 period रोज के सो पढाओ और घर जाओ । लेकिन तनखा पूरे दिन की मिले ।
अगर कॉलेज मे बैठना अनिवार्य हो जाए तो शिक्षा का स्तर उठे ना उठे पर हर तरह की नौकरी मे समानता जरुर आजायेगी ।

December 19, 2008

हम हमेशा नेताओं को और बाकि सब को नैतिकता का पाठ पढ़ते हैं और ख़ुद उसको नहीं याद रखते हैं ऐसा क्यों ??

बहुत से ब्लॉगर सरकारी नौकरी मे हैं । पिछले कुछ दिनों मे कई की पोस्ट पढ़ी जिनमे ये खुल कर लिखा था कि " हम ऑफिस मे बैठ कर ब्लॉग लिखते हैं " । अब ये बात "नैतिकता " कि परिधि मे आती हैं या नहीं ?
आप ऑफिस मे बैठ कर ब्लॉग लिखते और पढ़ते हैं सो
  1. आप ऑफिस के समय का उपयोग किसी अन्य काम के लिये कर रहे हैं
  2. आप अगर लंच के समय ये काम करते हैं तो भी आप सरकारी तंत्र का दुरूपयोग कर रहे हैं
  3. क्या आप को ऑफिस मे {सरकारी या प्राईवेट } इन्टरनेट कि सुविधा इसलिये दी गयी हैं कि आप उसका उपयोग अपने पर्सनल काम के लिये करे ??

हम हमेशा नेताओं को और बाकि सब को नैतिकता का पाठ पढ़ते हैं और ख़ुद उसको नहीं याद रखते हैं ऐसा क्यों ?? क्या समाज मे बदलाव दुसरो के ठीक होजाने मात्र से आजायेगा ??

और ये तो चोरी के ऊपर सीना जोरी हुई कि आप ना केवल दफ्तर मे बैठ कर ब्लॉग लिख रहे हैं अपितु बड़ी शान से उस बात को इन्टरनेट के जरिये बता भी कर रहे हैं ।

अब कोई ना कोई जरुर कहेगा रचना आप किस समय लिखती हैं और कहां सो पहले ही बता दूँ मेरा अपना ऑफिस हैं ख़ुद का और मे अपने समय और अपने पैसे से ब्लोगिंग करती हूँ ।

बहुत से लिंक दे सकती हूँ उन ब्लॉगर के जो ब्लॉग लिखने के लिये उस समय को उपयोग मे लाते हैं जिसका पैसा वो तनखा या सैलरी के रूप मे किसी ना किसी से लेते हैं । और घूम कर ये पैसा हम और एक आम आदमी टैक्स के रूप मे भरता हैं ।

ये प्रचलन केवल और केवल इंडिया मे हैं विदेशो मे लोग इस प्रकार का अप्वय नहीं करते हैं ।

December 13, 2008

एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी

अगर आप ब्लॉग लिखती हैं और महिला हैं तो नीचे दिये गए ईमेल पर अपने ब्लॉग का नाम भेजे

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

ईमेल मे subject की जगहःइन्दिलोग्गेर और dash जी जगह अपना नाम डाले ।

जैसे अगर आप का नाम सुनयना हैं तो Hindi Blogger Sunyna इंग्लिश मे लिखे ।

आप एक बार इस लिंक को देखे आप को ख़ुद समझ आ जायेगा

http://womanwhobloginhindi.blogspot.com/

एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी

आपकी भेजी हुई ईमेल अपने आप पुब्लिश हो जाएगी अगले दिन अगर ना हो तो प्लेस दुबारा ईमेल करे इस पते पर

