मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

December 31, 2011

मेरा कमेन्ट

आप की एक अभिन्न ब्लॉग मित्र हैं जो आज कल ब्लॉग लेखन में उतना सक्रिय नहीं हैं उनकी एक पोस्ट आयी थी
जिस पर मैने कमेन्ट दिया था जो मैने अपने ब्लॉग पर सहेज दिया हैं क्युकी उनकी पोस्ट पर कमेन्ट दिखने बंद है .
here is the link
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html
उस पोस्ट पर
here is the link
http://swapnamanjusha.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html#comment-form
आप की क़ोई आपत्ति नहीं याद पड़ती ????? ना ही मेरे कमेन्ट की तारीफ में आप का क़ोई कमेन्ट .
ख़ैर आते हैं अन्ना की बात पर और ब्लॉग जगत की "नारी " की चुप्पी पर कारण सहज हैं ये वक्तव्य एक पुरुष का हैं और सारे पुरुष जैसे राज भाटिया एक स्वर में इसके समर्थन में खड़े हैं और रहेगे जैसे उस पोस्ट पर थे जो आप की मित्र की थी , वो महिला हो कर ये सब कह सकती थी और इस ब्लॉग जगत में समर्थन भी पा सकती थी . तारीफ़ भी और नारी ब्लॉग पर अगर सही भी लिख दिया जाये तो मुझे आप जैसे सहज ब्लॉगर भी "विघ्नसंतोषी" की उपाधि से नवाजते हैं .
here is the link
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_9611.html?showComment=1290494506029#c4501753229830411178
आज के अखबार में एक और खबर हैं ऐसी ही एक पुलिस अधिकारी ने कहा हैं की महिला के कपड़े रेप का कारण हैं और चिदम्बरम ने तुरंत उस ब्यान को ख़ारिज किया हैं , वो भी चाहते हो इंतज़ार कर सकते थे की कब महिला आयोग जागेगा .
पुरुष की गलत ब्यान बाज़ी के खिलाफ पोस्ट लिखी नहीं की "नारी " पुरुष विरोधी हो गयी . अभी ३ कमेन्ट हैं और २ आप के विचारो के खिलाफ हैं जो की "पुरुष" के कमेन्ट हैं , वो "पुरुष " जो अन्ना में भी सहज रूप से बैठा हैं .

इन सब बेहूदी बातो का विरोध नारी ब्लॉग पर बंद हो गया हैं क्युकी नारी ब्लॉग पर मोरल पुलिसिंग बंद कर दी वो मोरल पुलिसिंग जो सदियों से पुरुष नारी की करता हैं

आप ने माना की ब्लॉग जगत की "नारी " का विरोध सही होता हैं इसके लिये थैंक्स , हाँ कह सकते हैं देर आये दुरुस्त आये ।

मेरा कमेन्ट

December 27, 2011

हिंदी ब्लोगिंग की पहचान

हिंदी ब्लोगिंग की पहचान अब तक केवल और केवल हिंदी साहित्य की शाखा के रूप में हो पाई हैं । हर मीटिंग , मेल जोल ब्लॉगर मिलन , खान पान , दोस्ती , भाईचारा , बहनापे और कविता पाठ , किताब विमोचन गीत ग़ज़ल और पीना पिलाना तक ही सिमित हुआ हैं ।
वो ब्लॉगर भी जो मुद्दों से जुड़ कर ब्लॉग पर लिखते इन मीटिंग में केवल और केवल मनोरंजन की चाह और मेल जोल के लिये ही जाते हैं
ना जाने कितने ब्लॉग पर पिछले एक महीने या दो महीने में ब्लोगिंग , टिपण्णी , पाठक , कंटेंट , और भी ना जाने कितने विषयों पर पोस्ट आयी हैं पर साल के अंत में बात वही की वही हैं
सक्रियता से वही मिल जुल रहे हैं जो साहित्यकार बनना चाहते हैं , कवि कहलाना चाहते हैं ।
सिमित दायरा हो गया हैं हिंदी ब्लोगिंग का या सिमट गयी हैं हिंदी ब्लोगिंग
पता नहीं पर ब्लोगिंग का जो स्वरुप हैं या जिस स्वरुप की कल्पना कर के या जिस स्वरुप की खोज में हिंदी ब्लॉग लिखना शुरू किया था वो स्वरुप कही नहीं हैं
सभी को आने वाले वर्ष की बधाई

December 09, 2011

मेरा कमेन्ट

हर देश के अपने कानून हैं और उनको मानना चाहिये

हमारी क़ोई भी कंपनी या व्यक्ति किसी भी देश में जाता हैं तो उसको मजबूर किया जाता हैं कानून मानने के लिये और सजा भी दी जाती हैं
लेकिन हमारे यहाँ उलटा हैं
ये कंपनियां अपने देश के कानून के हिसाब से चलती हैं और हमारे यहाँ का कानून मानने से इंकार करती हैं

६० साल की आज़ादी के बाद भी ऐसा लगता हैं जैसे वो हमारे यहाँ ऑफिस खोल कर क़ोई अहसान कर रहे हैं

December 04, 2011

जानकारी चाहिए

माँ - पिता की एक अपनी व्यक्तिगत लाइब्ररी हैं जिस मै हिंदी की कुछ पांडुलिपियाँ और पुस्तके हैं जो अब नहीं मिलेगी । माँ अब ये सब पुस्तके किसी अच्छी संस्था को सौपना चाहती हैं जहां ये हिंदी के छात्रो के काम आ सके । अगर किसी के पास ऐसी किसी भी संस्था अथवा लाइब्ररी का पता हो तो निवेदन हैं मुझ से संपर्क कर ले ।

ये व्यक्तिगत लाइब्ररी इस समय गाजियाबाद में हैं और पुस्तके वही से आकर ली जासकती हैं

December 02, 2011

मेरा कमेन्ट

इस पोस्ट का महत्व इसलिये हैं क्युकी सोचने की जरुरत हैं . जो जानकारी हैं उसको बांटने का मन हैं

जो लोग ये कह रहे हैं की भारत में डिग्री खरीदी जाती हैं गलत नहीं हैं पर क्या वो जानते हैं की ये चलन विदेशो में यहाँ से ज्यादा हैं . आप नेट पर जाकर गूगल करिये गेट डिग्री तो आप को हजारो ऐसी उनिवार्सिटी दिखेगी जो अमेरिका और ब्रिटेन के छोटे शहरो में बसी हैं और दूर शिक्षा के माध्यम से आप को किसी भी डिग्री को उपलब्ध करा देगी बस पैसा होना चाहिये .
इसके अलावा बहुत सी प्राइवेट बेहतर शिक्षा का "भरोसा " दे कर भारत से लोगो को लुभा कर वहाँ बुलाती हैं और बाद में वहाँ पहुचने पर पता चलता हैं की वहाँ पढायी की क़ोई व्यवस्था नहीं हैं हा डिग्री मिलती हैं .
जो डॉक्टर की पढाई यहाँ कम में होती हैं वही वहाँ ३ गुना ज्यादा फीस में होती हैं क्युकी उसके बाद लोगो को लगता हैं वहाँ सैलिरी भी ३ गुना मिलेगी .
पिछले एक साल में ना जाने कितनी फेक उनिवार्सिटी का पर्दाफाश हुआ हैं ज़रा गूगल कर के देखे .

फरक इतना हैं की अभी भी आम भारतीये को विदेशी दंद फंद का पता नहीं हैं वो केवल अपने , अपने लोगो बेईमान समझता हैं .
असली फरक हैं न्याय व्यवस्था का , वहाँ के कानून सख्त हैं पर केवल वहाँ के नागरिक इस का फायदा उठा सकते हैं भारतीये नागरिक है ही दोयम दर्जे के दूसरी जगह .

अब बात कर ते है की जो डॉक्टर हैं वो अगर आ ई अस बन जाते हैं तो किसी और का नुक्सान हो जाता हैं और वो अपनी शिक्षा और डिग्री का फायदा नहीं लेते हैं
इस से ज्यादा भ्रमित करने वाली बात हो ही नहीं सकती हैं
आ ई अस में आने के बाद आप जिस विषय में पारंगत है आप को उस विषय से सम्बंधित विभाग के मंत्री के नीचे काम करना होता हैं . स्वस्थ्य मंत्रालय में काम देखने के लिये डॉक्टर से बेहतर कौन हो सकता हैं ??? और क्युकी हमारे यहाँ मंत्रियों के लिये क़ोई डिग्री का प्रावधान नहीं हैं इस लिये उनके नीचे काम करने वाले डिग्री होल्डर हो तो कुछ तो व्यवस्था ठीक होगी .
जिसके पास कानून की डिग्री नहीं होगी उसको तो किसी अदालत में अपनी बात कहने का भी अधिकार नहीं हैं चाहे वो कानून की शिक्षा में कितना भी पारंगत क्यूँ ना हो .
शिखा जी आप जिस शिक्षा की बात कर रही हैं वो शायद किताबी शिक्षा नहीं हैं केवल जीने की और आत्म सम्मान से जीने की शिक्षा हैं , नैतिकता की शिक्षा जो सही हैं किताबी ज्ञान से डिग्री से ये नहीं आता हैं लेकिन { मजाक में ले } मोरल साइंस की भी डिग्री दी जाती हैं जो पादरी , नन , पंडित इत्यादि लेते हैं .
नैतिकता , जीवन का संघर्ष और ईमानदारी व्यक्तिगत होते हैं और इसको माँ पिता भी एक लिमिट तक ही अपने बच्चो में स्थापित कर सकते हैं बाद में survival of the fittest and self will power and needs , ही काम आते हैं .

आज अन्ना की टीम में जितने लोग हैं सबके पास डिग्री हैं तभी वो व्यवस्था से डंके की चोट पर लडते हैं , एक अईअस हैं दूसरा आईपीअस ,तीसरा वकील
अन्ना के पास जितनी शिक्षा हैं वो इन तीनो के पास नहीं हैं पर इन तीनो की डिग्री के बिना अन्ना की लड़ाई भी संभव नहीं हैं

December 01, 2011

मेरा कमेन्ट

मेरी असहमति दर्ज की जाए

डिग्री और शिक्षा
इस विषय पर ध्यान देने की बात हैं की अगर किसी को जीविका चलानी हैं तो किसी ना किसी डिग्री की आवश्यकता होती ही हैं { डिग्री से अर्थ हैं उस विषय में जिस में किसी को नौकरी करनी हैं ना केवल पारंगत होना अपितु उस पारंगत होने का प्रमाण पत्र भी होना } डिग्री महज एक प्रमाण पत्र हैं उस विषय में आप प्रवीण हैं इसका .
शिक्षित होना बिना डिग्री के भी हो सकता हैं लेकिन जहां डिग्री धारी खड़े होते हैं वहाँ केवल शिक्षित को नौकरी शायद ही मिले .
शिक्षा से आप के सोचने का नजरिया बदलता हैं
आप का ये कहना गलत हैं की हमारे यहाँ शिक्षा का स्तर नीचा हैं और डिग्री आराम से मिल जाती हैं . हमारे यहाँ डिग्री होल्डर इस लिये ज्यादा हैं क्युकी हमारे यहाँ शिक्षा को महत्व दिया जाता हैं . हमारे यहाँ शुरू से गुरुकुल की परम्परा रही हैं जहां शिक्षा और स्वाबलंबन की शिक्षा साथ साथ दी जाती हैं .
खुद ओबामा ने कहा हैं की भारत के ऊँचे शिक्षा स्तर का मुकबला करना अमरीकियों का मकसद हो नहीं तो वो पिछड़ जायेगे .
ब्रिटिश में भी शिक्षा के साथ डिग्री का बेहद महत्व हैं नर्स डॉक्टर इंजिनियर वहाँ इस लिये इंडिया से बुलाये जाते हैं क्युकी उनको वहाँ के नागरिक से आधी तनखा दे कर भी काम चल जाता हैं . ये भारतियों की नाकाबलियत नहीं हैं उनका शोषण जरुर हैं .
एक designer हूँ मै भारत मे रह कर नेट के जरिये आर्ट वर्क बना कर भेजती हूँ . जिस आर्ट वर्क का मुजे वो ३०० डॉलर देते हैं उसका वहाँ १००० डॉलर देना होता हैं इस लिये वो मुझे काम देते हैं . लेकिन जो काम मै वहाँ के लिये करती हूँ वैसे काम का यहाँ मुझे २० डॉलर भी नहीं मिलता करना यहाँ उस तरह का काम होता ही नहीं हैं तो मिलेगा कहा से . मेरी डिग्री उन्होंने कभी मांगी नहीं क्युकी मेरा काम उनको पसंद आया लेकिन वही अगर मुझे वो नौकरी देगे तो डिग्री की मांग होंगी .