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

December 12, 2008

दिल्ली विश्वविद्यालय के वो अध्यापक जो हिन्दी ब्लॉगर भी हैं उनसे निवेदन कि डॉ कुसुम लता को वोट दे ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के वो अध्यापक जो हिन्दी ब्लॉगर भी हैं उनसे निवेदन कि डॉ कुसुम लता को वोट दे । डॉ कुसुम लता अकादमिक काउंसिल के लिये खड़ी हैं । ये बहुत ही ख़ास हैं इसीलिये आज इन पर एक पोस्ट भी डाली हैं नारी ब्लॉग पर । हमारे बीच ऐसे बहुत से लोग हो जो प्रेरणा का स्रोत हैं । कुसुम भी उनमे से एक हैं ।

academic council election

date 19th december

ballot number 09

December 09, 2008

ब्लॉग लिखती महिला

मेल करने के लिये नीचे दिये गए ईमेल पर अपने ब्लॉग का नाम भेजे ।

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

ईमेल मे subject की जगह Hindi Blogger -------- और dash जी जगह अपना नाम डाले ।

जैसे अगर आप का नाम सुनयना हैं तो Hindi Blogger Sunyna इंग्लिश मे लिखे ।

आप एक बार इस लिंक को देखे आप को ख़ुद समझ आ जायेगा

http://womanwhobloginhindi.blogspot.com/

एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी

आपकी भेजी हुई ईमेल अपने आप पुब्लिश हो जाएगी अगले दिन अगर ना हो तो प्लेस दुबारा ईमेल करे इस पते पर

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

December 08, 2008

कंप्यूटर जी ब्लॉग को लाक किया जाए

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

अपने ब्लॉग को लाक करे यानी टेक्स्ट को कॉपी करने से बचाए । एक १०० प्रतिशत सही तकनीक नहीं हैं पर फिर भी काम करती हैं ।
ऊपर दिये गये कोड को कॉपी करके लेआउट मे नया html gadget मे पेस्ट कर दे .
आभार Hindi Blog Tips
इस लिंक को भी क्लिक करके आप को कोड मिल जायेगा

ब्लॉग लिखती महिला अपने ब्लॉग की सूचना इस लिंक पर जा कर दे दे ।

मेल करने के लिये नीचे दिये गए ईमेल पर अपने ब्लॉग का नाम भेजे ।

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

ईमेल मे subject की जगह Hindi Blogger -------- और dash जी जगह अपना नाम डाले ।

जैसे अगर आप का नाम सुनयना हैं तो Hindi Blogger Sunyna इंग्लिश मे लिखे ।

आप एक बार इस लिंक को देखे आप को ख़ुद समझ आ जायेगा

http://womanwhobloginhindi.blogspot.com/

एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी

आपकी भेजी हुई ईमेल अपने आप पुब्लिश हो जाएगी अगले दिन अगर ना हो तो प्लेस दुबारा ईमेल करे इस पते पर

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी क्यों ?

ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी की मांग "धोनी " ने की हैं । इसी प्रकार से बहुत से नेता , उनके वंशज भी ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी लेकर रहते हैं ।

"धोनी " जैसे "एक अच्छी कमाई " वाले नागरिक को क्यूँ सरकारी पैसे से ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी दी जाए ?

और क्यूँ नहीं हर नेता के ऊपर से इस ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी या किसी भी प्रकार की सिक्यूरिटी को हटा लिया जाए ?

सरकारी खाजने का दुरूपयोग हैं नेताओं को ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी या सिक्यूरिटी देना क्युकी बहुत से नेता तो ख़ुद अपना निज का क्रिमिनल रिकॉर्ड रखते हैं ।

जो पैसा लोगो को ज़ेड प्लस सिक्यूरिटी देने मे लगता हैं और जितनी फोर्स इस काम मे बरबाद होती हैं उसको अगर जनता की सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिये लगाया जाये तो आतंकवाद से कुछ तो निजात मिलेगी

December 07, 2008

ब्लॉग लिखती महिला अपने ब्लॉग की सूचना इस लिंक पर जा कर दे दे ।

मेल करने के लिये नीचे दिये गए ईमेल पर अपने ब्लॉग का नाम भेजे ।

freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com

ईमेल मे subject की जगह Hindi Blogger -------- और dash जी जगह अपना नाम डाले ।

जैसे अगर आप का नाम सुनयना हैं तो Hindi Blogger Sunyna इंग्लिश मे लिखे ।

आप एक बार इस लिंक को देखे आप को ख़ुद समझ आ जायेगा

http://womanwhobloginhindi.blogspot.com/

एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी

आपकी भेजी हुई ईमेल अपने आप पुब्लिश हो जाएगी अगले दिन

December 05, 2008

क्या आप ये जानते हैं

what we can do
by
saurabh miglani on Dec 05, 2008 05:42 PM Permalink Hide replies

Did you know that there is a system in our constitution, as per the 1969
act, in section "49-O" that a person can go to the polling booth, confirm
his identity, get his finger marked and convey the presiding election
officer that he doesn't want to vote anyone!

Yes! such a feature is available, but obviously these seemingly notorious
leaders have never disclosed it. This is called "49-O".

Why should you go and say "I VOTE NOBODY"...

Because, in a ward, if a candidate wins, say by 123 votes, and that
particular ward has received "49-O" votes more than 123, then that polling
will be cancelled and will have to be re-polled .

Not only that, but the candidature of the contestants will be removed and
they cannot contest the re-polling, since people had already expressed
their decision on them .

This would bring fear into parties and hence look for genuine candidates
for their parties for election. This would change the way, of our whole
political system... It is seemingly surprising why the election commission
has not revealed such a feature to the public....

Please spread this news to as many as you know...Seems to be a wonderful
weapon against corrupt parties in India... Show your power,expressing your
desire not to vote for anybody, is even more powerful than voting... So
don't miss your chance.
So either vote, or vote not to vote (vote 49-O) and pass this info on...

"Please forward this mail to as many as possible,

२/१२/०८ , ९.५० मिनट पर दी गयी मेरी अप्रकाशित टिपण्णी

२/१२/०८ , ९.५० मिनट पर दी गयी मेरी अप्रकाशित टिपण्णी मेरे गीत ब्लॉग पर

"जो मैं समाज को समझाना (सर्व धर्म सद्भाव ) चाहता हूँ, उसी की सफलता में देश की नयी पीढी और आपकी अगली पीढी का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होगा !"
satish ji
aap samaj ko kyu wo samjhana chahtey haen jo aap ko hii sirf theek lagtaa haen . aap blog likhey aap jo man aaye wo likhey , aap jiska kament chaahey rakhe chahey moderate karey kyuki yae adhikaar aap ka . par kisi bhi blogger ko agar uski aayu aap sae kam haen hamesha ek beta , ek beti ki umr kaa keh kar kyun usko yae ehasaas karaatey haen ki aaj ki genration naa samjh haen . mujeh lagtaa haen aaj ki peedhi jo tension bhog rahee haen ham purnaaii peedhi vaaley he uskae liyae zimmedar haen . yae hamaari galtiyaan haen jiskaa khamiyaaza nayii peedhee uthaa rahee haen .
aap ko yae post daalney kae saath saath us ka naam aur tippani bhi dalni chaeyae thee taki baat khul kar sammane aatee
aur rahee baat muslim samaaj kae un terrorist ko naa dafnaa nae ki to aaj tv par daekha ki wo keh rahey haen ki is liyae dafan nahin karegae kyuki wo unhey muslmaan hi nahin maantey

December 04, 2008

तिरंगा


इस तिरंगे को अगर आप अपने ब्लॉग पर चाहते हैं तो पोस्ट मे जैसे आप इमेज डालते हैं वैसे ही आप http://rachnadesign.googlepages.com/india_flag.gif

ये लिंक वहां डाल दे जहां लिखा होता हैं Or add an image from the web

इसके बाद आप अपलोड इमेज करके तिरंगे को अपने ब्लॉग पर डाल सकते हैं

अगर आप को इसको साइड पटी पर डालना हैं तो आप पोस्ट बनने के बाद ऊपर दिया हुआ edit html

का बटन दबा कर इसका html code बना सकते हैं और layout मे जाकर add html पर पेस्ट कर सकते हैं