हमारे इंजिनियर , डॉक्टर या क़ोई भी जिसमे बढई , प्लुम्बेर इत्यादि भी शामिल केवल और केवल पैसा कमाने के लिये वहाँ जाते हैं क्युकी यहाँ उतना पैसा नहीं हैं १००० की जगह ३०० ही सही .
अपमान इस लिये होता हैं क्युकी वहाँ के देशवासी इनको अपना नौकर से ज्यादा नहीं समझते और वो अपमान यहाँ भी होता हैं जहां भी प्राइवेट नौकरी हैं .

हमारी शिक्षा पद्धति मे क़ोई गड़बड़ नहीं हैं बस जन संख्या ज्यादा हैं और रोजी रोटी की मारामारी रहती हैं

गुरुकुल से लेकर आज तक डिग्री और शिक्षा दोनों मे हमारे देशवासी आगे ही हैं
फोर्ब्स की लिस्ट उठा कर देखिये आप को खुद एहसास होगा

योग्यता का महत्व कम नहीं हैं योग्यता की परख करने के लिये टाइम पीरियड की जरुरत होती हैं वही डिग्री आप की योग्यता का प्रमाण पत्र हैं

November 30, 2011

वालमार्ट - आप पक्ष में या विपक्ष में ??

वाल मार्ट - भारती एयर टेल के साथ भारत में पहले ही आ चूका हैं
कर्फुर भी मुझे दिल्ली में दिखा
जहाँ तक मेरा ख्याल हैं वाल मार्ट में बिकने वाला सामान सब चाइना का होगा , दाल सब्जी समेत क्युकी वहाँ से सस्ता कहीं नहीं मिलता . वहाँ से खरीद कर वालमार्ट सब जगह बेचता हैं
भारत से भी तमाम एक्सपोर्टर अपना माल इन कंपनियों को बेचते हैं लेकिन ओपन अकाउंट और क्रेडिट पर लेकिन उन मे से ९० प्रतिशत भी खुद कुछ नहीं बनाते हैं . सब बनवाते हैं
यानी बिचोलिये ही हैं
वाल मार्ट की अपनी ऑफिस बंगलौर में २० साल से माल खरीदने कर आगे बेचने के लिये वहाँ भारतीये नौकरी करते हैं पर एक्सपोर्टर से तगड़ा कमीशन लेते हैं माल पास करने का
छोटे एक्सपोर्टर को कोई नहीं गिनता

वालमार्ट के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी
और हाँ अभी जो बच्चे खेतो में काम करते हैं वो भी नहीं कर सकेगे क्युकी बाल मजदूरी वालमार्ट को मंजूर नहीं

तैयार हो जाए चाइना का ५० किलो का कद्दू का एक टुकड़ा खाने के लिये या २० किलो के टमाटर का एक टुकड़ा खाने के लिये
अभी अगर फ्रीज से काम चला लेते हैं तो पत्नी श्री के लिये डीप फ्रीजर लेने के लिये वालमार्ट ही जाना होगा

और हाँ विदेशो में इन स्टोर में समान इस लिये सस्ता मिलता हैं क्युकी खरीद वहाँ से होती हैं , उस देश से जहां समान सस्ता होता हैं यानी भारत , चाइना , विएतनाम इत्यादि

अब भारत से खरीद कर भारत में ही बेचेगे तो सस्ता का फंडा क्या चलने वाला हैं ??
हाँ वो अमीर भारतीये बिजनेस मेन जिन्होने इन कंपनियों में भारतीये पैसा निवेश कर रखा हैं वो अपने निवेश को इन कंपनियों से निवेश करवा कर शायद वापस ला सके ।

लेकिन हमारे छोटे उद्योगों को ख़तम करने का नया तरिका हैं ये ।

November 29, 2011

समय बदल रहा हैं

Dreze calls BPL census 'Kaun Banega Scorepati'
Uddi Gujjar from Rajasthan is a widow with two minor sons। She owns a bigha of unirrigated land and lives in a two-room house with a cement roof. So far, she is considered deprived, and is entitled to government benefits. But under the Social Economic Caste Census (SECC), she will not

make the cut.

Cases like hers - which would include many of the country's 30 crore poor - have prompted development economist Jean Dreze to term SECC 'Kaun Banega Scorepati'.

The census, started about four months ago, is being conducted by the rural development ministry.

The idea is to identify the poor who would be eligible for different schemes, including subsidised ration.

The census aims to rank households on a scale of 0 to 7 depending on deprivation. For each deprivation, the household gets one point. But qualifying for the points is no mean task.

Consider the following conditions:

Anyone with a living in a one-room house, with tin roof and brick walls will not be poor.

A household should not have adult members between the age of 16 and 59 (very rare) to be considered poor.

During a Right To Food campaign, a month ago a group of NGOs, tested the census methodology in a village in Rajasthan. Only three families met the criteria for poverty though as many as 27 families have BPL cards.

Manas Ranjan, a member of the campaign, said "If a household lives in a room whose dimensions are enough for a person to sleep or stand, they will not get a deprivation point ...," he said.

Dreze said the government had put the cart before the horse by deciding to introduce the proposed food security law in the winter session before SECC is completed। Describing the proposed law as "ill-devised" with a "straightjacket approach", he said.


अभी कुछ दिन पहले मैने अपनी एक पोस्ट से सम्बंधित एक पोस्ट पर कमेन्ट में कहा था की गरीब को जल्दी ही री डिफाइन करना होगा

आज ऊपर दी हुई खबर पढ़ी । देखिये समय बदल रहा हैं


November 25, 2011

कुछ लिंक अगर आपत्ति दर्ज करवाना हो तो

आपत्ति हो और दर्ज ना करवाई जाये तो आपत्ति होनी ही नहीं चाहिये हमे नहीं पसंद हैं ये सब , ये सब बदला जाए कौन बदलेगा ? आप बदलने के एक कंप्लेंट तो कर ही सकते हैं

भारतीये महिला अगर पोर्न स्टार बनती हैं और इस बात को निसंकोच कहती हैं तो क्या वो
बेशर्म हैं
भारतीये नहीं हैं
महिला ही नहीं हैं
महिला के नाम पर धब्बा हैं

क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को हम कलाकार मान सकते हैं
क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को भारतीये टी वी पर किसी प्रोग्राम में आना चाहिये
{ अब ये प्रश्न बेकार हैं क्युकी एक बिग बॉस में चुकी हैं }

पोर्न फिल्मो का बाज़ार बहुत बड़ा हैं और केवल पुरुष ही नहीं महिला भी इसको बड़े चाव / inquisitiveness से देखती हैं और बच्चो की बात तो रहने ही देकिसी भी घर के कंप्यूटर पर कुछ शब्द डाल कर सर्च करे कंप्यूटर को अनगिनत शब्द दिख जाते हैं जिनको डाल कर इन साईट पर पहुचा जाता हैं
लेकिन टी वी पर आना और नेट पर देखना दो अलग अलग बाते हैंनेट पर जो देखते हैं वो स्वेच्छा से उन साईट पर जाते हैं और टी वी पर देखना कई बार थोपा जाना होता हैंयानी जैसे बिग बॉस के दर्शको के लिये एक पोर्न स्टार का आना या वीणा मालिक जैसी पाकिस्तानी अभिनेत्री का स्वयम्बर टी वी पर होनाक्या भारतीये परिवेश में एक पाकिस्तानी लड़की का स्वयंबर होना सही हैंक्या ये एक प्रकार का आमत्रण नहीं हैं की हमारे यहाँ के युवा के लिये वो आये और खुले रूप में विना मालिक के साथ नाचे गायेचलिये लोग कहेगे ये काम हैं और मै भी यही मानती हूँ रियल्टी शो मात्र एक काम हैं लेकिन वो काम हमारे यहाँ के लोगो को दिया जाये { वीणा मालिक को करोड़ की डील देना कितना जायज़ हैं जबकि हमारे यहाँ भी कलाकार हैं जो ये नकली स्वयम्बर रच सकते हैं } । बड़ी बात ये हैं की क्या इस प्रकार के स्वयंबर होने ही चाहिये क्या पोर्न स्टार को टी वी के जरिये हमारे घरो में प्रवेश करना चाहिये ??

अगर आप समझते हैं नहीं तो ये लिंक आप के काम के हैं जहां जा कर आप अपनी आपत्ति दर्ज तो करवा ही सकते है

लिंक
लिंक

आज कल अगर आप ने ध्यान दिया हो तो हर प्रोग्राम में जिसमे न्यूज़ भी शामिल हैं बराबर एक टिंकर दिखाया जाता हैं की अगर दर्शक को आपत्ति हैं तो यहाँ दर्ज कर केवो लिंक http://ibfindia.com का हैं वहाँ जा कर अपनी बात कहने के लिये इस लिंक को क्लिक करे

आपत्ति हो और दर्ज ना करवाई जाये तो आपत्ति होनी ही नहीं चाहिये । हमे नहीं पसंद हैं ये सब , ये सब बदला जाए कौन बदलेगा ? आप बदलने के एक कंप्लेंट तो कर ही सकते हैं

अनुग्रह मानिये और करिये
लिंक
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Contact

The Secretary
Broadcasting Content Complaints Council
C/o Indian Broadcasting Foundation,
B-304, Ansal Plaza, New Delhi 110047
Phone Nos. 011-43794488
Fax No. 011-43794455
Email : bccc@ibfindia.com
Website: www.ibfindia

November 15, 2011

मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही ।

राहुल गाँधी ने कह दिया यूपी से जो बाहर हैं वो सब भीख मांग रहे हैं , राहुल गाँधी खुद ही यूपी से बाहर हैं अब उनकी बात उन पर भी तो लागू ही होती हैं । ज़रा बताये क़ोई कहां कहां भीख मांगने का सिलसिला जारी हैं ।
मायावती ने कह दिया यूपी को चार भाग में बाँट दो , सही हैं इतना बड़ा राज्य हैं जो सत्ता में आजाता हैं ताकत रखता केंद्र तक को हिलाने की , बड़ा राज्य ज्यादा वोटर । सो मायावती ने झगड़े की जड़ को मिटाने की सोच ली ।
चार मुख्यमंत्री होगे , चार ताकते होगी । यानी बी अस पी के चार चीफ मिनिस्टर । सोचिये सोचिये राहुल गाँधी का भविष्य क्या होगा , पता नहीं भीख मांगने लायक भी रहेगे या नहीं ।

माया राज्य में लखनऊ के लोग खुश हैं , साफ़ सुथरा रास्ता , फ्लाई ओवर और शहर का काया कल्प । कम से कम शहर को सहारा इंडिया परिवार ने तो नहीं हथिया लिया वरना ३ साल पहले तो उनकी योजना तगड़ी थी ही । लखनऊ को हर जगह "सहारा लखनऊ " कहा जाने लगा था । यहाँ तक की सरकारी कार्यक्रम जिनमे सहारा स्पोंसर होते थे वहाँ बैनर पर सहारा लखनऊ लिखा जाता था ।