या अपना email id भेज कर कोड मुझसे मंगा सकते हैं

December 03, 2008

ये अंश हैं एक ब्लॉग पोस्ट के जो कल पढ़ी ।


उक्त प्रतिक्रियाओं में से एक प्रतिक्रिया मेरे पुत्र की उम्र के एक नवजवान की है जिनकी लेखन शैली मुझे बहुत पसंद है ! सशक्त लेखनी का धनी, इस भारत पुत्र के प्रति मेरा यह कर्तव्य है कि मैं स्पष्टीकरण दूँ !कृपया विश्वास करें कि लेखन के प्रति, मेरा किसी वर्ग विशेष के प्रति मोह या उसमें लोकप्रियता अर्जित करना बिल्कुल नही है ! आप प्रतिक्रियाएं अगर ध्यान से देखें तो इस देश के मुस्लिम बच्चों ने मेरी कभी तारीफ़ नहीं की जिससे मैं उत्साहित होकर यह लेख लिख रहा हूँ ! मगर यह लेख इस समय की पुकार हैं, और जो मैं समाज को समझाना (सर्व धर्म सद्भाव ) चाहता हूँ, उसी की सफलता में देश की नयी पीढी और आपकी अगली पीढी का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होगा !

------
मैं हमेशा इन मुस्लिम बच्चों के लिए लेख क्यों लिखता हूँ ?-मुसलमान - हिन्दुस्तान का दूसरा बेटा ! अवश्य पढ़ें ! क्योंकि मैं बहुमत से सम्बंधित हूँ और अल्पमत के लिए आवाज़ उठाना और उनको अपने समाज के दिल में जगह दिलाने का प्रयत्न करना ही मैं भारत माँ की सबसे बड़ी इच्छा मानता हूँ सो नफरत फैलाने वाले अपनी दूकान चलायें मैं प्यार बांटूंगा देखता हूँ कौन शक्तिशाली है !



ये अंश हैं एक ब्लॉग पोस्ट के जो कल पढ़ी ।

आतंवादियों को पाकिस्तान अपना नागरिक नहीं मानता और मुसलमान यहाँ हिन्दुस्तान मे उनको इसलिये दफ़न की जगह नहीं देगा क्युकी वो उनको मुसलमान नहीं मानता हैं ।
अगर हिन्दुस्तान के मुस्लिम नागरिक ये कह कर उनको दफ़न से इनकार करते की हम पाकिस्तानी आतंकवादी को हिन्दुस्तान मे दफ़न नहीं करगे तो लगता की हाँ आज हमारी माइनोरिटी भी हमारे साथ हैं । लेकिन नहीं इस देश मे सिर्फ़ और सिर्फ़ राजनीती होती हैं लाशो पर भी । उन लाशो पर जिनको गीध चील कौवे कोई खा ले क्या फरक पड़ेगा ।

और मेरा मानना हैं की जो लोग ज्यादा नयी पीढी को नसीहत देते हैं { ऊपर दी गयी पोस्ट नयी पीढी को नसीहत के रूप मे डाली गयी हैं } की तुम ग़लत हो वो श्याद भारत के इतिहास को नहीं देखते । आज नयी पीढी जितने भी टेंशन उठा रही हैं उसकी जिमेदार एक लापरवाह पुरानी पीढी हैं । हम सब जिमेदार हैं इस आंतकवाद के क्युकी हम अपनी नयी पीढी को उनकी सोच को अपरिपक्व मानते हैं । हम आज भी एक ऐसा समाज चाहते हैं जहाँ हम अपने बच्चो को कठपुतली की तरह नचाए । क्या दिया हैं हमने नयी पीढी को डर , आंतकवाद और राजनीती ।

अगर आज एक २६ साल का युवक/युवती कुछ कहता हैं तो वो अपना भोग हुआ सच कह रहा हैं । हम उस से कुछ सीख भी सकते हैं । लेकिन नहीं वो तो हमारा प्रतिस्पर्धी हैं उसकी बात हमारे लिये एक चुनौती हैं ।

जब एक पिता की उम्र का व्यक्ति ये कहता हैं "देखता हूँ कौन शक्तिशाली है !" तो लगता हैं की वो होड़ कर रहा हैं ।
समय हैं की हम अपनी नयी पीढी को सीखने की जगह साथ मिल कर उनसे उनके विचार पूछे और खुले मन से आंतंकवाद और हिंदू मुस्लिम इत्यादि विषयों पार बात करे । जब तक ये आक्रोश हैं नयी पीढी मे तभी तक हम सुरक्षित हैं वरना पुरानी पीढी तो केवल समझोते करती आयी हैं