लखनऊ यानी अपना देश अपनी जनम भूमि जिसको १९६५ में छोड़ कर माँ पिता दिल्ली आगये थे पर भीख नहीं मांगी थी और ना स्वाभिमान से क़ोई समझोता किया । हाँ लखनऊ कभी वापस बसने ना जा पाए । आज मै अपने दम पर लखनऊ के पास सीतापुर में दरियां बनवाती हूँ और निर्यात करती हूँ मन में वही बात की अपनी जन्म भूमि से जुडो । दिल्ली कर्म भूमि हैं और लखनऊ जनम भूमि ।
पिता के मन में हमेशा एक मकान वहाँ लेने की लालसा रही जीवन में पूरी नहीं हुई , माँ ने पिछले साल वहाँ एक फ्लैट लेने की बात कहीं और किश्तों पर ले भी लिया । एक कमरे का फ्लैट कभी उनको इतनी संतुष्टि देगा उन्होने खुद भी नहीं सोचा । अब इंतज़ार में हैं कब मिले और वो अपने पति का सपना पूरा करे । ऐसी पत्नी पाना मुश्किल हैं पर पिता को मिली सच्चे रूप में एक अर्धांगिनी जिसके लिये पति का सपना पूरा हो जाना मात्र एक उपलब्धि हो गया ।

अब मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही । भारत की हैं और रहेगी हमारी हैं और रहेगी । जनता के नौकर हैं और जनता को ही बाँट रहे हैं । किसी दिन जनता ने बांटना शुरू किया तो कौन कहां भीख मांगेगा पता नहीं चलेगा ।

एक ने पूरे देश में अपने परिवार के नाम पर ना जाने क्या क्या बनवा दिया जैसे पैसा जनता का नहीं उनके परिवार को हो , तो दूसरा पुतले और हाथी लगवा रहा हैं ।

जनता जहां थी वही हैं और रहेगी बस जिस दिन जग गयी उस दिन अपनी अपनी ख़ैर मनाये । २०० साल अग्रेजो ने राज्य किया और सोच लिया भारत उनका हैं एक झटके में इस देश के लोगो ने उनको निकाल कर ही दम लिया ये लोग क्या चीज़ हैं ।

बस जगने की देर हैं

November 13, 2011

क्यूँ मिलना चाहिये विजय माल्या की कम्पनी को बेल आउट ??

लीजिये अब किंग फिशर एयर लाइन को बेल आउट चाहिये । यानी नुक्सान इतना की वो चाहते हैं सरकार उनकी एयर लाइन में पैसा देकर नुक्सान की भरपाई करे । आम टैक्स देने वाली जनता का पैसा सरकार इनको दे ताकि ये अपने हवाई जहाज चलाते रहे ।


विजय माल्या की कंपनी हैं किंग फिशर ।

विजय माल्या यानी
Vijay Mallya (Kannada: ವಿಜಯ್ ಮಲ್ಯ; born 18 December 1955) is an Indian liquor and airline baron. The son of industrialist Vittal Mallya, he is the chairman of the United Breweries Group and Kingfisher Airlines. His United Spirits is world's second largest liquor maker, by volume. Mallya has also MP of India.

He also co-owns the Formula One team Force India, the Indian Premier League team Bangalore Royal Challengers, and the I-League team East Bengal FC.[2]
According to Forbes, his personal wealth is estimated to be $1.4 billion.[3] Mallya receives substantial press coverage that focuses on his lavish parties, villas, automobiles, Force India, Royal Challengers Bangalore and his yacht, the Indian Empress.[citation needed]

विजय मलाया ने £175,000 खर्च कर के टीपू सुलतान की तलवार खरीदी थी यानी 14009806.६३ रूपए इसके अलावा
उन्होने US$1.8 million खर्च कर के महात्मा गाँधी के पत्रों को भी खरीदा था ।

और अभी फ़ॉर्मूला १ में उनकी टीम थी , आ ई पी अल में भी उनकी टीम हैं

यानी पैसा ही पैसा हैं पर अपने बिज़नस के लिये उनको सरकारी फंड से बेल आउट चाहिये ।

ना जाने कितने छोटे बिज़नस करने वाले पिछले कुछ सालो में सपरिवार आत्म हत्या कर चुके हैं उनके बेल आउट के लिये किसी ने नहीं सोचा और मनमोहन सिंह जी को विजय माल्या जी के लिये सरकारी खजाने को लुटाने की जल्दी हैं

अब इस के बाद जब घाटा होगा { कागजी घाटा } फ़ॉर्मूला १ में या आई पी अल में तब विजय माल्या क्या करेगे ???


क्यूँ मिलना चाहिये विजय माल्या की कम्पनी को बेल आउट ??

क्या वो जनता को कम किराए पर ले जा रहे थे ?
क्या केवल इस लिये की उनकी अपनी सम्पत्ति पर आंच ना आये और बिज़नस का पैसा अब सरकारी खजाने से मिले

सोचिये जरुर

November 09, 2011

तीज त्यौहार किसी भी धर्म के हो उस दिन खुशिया मानना चाहिये क्युकी खुशियाँ जिन्दगी में कम ही आती हैं

मेरा कमेन्ट यहाँ


कुर्बान करना
कुर्बान होना
दोनों अलग बाते हैं
क़ोई अपने बेटे को गलत काम करने पर समाज हित में जेल भेज देता हैं ये हुआ अपने फायदे की क़ुरबानी
क़ोई अपने बेटे के गलत काम करने पर भी उसको सजा से बचाता हैं समाज के हित की ना सोच कर ये हुई समाज के हित की क़ुरबानी .

क़ोई किसी से प्रेम करता हैं और अपना सर्वस्व न्योछावर कर सकता हैं अब वो प्रेमी , देश , समाज , धर्म कुछ भी हो सकता हैं ये हैं fanatic क़ुरबानी इसमे आप नफ़ा नुक्सान नहीं सोचते हैं बस कुर्बान होना चाहते हैं

लोग बकरों की क़ुरबानी की बात करते हैं जबकि बकरा कटने के अगले दिन बहुत परिवारों में गाय की क़ुरबानी के बिना ईद संपन्न ही नहीं मानी जाती हैं .

सवाल अगर मासाहार और शाकाहार का होता तो हिन्दू सब शाकाहार ही होते , लखनऊ में तो बीफ टेलो खुले आम बिकता हैं और हिन्दू घरो में आता हैं .
और ये मत भूलिये की मक डोनाल्ड में इसी बीफ टेलो में फ्रेंच फ्राई बनाये जाते हैं { भारत में विवाद होने पर बंद कर दिया गया पर विदेशो में अभी भी हैं और सब हिन्दू खाते हैं }

अगर किसी धर्म में बकरा और गाये जिबह करके सबाब मिलता हैं और वो इस सबाब को लेना चाहते हैं तो ये उनकी समस्या हैं और आप या मै इस मै क़ोई बदलाव नहीं ला सकते हैं .

समस्या ये नहीं हैं समस्या हैं की जो लोग होली पर होलिका दहन को गलत बताते हैं वही जब बकरे और गाय की क़ुरबानी को सही ठहराने के लिये सारी पोथी पत्रा लेकर बैठ जाते हैं तो स्थिति पर क़ोई नियंत्रण नहीं रहता हैं .

होली दिवाली ईद बकरीद बड़ा दिन और गुरु नानक जनम दिन पर अगर इतनी बहस इन सब बातो पर ना की जाए तो क्या जिन्दगी रुक /बदल जायेगी .

ये सब बहस हैं और कुछ नहीं , जिस की जो धार्मिक रीत हैं उन में बदलाव संभव हो ही नहीं सकता हैं
तीज त्यौहार किसी भी धर्म के हो उस दिन खुशिया मानना चाहिये क्युकी खुशियाँ जिन्दगी में कम ही आती हैं उस दिन समझाइश की पोस्ट ना ही आये तो क्या ही बेहतर होगा .

हम को कोशिश करनी चाहिये कि हम अपने धर्म कि विकृतियों पर लिखे ना कि दूसरे धर्म की।

November 08, 2011

राय दे

सरकार का कोई भी प्रयास कुछ नहीं कर सकता क्युकी जो लोग "गरीब " हैं वो अपने बच्चो को पैसा कमाने की मशीन मानते हैं और खुद कहते हैं की बच्चे ज्यादा होने से कोई नुक्सान नहीं होता . उनके हिसाब से बच्चो पर कोई खर्चा ही नहीं होता हैं . उनका तो एक ५ साल का बच्चा भी रद्दी जमा करके दिन में ३० रूपए कमा लेता हैं

सोच कर देखिये शोषण अब किस का हो रहा हैं ?? उनका जिनके यहाँ कम बच्चे हैं और स्तर गरीबी की रेखा से ऊपर हैं या उनका जिनके यहाँ ज्यादा बच्चे हैं , स्तर गरीबी रेखा से नीचे हैं । जिनको फ्री शिक्षा हैं इत्यादि


आप की राय और कमेन्ट के लिये ये लिंक हैं

November 01, 2011

शायद समझ जाए

कल मुझे एक मेल भेजी गयी हैं , मेल फॉरवर्ड की हुई मेल हैं और उसमे नीचे ओरिजिनल मेल भेजने वाले का नाम और फ़ोन नंबर भी हैं ।
मेल जिस ने मुझे भेजी ना तो मै उनकी मित्र हूँ और ना उनके मित्र की मित्र हूँ जिनका नंबर वो मुझे फॉरवर्ड कर रहें हैं ।

और ये क़ोई नये ब्लोगर नहीं हैं की ना जानते हो ईमेल कैसे भेजी जाती हैं या किसको भेजी जाती हैं । पहले भी ये महिला के ऊपर अभद्र चुटकुलों के साथ अपने मित्रो को ईमेल फॉरवर्ड करते थे और मेरा आ ई डी भी शामिल करते थे । जब उस आ ई ड़ी पर स्पाम कर दिया तो अब दूसरे पर इनका मेल आना शुरू होगया ।

जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।



पहले भी ये पोस्ट लिखी थी इन्ही सज्जन पर आज फिर लिख रही हूँ । शायद समझ जाए

October 27, 2011

बिजली संकट गहराया - चेतिये

हम बिजली की कमी के भारी संकट की तरफ बढ़ रहे हैं ।
पता नहीं आप में से कितने लोग जानते हैं की बिजली बनाने के लिये जो कोयला उपयोग में आता हैं इस समय केवल एक सप्ताह भर के लिये जितना कोयला लगता हैं उतना ही मौजूद हैं ।

आगे क्या होगा पता नहीं ??

October 26, 2011

जरुरी सूचना

जरुरी सूचना

गूगल बज़ को गूगल रिटायर कर रहा हैं
ज्यादा जानकारी यहाँ हैं

Google Buzz is going away, but your posts are yours to keep

In a few weeks we'll be retiring Google Buzz. At that time you won't be able to create any new posts, but your existing content will remain accessible in two ways:

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सभी को दीवाली की शुभकामनाये
सबके मन के अंधरे दूर हो और
मेरा देश हमेशा आगे बड़े और हम उसकी स्वतंत्रता के लिये अपनी जान न्योछावर करने को तैयार रहे ।
हमारे हर फौजी के हर दिवाली के दिये की रौशनी इतनी तेज हो की दुश्मन की आंखे चौधिया जाए

जय श्री राम
वन्दे मातरम

जय हिंद

October 22, 2011

क्या क़ोई ये भ्रम दूर कर सकता हैं ?? सेवा - कर्त्तव्य

क़ोई भी जो अपने बुजुर्ग माँ -पिता के साथ रहता हैं और उनके काम करता हैं उसको सेवा क्यूँ कहा जाता हैं ?? कर्त्तव्य क्यूँ नहीं ?

सेवा करना तो तब होता अगर आप किसी अनजान व्यक्ति जिसने आप के लिये कभी कुछ ना किया हो करते , माँ - पिता के लिये तो कर्त्तव्य या ड्यूटी मात्र हैं ।

माँ - पिता जब बच्चो को बड़ा करते हैं तो अगर वो कर्त्तव्य हैं तो बच्चे जब माँ - पिता के लिये कुछ करते हैं तो वो सेवा क्यूँ

क्या क़ोई ये भ्रम दूर कर सकता हैं ??

October 19, 2011

सुरेश चिपलूनकर जी कहां हो , क्यूँ निस्पक्ष होकर इस समय कुछ नहीं लिखा ?

सुरेश चिपलूनकर जी और वो सब भारतीये संस्कृति के उपसाक जो हर बात में नयी पीढ़ी की मोरल मोलिसिंग करते हैं ख़ास कर महिला की बिलकुल इग्नोर कर गए एक खबर को क्यूँ ??

ठाकरे परिवार के जलसे में मुन्नी बदनाम , जलेबी बाई और शीला की जवानी पर ठुमके लगते रहे और बाबा साहिब ठाकरे की पोते श्री मज़े लेते रहे ।

बाद में उद्धव ठाकरे जी ने कहा भाई नयी पीढ़ी हैं और पार्टी के पी आर ओ कहने लगे मीडिया वो सब देखे जो पार्टी महाराष्ट्र के उत्थान के लिये करती हैं ये प्रोग्राम तो छोटा सा था ।

पोते श्री ने कुछ जवान होने जैसा जुमला दिया ।

कहा हैं वो भारतीये संस्कार जिनकी दुहाई दे कर अमिताभ और सचिन को हडकाया जाता रहा ??
कहां हैं वो भारतीये संस्कार जो महिला के साड़ी ना पहनने पर उसको रंडी तक का तमगा दिया जाता रहा ?

कहा सो गया सारा जमीर ठाकरे परिवार का , अरे और कुछ नहीं तो कम से कम अपने पोते के खिलाफ ही मीडिया में ब्यान देते ।
दूसरो के माँ बाप क्या संस्कार देते हैं ये तो हमेशा सुना दिया जाता हैं पर ये कट्टर हिन्दू परिवार अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या संस्कार दिये हैं ।

और वो सब हिन्दू वादी ब्लॉगर क्यूँ मौन धारण किये हैं इस मुद्दे पर , क्यूँ निस्पक्ष होकर इस समय किसी ने कुछ नहीं लिखा ?

October 13, 2011

ज्वालामुखी से ब्लॉग जगत तक

मेरा कमेन्ट यहाँ




क्रोध के लिये कहते हैं की वो जिस बर्तन में रहता हैं उसको नष्ट करता हैं यानी उसका बहना ही सही हैं
और आज कल तो बर्फ के नीचे भी ज्वालामुखी हैं सो बताना मुश्किल ही हैं की लावा कहां कहां से निकला और कहां कहां बहा !!!
क्रोध हमेशा तबाही लाता हैं नहीं क्रोध किस रूप में होता हैं और किसके विरुद्ध होता हैं फरक इस से पड़ता हैं

शिव का तांडव , काली का मर्दन अगर ना होते तो दुनिया में तबाही वैसे ही आजाती

और अग्नि से ज्यादा पवित्र कुछ नहीं होता , जो जलता हैं उसे तो जलना ही था
शाश्वत क्या हैं बस प्रेम हैं पर प्रेम से लोगो की उम्मीदे ज्यादा होती हैं
लोग देना नहीं चाहते सबको बस मिलना चाहिये प्रेम सो जब दिया नहीं तो पाओगे कैसे


ब्लॉग जगत में पलीता लगा कर तमाशा देखने वाले बहुत हैं , ये ढोंगी हैं और अपने मकसद के लिये किसी को भी पलीता बना देते हैं और फिर गायब रहते हैं जब राख इकट्ठी हो जाती हैं तो आकर छान कर अस्थि विसरर्जन करना चाहते हैं
इन जैसो के लिए दावानल का बहना ही सही हैं ताकि ना राख बने और इनको किसी की अस्थियों का विसर्जन का सुख ना मिले जहां भी हाथ से ये खोजे वहाँ केवल आग ही आग हो

तुम्हारे जवाब का इंतज़ार हैं की क्या वास्तव में क्रोध का होना विनाश हैं

October 10, 2011

कुछ ब्लॉगर अपने कमेन्ट से पहचाने जाते हैं -आप पहचानिये और नाम बताईये

कुछ ब्लॉगर अपने कमेन्ट से पहचाने जाते हैं

आप पहचानिये और नाम बताईये

शुभकामना ब्लॉगर
जय हिंद ब्लॉगर
जय हिंद जय बुन्देलखंड ब्लॉगर
सुंदर प्रस्तुति ब्लॉगर
आभार ब्लॉगर
राम राम ब्लॉगर

और जब इनको पहचान ले तो कुछ हिंट आप भी दे जिन्हे मै पहचाने की कोशिश करूँ

कमेन्ट मोडरेशन सक्षम हैं
सुबह तक के लिये

October 08, 2011

टिपण्णी चेपू ब्लॉगर

अब आप कहेगे ये टिपण्णी चेपू ब्लॉगर कौन होते हैं ।
जी ये वो ब्लॉगर सम्प्रदाय हैं जो आप को किसी किसी ब्लॉग पर हर पोस्ट पर कमेन्ट करता दिखता हैं लेकिन अगर उसी ब्लॉग की क़ोई पोस्ट किसी और जगह किसी प्रसंगवश वाद विवाद संवाद की क्रिया प्रतिक्रिया योजना में किसी और ब्लॉग पर संगृहीत हो गयी हैं तो यही ब्लोगर वहाँ भी कमेन्ट लिखता दिखेगा
"अच्छा लगा आप का लिखना , आप जो कह रहे हैं सही कह रहे हैं । आप के पोस्ट का उद्देश्य बहुत अच्छा हैं । आप का ये प्रयास निरंतर जारी रहे "

अब जिस की पोस्ट की वहाँ धजियाँ उड़ रही हैं वो सोच रहा हैं की कल तक , पिछले ६ महीने से यही या मिलते जुलते शब्द मेरे ब्लॉग पर इनके थे आज जो मेरे ऊपर लिख रहा हैं ये वहाँ भी वही लिख रहे हैं ।

कभी क़ोई इनसे ये पूछने की हिमाकत कर बैठे की आप दोनों जगह कैसे सही कह सकते हैं तो जवाब मिलता हैं मैने ध्यान ही नहीं दिया की फलां फलां ने फलां फलां की पोस्ट को संगृहीत कर दिया वाद विवाद संवाद में ।

लो कर लो बात कल तक जिसको ६ महीने से बांच रहे थे उसके पोस्ट के अंश भी ना पहचाने !!


दिस्क्लैमेर
ब्लोगर जेंडर न्यूट्रल शब्द हैं
टिपण्णी चेपू ब्लोगर जैसा क़ोई सम्प्रदाय है ही नहीं सब सबके माता पिता भाई बहना दोस्त हैं गलबहियां डाले हुए

October 05, 2011

डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं

डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं
हस्ताक्षर - कविता संग्रह और वैनिज़िया - कहानी संग्रह
हिंदी की पुस्तके खरीद कर पढने वाले पाठक उन से इस लिंक पर जा कर संपर्क कर सकते हैं

October 04, 2011

वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??

के बी सी मे कल के महिला कन्टेसटेन्ट आई थी । उन्होने बताया की वो कुछ भी काम नहीं करना चाहती हैं यहाँ तक की वो अपने घर की पूजा भी अपनी मेड से करवा लेती हैं । उनके इच्छा हैं की क़ोई कम्पनी ऐसा क़ोई चिप बनाए जो उनके दिमाग में फिट किया जा सके और फिर जो वो सोचे काम अपने आप हो जाए , जैसे अगर उन्हे लेटे हुए टी वी का रिमोट उठाना हैं तो वो सोचे और रिमोट उनके हाथ में आजाये ।

इन महिला ने सालो से क़ोई भी काम मन से नहीं किया हैं और जो भी उनको करना पडा हैं वो मज़बूरी ही हैं । उनके हिसाब से उन्होने लेप टाप जिस दिन से लिया हैं उस दिन से वो उनके बेड पर रखा हैं और वो उसी को चला लेती हैं और वही छोड़ देती हैं ।

ये महिला एक कॉलेज में प्राध्यापिका थी पर वहाँ बार बार क्लास में जाना होता था , प्रिंसिपल के पास जाना होता था , इस लिये उन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर में ट्यूशन पढ़ाने लगी । जो बच्चे पढने आते हैं वो कहते हैं मैडम बड़ी आलसी हैं काम दे कर कुर्सी पर नहीं बैठती हैं अपने बेडरूम में लेट जाती हैं और फिर तब ही नीचे आती हैं जब बच्चो को जाना होता हैं

इन महिला की मन पसंद किताब हैं The Joy Of Laziness .

इन महिला की बाते सुन कर अमिताभ बच्चन ने कहा की उन्होने ऐसा व्यक्ति अपनी जिन्दगी में नहीं देखा ।

महिला का बड बोला पन साफ़ दिख रहा था , पूरे समय वो अमिताभ को बताती रही की वो कितना सही हैं और जीत भी रही हैं ।
२५ लाख वो जीत गयी और उनकी मुस्कुराहट बता रही थी की वो कितनी प्रसन्न हैं और कितना घमंड भी हो रहा हैं उन्हे अपनी सोच पर । इस के बाद ५० लाख के प्रश्न पर आते आते उनकी सब लाइफ लाइन ख़तम हो चुकी थी

५० लाख का प्रश्न २२ कैरट सोने के आभूषण से सम्बंधित था और महिला ने उसका उत्तर बताया । अमिताभ ने हमेशा की तरह क्युकी उनका उत्तर गलत था उनकी मद्दत करनी चाही की आप चाहे तो quit कर सकती हैं पर उन्होने नहीं किया और कहा वो एक दम सही चल रही हैं और गलत जवाब होने के कारण वो २५ लाख से उतर कर १८०००० पर आगयी और फिर रोते हुए गयी

जब वो जीत रही थी तो मै सोच रही थी कि अगर ये इतना पैसा जीत कर जाती हैं तो बहुत से लोग इस बात को सही मान ही लेगे कि बिना मेहनत पैसा कमाया जा सकता हैं क्युकी वो बार बार इस बात को दोहरा रही सी लगी ।

जब वो हार गयी तो मुझे लगा ईश्वर ने सही न्याय किया

वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??

October 01, 2011

"जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से "

निज़ार कब्बानी की कविता का हिंदी अनुवाद

I Conquer The World With Words by Nizar Qabbani



"जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से "
अनुवाद - रचना

जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से

जीता हैं मातृभाषा को

सर्वनाम , संज्ञा और विषय वर्णन को

बहा दिया हैं शुरुवात की प्रक्रिया को

एक नयी भाषा से

जिस मे हैं संगीत पानी का और सन्देश अग्नि का

ज्वलंत किया हैं मैने आने वाले समय को

और रोक दिया हैं समय को तुम्हारी आँखों मे

और मिटा दी वो महीन रेखा

जो अलग कर रही थी

समय को इस पल से

आधार नंबर

आधार नंबर का एनरोलमेंट शुरू हो चुका हैं । आप सब ने करवाया क्या । आप की RAW इस में आप की सहायता कर सकती हैं । आधार नंबर बनवाने के लिये आप को केवल एक फॉर्म भरना हैं और उसके साथ फोटो पहचान पत्र और प्रूफ ऑफ़ रेसिडेंस जमा करना होगा । उसके बाद biometric होगा और आप की आँखों और उँगलियों की फोटो ली जाएगी । इस प्रक्रिया के तकरीबन ९० दिन के बाद ये नंबर आप को मिल जाएगा ।

ये नंबर एक प्रकार से आप का पहचान पत्र हैं और इस को बनवाने के बाद हर जगह महज ये नंबर देना होगा , किसी और पहचान पत्र की जरुरत नहीं होगी क्युकी आप की सारी जानकारी कम्पूटर पर उपलब्ध होगी ।

विदेश में बसे भारतियों के लिये भी इसको बनाने का प्रावधान हैं ।

ये नंबर unique identification authority of india दे रही हैं
ज्यादा जानकारी यहाँ हैं

September 28, 2011

मेरा कमेन्ट

लोकार्पण - पुस्तक का मतलब अपनी पुस्तक को लोक को अर्पण करना ये मतलब आज पहली बार ही पढ़ा हैं
लोकार्पण /विमोचन इत्यादि का मतलब सहज रूप से बात इतना होता हैं की नयी किताब बाजार में आगयी हैं और आज ओपचारिक रूप से उसका एलान हो रहा हैं .
लोकार्पण / विमोचन लेखक और प्रकाशक दोनों करते हैं / करवाते हैं और इसका मूल उदेश्य किताब को बेचना होता हैं .
लोकार्पण /विमोचन किसी जानी मानी हस्ती से करवाया जाता हैं जो किताब को बिकवाने में सहायक हो
आज कल लोग पैसा भी लेते हैं किसी किताब के लोकार्पण मे आने के लिये
लोकार्पण के बाद भी किताब मे लिखी हर पंक्ति हर शब्द पर लेखक का कॉपी राईट होता हैं अगर ये किताब में लिखा हो तो
जिस किताब में ऐसा नहीं लिखा होता मान कर चलना चाहिये की लेखक ने पाण्डुलिपि प्रकाशक को बेच दी हैं

लेखन का उदेश्य क्या हैं ये आलोचक नहीं बता सकता हैं , आलोचक महज ये बता सकता हैं की उसको किताब / लेख कितना पसंद आया . पाठक जरुर उदेश्य खोज लेता हैं क्युकी पाठक लिखे को बरतता हैं .