कल मेरा कमेन्ट उस पोस्ट पर नहीं आने दिया गया { ये उनका अधिकार हैं इसका मुझे शिकवा नहीं हैं } पर ये शिकायत जरुर हैं की जिस कमेन्ट के ऊपर और जिस व्यक्ति के ऊपर उन्होने ये पोस्ट डाली हैं ना तो उसका कमेन्ट ना उसका नाम दिया हैं । इस प्रकार से लांछन लगना शोभा नहीं देता और आश्चर्य हैं जिनके भी कमेन्ट आए हैं उनमे से किसी ने भी ये नहीं पूछा की पोस्ट मे आक्षेप किस पर हैं ।

November 29, 2008

हर मरने वाला शहीद हैं , मौत को उसकी हादसा मत बनाओ

जब भी एक आम आदमी मरता हैं
मौत उसकी हादसा होती हैं
क्यूँ शहादत कर दर्जा हम
कुछ को देते हैं
और
कुछ की मौत को
बस हादसा कहते हैं
हर मरने वाला
किसी न किसी कर
कुछ न कुछ जरुर था
इस देश कर था या उस देश का था
पर आम इंसान था
शीश उसके लिये भी झुकाओ
याद उसको भी करो
हादसा और घटना
मत उसकी मौत को बनाओ

"मुंबई आंतक वाद के शिकार हर व्यक्ति को मै नमन करती हूँ और उनकी मौत को एक शहादत मानती हूँ । उनके परिवार वालो को इश्वर इस आपदा से लड़ने की ताकत दे "

मुंबई आतंकवादी हमले मे लापता हुए है । बहुत खोजा नहीं मिले । किसी के पास कोई समाचार हो इनके बारे मे तो सूचित करे ।

मुंबई आतंकवादी हमले मे लापता हुए है । बहुत खोजा नहीं मिले । किसी के पास कोई समाचार हो इनके बारे मे तो सूचित करे ।

सूचना इस पते पर भेजे

चूहा chuha@mns.com

ये जब तक थे मुंबई को कुतर रहे थे आज जब कमांडो और सेना की कार्यवाही पूरी होगई हैं ये लाशो मे महाराष्ट्र और उत्तर भारतीयों की लाशो को अलग अलग कर रहे होंगे ।

आप भी किसी ऐसे को जानते हो जो लापता हो जाता हैं जब आग लगती हैं देश मे और शांत होते ही ख़ुद आग लगाता हैं तो ब्लॉग पर उसका चित्र डाले ताकि हम अपने बीच से उनको निकाल सके । डर छोडे

November 25, 2008

ब्लोगिंग विस्तार हैं स्वः का

करते हैं चर्चा ब्लॉग कि
बुलाते हैं ब्लॉगर को भाई और भाभी
नवाते हैं शीश
अब ब्लॉगर का ना हैं लिंग
और ब्लॉगर बसे इन्टरनेट मे
इन्टरनेट जिसकी ना हैं कोई सीमा
ना भाषा , ना देश , ना काल ,
ना पुरूष ना स्त्री
रिश्ते ब्लॉग्गिंग मे अगर बनाओगे
ख़ुद भी सीमा मे बंधोगे और को भी
सीमा मे बांधोगे
ब्लॉगर केवल और केवल एक अभिव्यक्ति हैं
देश काल और रिश्तो से ऊपर उठ कर
अभिव्यक्ति का माध्यम हैं ब्लोगिंग
विस्तार हैं स्वः का

November 08, 2008

ठग्गू के लड्डू , नहीं रह गयी हैं अब कविता , ग्लोबल हो गयी हैं

ठग्गू के लड्डू
नहीं रह गयी हैं अब कविता
कि फुर्सत मे गप से खा जाओ
ग्लोबल हो चली हैं कविता
सो गले मे भी अटकती हैं
हल्के शब्दों से भारी कविता
उफ़ इतनी अभद्रता !!
आंसू भरी होती तो पोछते !!!
आह भरी होती तो समझाते !!!!
लब नयन नक्श होते तो निहारते !!!!!!!!
अब तार्किक को सिणिमान
कहते हैं चिडिमार और
फुर्सत मे चिंतन से कविता और कवि
पर चिरकुटाई मंथन करते हैं