वर्तमान कभी ये निर्धारित नहीं कर सकता की नकारात्मक लेखन हैं क्युकी अगर वर्तमान ये निर्धारण कर सकता तो तुलसी को ब्राह्मण समाज की अवेहेलना ना झेलनी पड़ती . समकक्ष लोगो के अपने उदेश्य जुड़े होते हैं किसी को सकारात्मक या नकारात्मक लेखक कहने के लिये और महाभारत के रचियता को तो समाज ने उनके जनम के कारण शायद अपना कभी माना ही नहीं

साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं


लेकिन लोकार्पण साहित्यकार बनने का भोपू मात्र होता हैं और इसके जरिये कोंटेक्ट बनते हैं

मेरा कमेन्ट यहाँ

September 24, 2011

आत्महत्या

आत्महत्या करने वाले कमजोरऔर बहादुर दोनों होते हैं । वो अपने चारो तरफ एक ऐसी दुनिया बना लेते हैं जो जिसमे या तो खुशिया ही खुशियाँ हैं या गम ही गम हैं । लेकिन वो दुनिया उनकी अपनी दुनिया होती हैं और वो दुनिया बाहरी दुनिया से मैच नहीं करती ।

कहीं पढ़ा था जो लोग आत्म हत्या करसकते है वो किसी का खून भी कर सकते हैं
अगर हम मे से क़ोई तंग आकर आत्महत्या कर ले ब्लॉग पर विवाद के कारण स्त्री या पुरुष क़ोई भी तो क्या होगा

किसी को कगार पर देखिये तो सहारा दे कर किनारे कर दे मानवता का तकाजा हैं
वो कितना भी सही गलत क्यूँ ना हो

फेसबुक आत्म हत्या प्रकरण से अगर हम कुछ सीख सके तो ही नयी पीढ़ी को कुछ बचा सकेगे


अपने को माफ़ कर सके बस गलती इतनी ही हो । कभी कभी गलती / भूल ऐसी हो जाती हैं की फिर आजीवन अपने को माफ़ कर सकना भी संभव नहीं होता हैं

दुनिया इतनी बड़ी हैं की हम सब अपने अपने प्रिय जनों के साथ अलग अलग आराम से रह सकते हैं
अपने अपने कर्त्तव्य पूरे करे हम जहां हैं वहाँ बस

एक दूसरे से अपनी अपेक्षाए अगर हम कम कर दे तो शायद आत्महत्या की गूंजाईशे कम होगी

September 23, 2011

हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगर

हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगर की संख्या कम हैं लेकिन हैं जरुर । एक हैं जो कहीं कमेन्ट नहीं देते आज कल । जब देते थे तब कुछ ब्लॉग को छोड़ कर बाकी सब जगह वर्तनी की अशुद्धियाँ सुधारा करते थे । अब हिंदी में ब्लोगिंग करनी हैं तो यही टोटका हैं दूसरो के ब्लॉग पर जाओ और वर्तनी सुधारो । महान काम करो और दिखाओ तुम एलीट हो , हिंदी के ज्ञानी हो और दूसरे जमीन पर गिरे पड़े लोग हैं बेचारे हिंदी ब्लोगिंग में आगये और तुम्हारी हिंदी को बिगाड़ रहे हैं । ख़ैर अगर किसी को ब्लोगिंग का मतलब स्कूल मास्टरी लगती हैं तो क़ोई बात नहीं ये माध्यम अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का हैं ।

आज कल ये एलीट ब्लोगर कहीं कमेन्ट नहीं करते । क्यूँ करे एक के अलावा किसी का लेखन इस लायक ही नहीं हैं की वो पढ़ सके । कभी अपने ब्लॉग पर प्रेम पत्र लिखते रहे तो कभी किस्सा कहानी , अच्छी हिंदी में , अब हिंदी अच्छी हैं उनकी तो वो क्यूँ कहीं जाए , हमारे यहाँ तो कभी भूल कर भी दर्शन नहीं देते । क़ोई बात नहीं ये भी उनका अधिकार हैं आपत्ति नहीं की जा सकती ।

ब्लॉग जगत के सबसे छिछले लम्बे प्रकरण में अपनी भूमिका पर हमेशा चुप्पी साधे रहते हैं और जिन के साथ चैट पर उस प्रसंग की शुरुवात की गयी उसको दरकिनार करके हमेशा ब्लॉग जगत में होती उठा पटक पर अपनी लम्बी लम्बी पोस्टो में दूसरे ब्लोगर को प्रवचन देते रहते हैं की किस पोस्ट को क्या समझो ।

एक जगह लिख दिया अपनी पोस्ट में किसी के बारे में की इंग्लिश ब्लोगिंग में होते तो आप को क़ोई ना पूछता , पढ़ कर सोचा की भाई आप को कितने पूछ रहे हैं इंग्लिश ब्लोगिंग में ।
दूसरी जगह लिखा विवाहिता को ब्लोगिंग छोड़ कर अपने घर परिवार को देखना चाहिये , लीजिये इतने विवाहित पुरुष हैं जो ब्लोगिंग में सुबह से शाम तक पोस्ट पर पोस्ट देते हैं जब उनके घर परिवार सही चल रहे हैं तो विवाहिता के भी चल ही रहे होगे ।

मुझे एक बात समझ नहीं आयी की जब आप इतने एलीट हैं की किसी के ब्लॉग पर जाकर कमेन्ट करना नहीं चाहते तो हर मुद्दे , विवाद पर जो ब्लॉग जगत में होते हैं उस पर अपनी पोस्ट देकर क्यूँ हम गवारो के बीच में अपनी जहीन हिंदी को लेकर अपनी बहुमूल्य राय देते हैं

ये कुत्ता बिल्ली चूहा कबूतर इत्यादि जब व्यक्तिगत चैट पर जहीन लोग लिखते हैं तो वो कितने जहीन हैं और उनकी हिंदी कितनी जहीन हैं खुद पता चल जाता हैं । पर्दे के पीछे बैठ कर ऊँगली पर डोरी बाँध कर हिंदी ब्लोगिंग का जितना सत्यानाश हो सकता था हो चुका है । आप जितनी हिंदी सुधार सकते थे आप सुधार चुके । जिनके आप मित्र हैं उनके ब्लॉग पर जितना विष आप उगल सकते थे कमेन्ट में आप उगल चुके । अब बस नहीं कर सकते तो पूरी बात खुल कर दर्ज करिये , उस पहले चैट से लेकर आज तक । हिम्मत है तो खुल कर कहिये हाँ मै भी हिस्सा हूँ ।

नये ब्लॉग बन रहे हैं , नये लोग आ रहे हैं वो अपनी पसंद का पढ़ रहे हैं उनको क्रोनोलोजी नहीं पता हैं और वो ये भी नहीं जानते की कौन एलीट हैं और कौन गवार हैं और कैसे एलीट और गवार मिलकर सूत्रधार हैं और हर बार बच निकलते हैं ।

सो अगर आप इतने एलीट ही की कहीं जाना और कमेन्ट करना आप को नहीं सुहाता और आप महज हिंदी की सेवा के लिये यहाँ हैं तो हम जैसो के ऊपर टंच ना कसे और नये लोगो के साथ हम को हिंदी ब्लोगिंग के मजे लेने दे ।

हमे हिंदी ना आती हो ना सही हमे दूसरो को आंकलित करना ना आता हो ना सही पर कम से कम हम आम आदमी की तरह अपनी बात को कहने में हिचकते नहीं हैं

दूसरो के घर में अगर आप झाँक कर और अपने घर में पहुच कर दूसरो को प्रवचन देते हैं तो वो गॉसिप होता हैं और प्रवचन तभी अच्छा होता है जब आप खुद दूध के धुले हो । इन्टरनेट में हर चैट और लिंक सुरक्षित होता हैं।



कमेन्ट शाम को पुब्लिश होगे हो सकता हैं ना भी हो हो सकता हैं पहले हो जाये

अपडेट
जो लोग कमेन्ट में ये कह रहे हैं गोल मोल बात ना करे नाम ले वो कृपा कर सब जगह जा कर नाम लेकर पोस्ट लिखने का आग्रह करे
मैने ये यही आकर सीखा हैं
और मै वो क़ोई भी कमेन्ट नहीं छापूँगी जिसमे किसी का भी नाम होगा क्युकी जब मेरे ऊपर बिना नाम लेकर क़ोई लिखता हैं तो मुझे भी अधिकार हैं अपने हिसाब से लिखने का
मुझे सीख ना दे नहीं चाहिये , प्रवचन भी नहीं जो जिस खेमे में हैं जरुर रहे ,,मेरा रेफरेंस क़ोई भी दे नाम के साथ दे मै वही करुगी नहीं देगा उसकी मर्ज़ी

September 20, 2011

बस यूँ ही

बस यूँ ही

किसी वजह से ये पोस्ट कल नहीं दिखी
हो सकता हैं आज दिख जाए

September 18, 2011

बस यू ही

छोटी छोटी नावो पर
ज्ञानी टिपण्णी जाल लिये बैठे हैं
ब्लोगिंग के ताल में

मछली से मगरमच्छ तक
हर नए जीव को
प्रोत्साहन के नाम पर
टिपण्णी का चूरा डाल

अपने अपने जाल में
फसाते हैं
उनको सारे नये पुराने अफसाने
फिर सुनाते हैं

किसी का जाल कभी
अगर फट जाता हैं
तो उसके फसाए
सब जीव जंतु बाहर आ जाते

कुछ फिर डूब जाते हैं क्युकी
दूसरे ज्ञानी उनको नहीं बचाते हैं

कुछ डूबते नहीं उतरा जाते हैं
और
टिपण्णी टिपण्णी खेलने लग जाते हैं

कुछ ना डूबते हैं ना उतराते हैं
बस उस ज्ञानी को ही काट खाते हैं
जिसके जाल में फसे थे

फिर एक ज्ञानी दूसरे ज्ञानी को
काटे का इलाज बताता हैं
और दूसरा ज्ञानी अपने जाल के
कांटे सही करने लग जाता हैं

लोग काटने वाले में
बुराई खोजते हैं
जबकि काँटा और चूरा
किसी और का था



दिस्क्लैमेर
ज्ञानी का उपयोग सरदार के लिये भी होता हैं पर यहाँ नहीं किया गया हैं । यहाँ ज्ञानी का अर्थ विद्या के धनी के लिये है
इस पोस्ट का किस ब्लॉगर से क़ोई लेना देना नहीं हैं अगर क़ोई अपने को पता हैं तो वो उसकी कल्पना हैं

मेरा कमेन्ट

ये पोस्ट पढ़ कर टी वी पर आता विज्ञापन याद आगया
वो जिसमे दो महिला कपड़े धो कर सुखा रही हैं और पड़ोसन कर कहती है
आप के बेटे की कमीज मेरे घर में उड़ कर आगई थी इस लिये मैने धो दी

जिन लोगो को ब्लोगिंग पर अपनी पुस्तक वाने के लिये सरकारी ग्रांट मिल चुकी हो उनके यहाँ कुछ बेहतर लेखन की उम्मीद रहती हैं ये सोच कर की ये सरकारी अनुदान प्राप्त लेखक हैं पर यहाँ आकर निराशा हाथ लगी .

मेरा कमेन्ट

ये पोस्ट पढ़ कर टी वी पर आता विज्ञापन याद आगया
वो जिसमे दो महिला कपड़े धो कर सुखा रही हैं और पड़ोसन आ कर कहती है
आप के बेटे की कमीज मेरे घर में उड़ कर आगई थी इस लिये मैने धो दी

जिन लोगो को ब्लोगिंग पर अपनी पुस्तक छप वाने के लिये सरकारी ग्रांट मिल चुकी हो उनके यहाँ कुछ बेहतर लेखन की उम्मीद रहती हैं ये सोच कर की ये सरकारी अनुदान प्राप्त लेखक हैं पर यहाँ आकर निराशा हाथ लगी .

September 17, 2011

बुरे वक्त को दावत ना दे

कल मोहमद अजहरुद्दीन के बेटे की मौत होगई । १९ साल का था । उसके ७ दिन पहले उसके १६ साल के कजिन भाई की मौत हुई ।

दोनों हैदराबाद में रिंग रोड पर स्पोर्ट्स बाइक चला रहे थे और उनकी बाइक फिसल गयी ।
बाइक की स्पीड १८० कम से ऊपर थी ।
पीछे बैठे १६ साल के बालक के सिर पर हेलमेट भी नहीं था
बाइक ७ दिन पहले ही खरीदी गयी थी और चलाने वाला प्रशिक्षित भी नहीं था

और सबसे बड़ी बात जिस सड़क पर बाइक चलाई जा रही थी वहाँ बाइक चलाना गैर क़ानूनी हैं

अजहरुदीन का अपना जीवन भी कानून तोड़ते ही बीता । चाहे फिर वो क्रिकेट हो जहां से उनको , उनकी मैच फिक्सिंग की आदत के चलते ना केवल बाएँ किया गया अपितु उनके नाम के सारे रिकोर्ड भी मिटा दिये गए । व्यक्तिगत जीवन में भी उन्होने अपनी पहली पत्नी को तलक दिया और फिर संगीता बिजलानी के साथ कुछ साल रहे और फिर एक और महिला के साथ ।
अपने बच्चो को भी शायद उन्होने कानून को ना मानने की ही सलाह दी होगी ।

इतनी महगी बाइक खरीद कर इतने कम उम्र के बच्चे को देना , बुरे वक्त को खुद आवाहन देना जैसे होगया ।

कितनी भी संवेदना मन में हो इन दोनों बच्चो की अकाल मृत्यु पर , लेकिन फिर भी एक ही बात लगती हैं की हमारे कर्म हमारे समाने इसी जनम में आ जाते हैं
स्वर्ग और नरक दोनों यही हैं और अपने कर्म की सजा हमको इसी जन्म में मिल जाती हैं
एक पिता और चाचा के लिये इस से ज्यादा दुःख देने वाला और क्या होगा

ॐ शांति शांति शांति

September 12, 2011

क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं

मै जानना चाहती हूँ क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं जो फ्रैक्चर के बाद ली जा सकती हैं और जिससे हड्डी सुगमता से और जल्दी जुड़ जाती हैं ।

क्या ये दवा बिना डॉक्टर के पास जाए किसी मरीज को दी जा सकती हैं
क्या ये दवा एलोपैथी के दवा के साथ साथ भी दी जा सकती हैं

मरीज़ की कलाई की हड्डी टूट गयी है और ६ हफ्ते का प्लास्टर हैं

क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं

मै जानना चाहती हूँ क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं जो फ्रैक्चर के बाद ली जा सकती हैं और जिससे हड्डी सुगमता से और जल्दी जुड़ जाती हैं ।

क्या ये दवा बिना डॉक्टर के पास जाए किसी मरीज को दी जा सकती हैं
क्या ये दवा एलोपैथी के दवा के साथ साथ भी दी जा सकती हैं

मरीज़ की कलाई की हड्डी टूट गयी है और ६ हफ्ते का प्लास्टर हैं

September 11, 2011

गणपति विसर्जन v/s ट्वेन टावर विसर्जन

आज गणपति जी का विसर्जन हैं और हमारा मीडिया आज ट्वेन टावर का विसर्जन ही दिखा रहा हैं । इतना दुःख तो अमेरिका में उनका मीडिया नहीं दिखा रहा जितना हमारा दिखा रहा हैं ।

September 08, 2011

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास

बम ब्लास्ट में कल १२ लोग मारे गए ।
१२ आम नागरिको की लाशो के लिये हमारे दिल्ली और सेंटर के नेता / अफसर कफ़न का इंतजाम नहीं कर सके ।
परिजन को कहा गया की खुद ले आओ । या पैसा दे दो सब काम हो जाएगा

कहां जा रहे हैं हम लोग ??
अन्ना मोवेमेंट का इतना फायेदा होगया हैं की लोग अब आवाज उठाने लगे हैं
परिजन खुले आम गाली दे रहे हैं

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास
थू हैं ऐसी राज नीति पर जो ५ लाख देने का दावा कर देती हैं मृतक के लिये पर एक कफ़न का इंतज़ाम नहीं कर सकती

September 06, 2011

कौन ज़िम्मेदार हैं इन सब जानो का जो इन मिग २१ के हादसों में गयी हैं

आज फिर एक मिग २१ विमान क्रेश हो गया । शुक्र हैं पाइलट समय रहते इजेक्ट कर गए ।
हमेशा मिग २१ के क्रेश के बाद एक ही ख्याल आता हैं की अभी और ऐसे कितने विमान सेना के पास हैं जिनका क्रेश निश्चित ही हैं ।
जब ये पता हैं की ये विमान तकनिकी रूप से सही नहीं हैं फिर क्यूँ इनका उड़ाया जाना जारी हैं ।

कितने और पाइलट अपनी जान गवाये गए अभी
कौन ज़िम्मेदार हैं इन सब जानो का जो इन मिग २१ के हादसों में गयी हैं

September 05, 2011

क्या ये संभव हैं

ब्लॉग फ्लर्टिंग
  1. ब्लॉग रोमांस
  2. ब्लॉग विवाह
  3. ब्लॉग डिवोर्स
  4. ब्लॉग ट्रौमा

क्या ये सब संभव हैं , ??

मुझे लगता हैं कम से हिंदी ब्लॉग जगत में न केवल ये संभव हैं अपित्तु हो भी रहा हैं ।

कहां , कहां ???

ये नहीं अभी बताना हैं लेकिन बताना जरुर हैं और वो भी प्रमाण और साक्ष्य के साथ

कब
बस इंतज़ार करिये लेकिन जानने की इच्छा हैं या नहीं ये जरुर कहिये

September 04, 2011

नए कमेन्ट बंद कर दिए हैं सो मेरा कमेन्ट यहाँ

अदा जी Link
आप ब्लॉग जगत से दूर हैं और आप को कुछ भी लिखने से पहले ये पता अवश्य कर लेना चाहिये था की वाणी जी ने नारी ब्लॉग से क़ोई मद्दत नहीं ली हैं . और नारी ब्लॉग अब सामूहिक ब्लॉग भी नहीं हैं . वाणी जी ने मुझ से कहा , मैने अपना नज़रिया दिया और मद्दत करने का रास्ता भी बता दिया की नारी ब्लॉग पर सारे पते मिल जायेगे , वाणी जी खोज ले . वो इतना भी नहीं कर सकी उल्टे उन्होने मेरी नियत पर ही ऊँगली उठा दी . मैने अपने ना करने का कारण स्पष्ट कर दिया उसको भी प्रशन लगा दिया वाणी जी ने , वो भी बिना नाम के .
कम से कम मै तो इतनी समझ रखती हूँ की किस की मद्दत की जाए और किसकी नहीं . क्या जितने लोग यहाँ मद्दत की बात कर रहे हैं उनमे से क़ोई भी ये कह सकता हैं ये महिला ही हैं , क्या ये क़ोई पुरुष नहीं हो सकता जो निशांत जी के जरिये किसी महिला तक पहुचना चाहता हो .

मै क्यूँ बेफिजूल अपना समय और वक्त बर्बाद करू जब तक मुझ से किसी ने सीधे संपर्क नहीं किया हैं . और मै निशांत की तारीफ़ करती हूँ की उन्होने सही समय पर अपना हाथ खीच लिया . आगे भी वो ध्यान देगे .



और अदा जी , एक व्यसक को अपनी आदत खुद बदलनी होती हैं . या फिर किसी डॉ से मद्दत लेनी होती हैं . क़ोई qualified person ही विवाहित स्त्रियों की आम परेशानियों को सुन कर उनको समझा सकता हैं
और उसके सारे पते नारी ब्लॉग पर मौजूद हैं

आप बिना वास्तिविकता से परचित हुए इतना लम्बा आख्यान दे गयी क़ोई बात नहीं आप को अधिकार हैं पर मेरी विनिती हैं मुझे समझाने की जगह की आदत से केसे छुटकारा पाया जाए की जगह कुछ समय ब्लॉग जगत में पीछे क्या हुआ उस पर अवश्य नज़र डालले



निशांत जी
उसकी समस्या को उनकी आदत या कम्फर्ट ज़ोन का परिणाम मानकर नज़रंदाज़ कर देना ठीक नीति नहीं है।

जैसे जैसे आप इन सब समस्या को रोज अपने पास होते देखेगे आप खुद महसूस करेगे की ये समस्या हैं ही नहीं ये एक आदत हैं और भारतीये जीवन शेली का नतीजा हैं

और आप ने अंत में ये कह कर

आइन्दा ऐसा कुछ होने पर पूरी तरह से नज़रंदाज़ कर दूंगा। मुझे किसी के फटे में टांग अड़ाने की क्या ज़रुरत है!?

मेरी ही बात पर मुहर लगा ही दी हैं


लिंक जहां कमेन्ट बंद हैं

September 03, 2011

बस यू ही

अभी कुछ दिन पहले बहिन की सास का निधन होगया था । बहिन के देवर अमेरिका में बसे हैं और संस्कार तक नहीं आ पाए थे । अविवाहित हैं और अकेले रहते हैं । दो दिन बाद ही पहुच सके । उन से बात हो रही थी , अपने पिता जी को वो बताने लगे की जब फ़ोन मिला तो में विचलित होगया था । अकेला था , रात का समय था अगले दिन भी मन नहीं लगा । उनके पिता जी ने कहा तो कहीं किसी से बात कर लेते ।
वो बोले यही सोच रहा था , अमेरिका में तो ऐसी बहुत सी एजेंसिया हैं जहां लोग आप से घंटे के हिसाब से पैसा लेते हैं और आप फिर अपने मन की जितनी बाते चाहे उनसे कर सकते हैं । फिर सोचा बेकार १५० डॉलर के आस पास खर्च होगा सो नहीं की ।


खाना जरुरी हैं ट्राई करे






August 28, 2011

बधाई

अन्ना मोवेमेंट के समर्थक हिंदी ब्लॉगर
आप सब को बधाई
आप ने इस बात को मुझ से जल्दी समझा
और शुक्रिया
मुझे समझाने के कमेन्ट में

ख़ास कर अंशुमाला और राजन का

August 27, 2011

भाषण

राहुल गाँधी का लम्बा भाषण संसद में कितनो को पसंद आया ?