November 04, 2008

हिन्दी कठपुतली बन कर रह गयी हैं , हिन्दी ब्लोगिंग मे

अपने हम उम्र को जो बुजुर्ग कहते हैं
सारी उम्र बच्चे ही बने रहना चाहते हैं
अपने अंदर के बच्चे को जीवित रखना
आसन नहीं होता पर
हर समय बच्चा बने रहना
भी क्या सही होता ??
ऐसा लगता हैं
जैसे कि आप चाहते हो
सब बस आप पर ही ध्यान दे
आप को ही सहेजे समेटे
और आप इठलाते रहें
तुतलाते रहे
मुहं मे अंगूठा डाल कर
चूसते रहे और
दूसरो को ठेंगा दिखाते रहे
मन मे भ्रम आप ने है पाला
कि आपका ही शायद जन्म सिद्ध अधिकार हैं
दूसरो कि समय असमय खिल्ली उड़ाने का
और जो प्रतिवाद करे
उस पर तोहमत लगाने का
कि उसको हास्य समझ नहीं आता
या उसको तो हँसना ही नहीं आता
किसी कि व्यक्तिगत जीवन शैली को
प्रश्न चिन्ह करने का अधिकार शायद
हिन्दी ब्लॉगर होते ही आप को
मिल जाता हैं
और शायद इसीलिये
हिन्दी कठपुतली बन कर रहगयी हैं
हिन्दी ब्लोगिंग मे
कुछ साहित्यकार हैं कुछ पत्रकार हैं
कुछ पुराने हैं कुछ पुरानो के ताबेदार हैं
डोर से जिन्होने बाँधा हैं हिन्दी कि ब्लोगिंग को
जब मन करेगा वो हिलाएगे
आप ताली ना बजाओ तो चमेली का तैल लगायेगे
अच्छा लिखो तो पैरोडी बनाते हैं
उनको पसंद ना आए तो अपरिपक्व लेखन बताते हैं
कविता विधा नहीं हैं ब्लोगिंग की बार बार वो समझाते हैं
ब्लॉग को चिट्ठा बता कर मेड इन इंडिया का लेबल जो लगाते हैं

कहां जाए वो बेचारे जो केवल और केवल ब्लॉगर हैं
कभी ये क्यूँ नहीं बताते हैं

October 05, 2008

लाईट लो बिटिया - पत्नी बनकर जीवन लाईट होता हैं

तुम सदियों से लाईट लेते रहे
पत्नी पर व्यंग करते रहे और
सुधिजन संग तुम्हारे मंद मंद हँसते रहे
घर मे हमको लाकर
व्यवस्था के नाम पर
वो सब हम से करवाया
बिना हम से पूछे की
क्या हमने करना भी चाहा
हमारी पढाई गयी चूल्हे मे
तुम्हारी पढ़ाई से तरक्की हुई
हमारे माता पिता का सम्मान
उनके दिये हुए सामान से
तुम्हारे माता पिता का सम्मान
तुम्हे पैदा करने से
हम चाकर तुम मालिक
घर तुम्हारा बच्चे तुम्हारे वंश तुम्हारा
तुम हो तो हम श्रृगार करे
ना हो तो सफ़ेद वस्त्र पहने
हम पर कब तक व्यंग
और फब्तियां कसोगे
उस दिन समझोगे की
पिता की पीडा क्या होती हैं
जब अपनी बेटी ब्याहोगे
हम तब भी उसको यही समझायेगे
जो हमारी माँ ने हमको समझाया
बिटिया निभा लो जैसे हमने निभाया
समझोते का नाम जिन्दगी हैं
और जिन्दगी जीने का अधिकार
पति का हैं
पत्नी को तो जीवन
काटना होता हैं
लाईट लो बिटिया
पत्नी बनकर जीवन लाईट होता हैं
क्योकि भार तुम्हारा , तुम्हारा पति कहता हैं
की वह ढोता हैं
और
समय असमय व्यवस्था के नाम पर
पत्नी को कर्तव्य बोध कराता हैं
फिर
ख़ुद लाईट हो जाता हैं

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