मुझे नहीं आया

लगा जैसे उन्होने देश को नाना की जागीर समझ लिया हैं जिस का ट्रस्ट बना कर वो उसके ट्रस्टी बनना चाहते हैं ताकि आजीवन उस से खा पी सके और आने वाली पुश्तो के लिये भी सहेज सके

और आग्रह हैं राहुल गाँधी की बात करे तो अन्ना की किसी बात से उनका मिलान ना करे क्युकी

ये अन्ना के प्रति अन्याय होगा

August 26, 2011

एक बार फिर

कुछ समय पहले एक पोस्ट लिखी थी
आज उसको फिर यहाँ पढे
भ्रष्टाचार

बहुत से लोग आत्मा को नहीं मानते , ये पोस्ट उनके लिये नहीं हैं ।

जो लोग आत्मा को मानते हैं
क्या वो मानते हैं क्या वो मानते हैं की जो व्यक्ति असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं उनकी आत्मा भटकती हैं अपने परिजनों के आस पास ।

क्या ऐसी आत्मा की शांति के लिए हवन इत्यादि से फरक पड़ता हैं ?

क्या आप में से किसी ने ऐसा महसूस किया कभी किसी परिजन की मृत्यु से पहले की ऐसा होने वाला हैं

क्या मृत्यु का पूर्व आभास कभी आप को मृत्यु का समाचार आने से पहले हुआ हैं


August 25, 2011

जाईये निर्मोही डॉ अमर आज से आप से अपने मोह को खत्म किया ,

जब से डॉ अमर की मृत्यु की खबर मिली तब से केवल एक ही विचार मन में रहा "उनकी माँ कैसी होगी " , जानती थी वो अभी जीवित हैं पर सुनना चाहती थी की नहीं हैं ।

किसी भी अभिभावक के लिये उसके बच्चे की मौत जिन्दगी की सबसे बड़ी त्रासदी हैं ।

अपनी माँ को देखती हूँ जो ७२ वर्ष की हैं मेरे या मेरी बहनों के ज़रा भी बीमार पड़ने से वो एक दम देहल जाती हैं ।
मै क्युकी उनके साथ रहती हूँ तो मुझ पर इस वृद्ध अवस्था में कुछ ज्यादा डिपेण्ड करने लगी हैं और मुझे खांसी भी आ जाये तो वो नर्वस हो जाती हैं
कई बार खिजलाहट में , मै कह बैठती हूँ , माँ तुम एक पुड़ियाँ बना कर मुझे उसमे रख लो ।

इस पर वो कहती हैं देख तेरा मेरा कुछ भी झगडा हो , अनबन हो पर इस बुढापे में मुझे ऐसा क़ोई कष्ट ना देना । मुझ से क़ोई दुश्मनी ना निकालना ।
ना जाने कितनी बार उनको दिलासा देना पड़ता हैं वायदा करना पड़ता हैं की नहीं ऐसा कभी नहीं होगा । तुमको भेज कर ही इस दुनिया से विदा लुंगी ।

कल जब उन्हे डॉ अमर जो शायद ५८ वर्ष मात्र थे के निधन का बताया और डॉ अमर की माँ का बताया तो कहने लगी पाता नहीं क्यों ईश्वर इतनी लम्बी आयु देता हैं जल्दी उठा ले , बच्चो के कष्ट किसी को ना दिखाये ।

कभी डॉ अमर की एक पोस्ट पढ़ी थी जब कैंसर ने उनके यहाँ दस्तक दी थी जिस में उन्होने अपनी माँ के विषय में लिखा था ।
कल से उनकी माँ का दर्द अपने आस पास बड़ी शिद्दत से महसूस हुआ ।

बच्चो के कर्तव्यो में एक कर्तव्य अभिभावक का संस्कार भी होता हैं क्यों डॉ अमर को वो कर्तव्य पूरा करने से ईश्वर ने रोका ?
और अभिभावकों के कर्तव्यो में एक अपने बच्चो को जिन्दगी में सुव्यवस्थित देखना होता हैं , क्यों डॉ अमर को कर्तव्य पूरा करने से ईश्वर ने रोका ??
और पति का कर्तव्य होता हैं अपनी पत्नी को खुश रखना , हमेशा , क्यूँ डॉ अमर को ईश्वर ने इस कर्तव्य को भी पूरा करने से रोका ?

एक व्यक्ति जिसकी मृत्यु बिना उसके कर्तव्य पूर्ति के होती हैं वो निर्मोही कहलाता हैं ।
और निर्मोही से कैसा मोह

जाईये डॉ अमर आज से आप से अपने मोह को खत्म किया , जो अपनी माँ का ना हुआ , अपनी पत्नी का ना हुआ , अपने बच्चो का ना हुआ वो हमारा कैसे होगा
आज़ाद किया आप को अपने मोह बंधन से ताकि आप वहाँ खुश रह सके जहां के लिये आप इतने सब कर्तव्यों की पूर्ति किये बिना चले गए

हमारा बार बार आप को याद करना आप को वहाँ भी कष्ट देगा जहां आप होंगे क्युकी कहीं ना कहीं ये दर्द आप को भी साल रहा होगा "मैने मर कर सही नहीं किया " ।

आप जहां रहे इस जीवन की झेली अपूर्णता से मुक्त रहे
आप की आत्मा शांत रहे और उनकी बन कर रहे जहां आप अब होगे
यहाँ की याद में बार बार आप अशांत ना हो

ॐ शांति शांति शांति




August 24, 2011

अन्ना का अनशन ना तोडने का फैसला गलत हैं क्युकी हमे अन्ना की जरुरत हैं

भ्रष्टाचार मुक्त भारत या india against corruption ये लड़ाई government के खिलाफ नहीं governence के खिलाफ हैं ।

ये लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं हैं ये मुहीम हैं प्रशासन के खिलाफ

सरकार क़ोई भी आजाये प्रशासन का तंत्र वैसे का वैसा ही रहता हैं

६४ साल में हमने इतनी तरक्की की हैं की आज हम को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रति एक वितिश्ना का भाव हो गया

सरकार , सरकारी कर्मचारी , सरकारी नौकरी सब इस प्रशासन का हिस्सा बन गये हैं

सरकार का एक छोटा से अफसर भी सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार फैलाने के लिये एक माध्यम हैं और शायद इसी लिये जन लोक पाल बिल की शर्त की उसको भी इस बिल में शामिल करे हमारी मौजूदा सरकार और विपक्ष दोनों को ही नहीं मंजूर हैं ।

सरकारी नौकरी में पहले ५८ साल पर रिटायर होते थे वो उम्र आज बढ़ कर बहुत से सरकारी संस्थानों में ६५ होगयी हैं
यानी नयी पीढ़ी के लिये क़ोई नौकरी नहीं होगी
सरकारी कर्मचारी की पेंशन ६५ से शुरू होती हैं और जब तक जीवित हैं रहती हैं जब की आम नागरिक के लिये ऐसा क़ोई प्रावधान कहीं नहीं हैं ।
जब सरकारी कर्मचारी को इतनी बढ़िया पेंशन मिलती हैं तो फिर उनको हर जगह सीनियर सिटिज़न में आधा किराया क्यूँ देना होता हैं
इनकम टैक्स में रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को क्यूँ रिबेट दिया जाता हैं
और भी ऐसी बहुत सी सुविधा हैं जो सरकारी कर्मचारियों को मिलती हैं जैसे फ्री पास आजीवन रेल यात्रा का / हवाई यात्रा का / फ़ोन का बिल / अस्पताल में उनके और उनके परिवार का फ्री इलाज


कितना घंटे एक सरकारी कर्मचारी काम करता हैं ? महगाई क्या केवल उसके लिये होती हैं क्युकी महगाई भत्ता बस उसको ही मिलता हैं , तनखा उसकी बढ़ती हैं और महगाई सबके लिये बढ़ जाती हैं
मकान का किराया , स्कूल की फीस मिडल क्लास की दो बेसिक जरुरत , उन से पूछिये जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं कैसे निपटाते हैं

कुछ दिन पहले एक जगह पढ़ा था की मिडल क्लास सबसे ज्यादा खर्चा अपने बच्चो की पढाई पर करता हैं भारत में लेकिन आने वाले ५ वर्षो में सरकार के पास नौकरियां ही नहीं हैं इन बच्चो के लिये । { लिंक मिल गया तो पोस्ट पर अपडेट कर दूंगी }

इसके अलावा हमारे मंत्री कहते हैं की क्युकी उनको लेप टॉप दिया गया हैं सो उनको लेप टॉप चलाने के लिये एक व्यक्ति रखना हैं उसकी तनखा सरकारी खजाने से मिले ।
हर मंत्री को सुरक्षा चाहिये किस से ??

हजारो की भीड़ जमा हैं राम लीला मैदान में । उस दिन जुलुस निकला इंडिया गेट से रामलीला मैदान तक ।

आम आदमी था , कहीं कुछ नहीं हुआ । क़ोई आगजनी , क़ोई मार पीट , क़ोई वहां जलना , रेलवे को रोकना , पत्थर बाज़ी , कुछ भी नहीं ।

क्युकी क़ोई पोलिटिकल पार्टी नहीं थी किसी को वोट नहीं चाहिये था किसी को अपने लिये कुछ नहीं चाहिये था

लोग देश को ठीक देखना चाहते थे और हैं

६४ साल में शायद पहली बार दिल्ली में ऐसा हुआ हैं की किसी ने तकलीफ की बात नहीं कहीं रैली को लेकर

अन्ना का अनशन ना तोडने का फैसला गलत हैं क्युकी हमे अन्ना की जरुरत हैं लेकिन अन्ना क्या करे अनशन तोड़ दिया तो प्रशासन फिर कभी नहीं सुधरेगा

ईश्वर से प्रार्थना हैं अन्ना की इच्छा शक्ति बनाए रहे और उनकी सेहत को सही रखे

कभी एक नारा था

जो सरकार निकम्मी हैं वो सरकार बदलनी हैं

आज नारा हैं

जो प्रशासन निकम्मा हैं वो प्रशासन बदलना हैं


आज राम लीला मैदान पर जब भारत माता की जय , वन्दे मातरम और इन्कलाब जिंदाबाद सुनाई देता हैं तो लगता हैं

कभी हम इस से जीते थे {जीते = won }
आज हम इस से जीते हैं {जीते = live }


बस यूँही

एक बार कबीर से मिलने क़ोई उनके घर आया
कबीर नहीं थे
कहां मिलेगे
एक संत ने कहा कबीर , किसी की मृत्यु के बाद , शमशान घाट गए हैं वहाँ चले जाओ
मिलने वाले ने पूछा मै उन्हे पह्चानुगा कैसे
संत ने कहा कबीर के सिर पर एक लौ जलती दिखेगी

मिलने आने वाला शमशान घाट गया और लौट आया

संत ने पूछा मिल आये
उसने कहा नहीं पहचान पाया , वहाँ सबके सिर पर लौ जल रही थी

संत ने कहा दुबारा जाओ और अबकी बार शमशान घाट के बाहर खड़े रहना और इंतज़ार करना

मिलने वाला दुबारा गया शमशान घाट के दरवाजे पर खडा होगया
लोग बाहर आने लगे
वो अंत में कबीर को पहचान गया

कैसे
कबीर के सिर की लौ शमशान घाट से बाहर आने के बाद भी जलती हुई दिख रही थी और बाकी सब की शमशान के दरवाजे तक ही जलती थी




August 22, 2011

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण एक html कोड

एक html कोड बना दिया हैं
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण का जो सीधा indiaagainstcorruption की साईट पर जाता हैं
अगर आप को ये कोड पसंद आये तो आप कॉपी करके { पोस्ट के ऊपर देखिये } अपने ब्लॉग पर डिजाईन में नया html gadjet में पेस्ट कर सकते हैं


स्वीकरोक्ति

भ्रष्टाचार के मुद्दे के खिलाफ अन्ना हजारे के तरीके से विरोध मुझे सही नहीं लग रहा था
पर अब मै निसंकोच कह सकती हूँ यही तरीका सही हैं ।

दो बातो ने मेरा नज़रिया बदल दिया
एक बहस के दौरान दो बाते उभर कर सामने आयी

एक
हमारा संविधान सर्वोपरी हैं और वो शुरू होता हैं "We the people of India" से और इस लिये संविधान के बाद संसद नहीं जनता सर्वोपरी हैं

दो
संसद में बैठे नेता "The voice of common people " के आधार पर आये हैं यानी जनता ने उनको अपनी बात कहने के लिये संसद में भेजा हैं सो अगर जनता ये चाहती हैं की "जन - लोकपाल बिल " संसद में लाया जाये और पास करवाया जाये तो इस में किसी भी सांसद को क़ोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये ।

सांसद को ये नहीं मानना चाहिये की वो जनता से ज्यादा जानकार हैं और ना ही ये मानना चाहिये की वो "जनता" नहीं हैं क्युकी वो जनता की आवाज हैं इस लिये उन्हे जनता की बात को आगे ले जाना होगा

धिक्कार हैं ऐसी सांसद और संसद पर जो एक ७० साल के अन्ना के अनशन को रोकने में असमर्थ हैं
ये अनशन हमारे ऊपर एक कलंक हैं

इस के साथ मेरी पूर्व की किसी भी पोस्ट से अगर किसी भी उस समर्थक का ह्रदय दुखा हो जो इस मोवेमेंट से जुडा हैं तो मै क्षमा प्रार्थी हूँ मै केवल उह पोह जैसी स्थिती में थी ।

मै भ्रष्टाचार के विरुद्ध हूँ और रहूंगी और आज से में अन्ना के मोवेमेंट की भी समर्थक हूँ

सादर वन्दे


August 18, 2011

कभी कभी बहुत सी बाते बेकार ही दिमाग में कुलबुलाने लगती हैं

अन्ना के अनशन के लिये राम लीला मैदान तय कर दिया गया हैं
१५ दिन के लिये अनशन होगा अभी
ऍम सी डी सफाई करवा रही हैं

१५ दिन तक वहाँ सब सुविधाए सरकारी खर्चे पर होगी ?

कभी कभी बहुत सी बाते बेकार ही दिमाग में कुलबुलाने लगती हैं
सरकार किसी की हैं और किसके लिये हैं ?? हमारे लिये ही हैं ना

ऐसे ही कुछ दिन पहले लगा था अन्ना अनशन से पहले प्राइवेट हॉस्पिटल क्यूँ गए
आज लग रहा हैं सरकारी में गए होते तो हम कहते सरकारी में क्यूँ गए

जैसे आर्ट ऑफ़ लिविंग वाले गुरुदेव हर जगह पहुच जाते हैं पर अपनी फीस बड़ी तगड़ी रखते हैं

ख़ैर दिमाग को समझाना शुरू कर दिया हैं
उतना ही कुलबुलाओ जितना जरुरी हैं ऐसा न हो की लोकपाल माफ़ करिये जन लोकपाल आने से पहले ही तुम्हारा फ्यूज़ उड़ जाए या उड़ा दिया जाए

वैसे एक बात हैं हमारा मीडिया हमेशा से भ्रष्टाचार से दूर ही रहता हैं
कभी राहुल गांधी के पीछे भागता और कभी अन्ना के पीछे
मायावती के यहाँ राहुल को हीरो बना दिया था और शीला दीक्षित के यहाँ अन्ना जी को

बाढ़ का पानी आ रहा हैं,तेजा वाला कभी भी पानी छोड़ सकता हैं । झुग्गी झोपड़ी वाले फिर फ्लाईओवर के ऊपर आ जायेगे ।

पता नहीं कभी कभी ठाकरे की बात बहुत याद आती हैं मुंबई में दूसरे प्रांत के लोग अपना त्यौहार नहीं मना सकते या नौकरी पहले मुंबई वालो को मिलेगी ।

अगर क़ोई नोर्थ का यानी राहुल गाँधी वहाँ अनशन करे तो क्या उनको करने दिया जाएगा


ओ मेरे दिमाग अब बस

और नहीं बस और नहीं
गम के प्याले और नहीं


August 17, 2011

मेरा कमेन्ट

मेरा कमेन्ट

जन लोक पाल बिल और लोकपाल बिल का अंतर क़ोई कहीं विस्तार से दे ताकि बात खुले Link
भ्रष्टाचार का मुद्दा बिलकुल सही
अन्ना का तरीका सही या गलत अभी निर्णय देने में मानसिक उह पोह
कारण हो सकता हैं यही तरीका सही हो क्या पता
लेकिन मुझे ये सही नहीं लगता की जिस देश की संसद में ५०० से ऊपर लोग हो उस देश के कानून और सामाजिक व्यवस्था का काम १० लोगो से भी कम की सिविल सोसाइटी करे . वो दस लोग जो कहे मान लिया जाये

गाँधी जी जब करते थे अनशन तो वो सविनय अवज्ञा आन्दोलन था , एक विदेशी सरकार के कानून को तोडना और इसके लिये वो सजा से नहीं डरते थे . उनका मानना था की ब्रिटिश हुकूमत जाए और हम अपने कानून बनाये वो कानून तोड़ कर हुकूमत के खिलाफ थे वो कानून के खिलाफ नहीं थे . कानून तोडने की सजा सालो जेल में रह कर उन्होने काटी थी
अन्ना और उनके सिविल सहयोगी कानून का पालन नहीं करना चाहते
वो कानून से भी बड़े हैं क्युकी वो जो कहे वो ही सही हैं
वो जेल में हैं क्युकी धारा १४४ का पालन नहीं हुआ
अगर धारा १४४ लगाना गलत हैं तो ये नियम भी संसद से ही पास करवाना होगा
और अगर वो सही हैं तो उस नियम का पालन तो करना ही होगा
अन्ना को जेल भेजने का निर्णय बेहद घटिया था
पहले भी बहुत बार गिरफ्तारियां हुई हैं रैलियों में पर सब को कहीं दूर ले जा कर छोड़ दिया जाता हैं
आज फैशन की तरह अन्ना का नाम लिया जा रहा जो नेता नहीं ले रहा यानी वो भ्रष्टाचारी हैं

August 16, 2011

क्या ब्लॉग इंश्योरेंस होनी चाहिये ??

लिंक

क्या ब्लॉग इंश्योरेंस होनी चाहिये ??

क्या ब्लॉग इंश्योरेंस होनी चाहिये ?? आज कल बहुत लोग ब्लॉग लिख रहे हैं और बहुत बार ब्लॉग हैक भी हो रहे हैं । आप को क्या लगता हैं समय आगया हैं कि बीमा कम्पनियां अब कोई पोलिसी निकले ।

अगर ऐसा हुआ तो क्या आप ऐसी कोई बिमा पोलिसी लेगे । कितना प्यार करते हैं आप अपने लेखन और ब्लॉग को ?? कितने कि बिमा पोलिसी आप लेगे ??

ज़रा बाते तो

August 13, 2011

दो चित्र

एक सज्जन ब्लोगर जहां जहां भी सलट वाल्क पर पोस्ट थी कमेन्ट में लिख रहे थे पता नहीं ये अर्ध नगन , विदेशी परिधानों में सजी महिला क्या हासिल कर लाएगी इस वाल्क से । ना जाने कितनी गलिया दे दी उन्होने उन सब बच्चियों को जो सल्ट वाल्क में थी और उन महिला ब्लोगर को भी को जो इस विषय में कमेन्ट या पोस्ट में लिख रही थी ।

अभी कुछ देर पहले ईमेल से दो चित्र मिले उनकी बेटी के विदेशी परिधान में , नीली बॉडी हगिंग जींस पहने हुए { मन खुश हुआ उसको देख कर } । किसी ने उसके फेस बुक अकाउंट से भेजे ।

ईमेल भेजने वाले ने कहा की
जो अपने घर में या तो निर्लिप्त हैं ,
या बोल नहीं पाते ,
वो यहाँ केवल तमाशा खड़ा करने के लिये ही बोलते हैं ।

August 12, 2011

ईश्वर मृतक की आत्मा को शांति दे

कल या परसों अखबार में एक खबर थी
एक चमड़े के व्यापारी ने बहुत अधिक कर्ज़े के कारण और व्यापार में बहुत अधिक नुक्सान के कारण आत्म हत्या कर ली
अफ़सोस हुआ मंदी के दौर में एक्सपोर्ट का व्यापार बहुत लोगो को नुक्सान ही दे रहा हैं इस लिये ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ

आश्चर्य तब हुआ जब मैने उसी अखबार के तीसरे पन्ने पर उन्ही सज्जन की obituary देखी चित्र के साथ । उस obituary को छपने के लिये कम से कम २५००० रूपए तो लगे ही होगे

एक व्यक्ति ने अपनी जान देदी और उसके परिवार को अब भी दिखावा करना है और पैसा नष्ट करना हैं ।
मंदी के दौर से ज्यादा , दिखावे ने परिवारों को आर्थिक तंगी के दौर में ला कर खड़ा कर दिया हैं ख़ास कर बिज़नस करने वालो को ।

लगा बहुत गैर जरुरी खर्चा था ये २५००० रुपया , हो सकता हैं उनके यहाँ काम करने वालो को तनखा ना मिली हो , हो सकता हैं लोन को क़ोई किश्त जानी हो ।

बैंक से लोन लेकर गाडी , मकान खरीदना और किश्ते ना दे पाना ,
क्रेडिट कार्ड से समान खरीदना
पैसा ना होने पर भी पैसे का दिखावा करना और अपने परिवार को अपनी आर्थिक वस्तु स्थिति से परचित ना करवाना आज कल जितना आम हो गया हैं उतना ही आम अब आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करना हो गया हैं

ईश्वर मृतक की आत्मा को शांति दे

August 10, 2011

नेत्र ज्योति से सम्बंधित एक पोस्ट जानकारी बढ़ने के लिये

अगर आँखों से पास का कम दिखता हैं और दूर का सही दिखता है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो आप को बताया जाता हैं इसका क़ोई इलाज नहीं हैं आप को चश्मा ही लगाना होगा ।

ज्यादा जानकारी लेने पर पता चलता हैं की वैसे इसका इलाज भी संभव हैं और ये १५ मीनट में आँख में लेंस डाल कर कर दिया जाता हैं और ३ हफ्ते बाद दूसरी आँख का भी

आँख में प्रोग्रेसिव लेंस डाला जाता हैं

इस का फायदा , आँख की रौशनी स्थाई हो जायेगी यानी घटेगी नहीं और आप को चश्मा नहीं पहनना होगा ।
इस ओपरेशन में आँखों का नेचुरल लेंस निकल कर कृत्रिम लेंस लगाया जाता हैं

इस ओप्रेशन के बाद cataract भी नहीं होगा

दोनों आँखों का ओपरेशन का खर्चा तक़रीबन १ लाख ४० हज़ार ।

अगर किसी को ४५ साल में ये परेशानी हो यानी पास से कम दिखता हो और अगर उसके पास पैसा हो तो क्या उसको ये ओपरेशन करवा लेना चाहिये या ५५ साल तक इंतज़ार करके करवाना चाहिये ।

मुझे लगता हैं जल्दी करवाना सही हैं अगर निदान चाहिये ही तो देर क्यूँ करनी , इतनी परेशानी क्यूँ उठानी

और क्या क़ोई बता सकता हैं की इस तरह के ओपरेशन में आँखों की पूरी ज्योति भी ख़तम हो सकती हैं या ये एक साधारण ओपरेशन ही होता हैं




देखिये जाकिर कहां से पहुचे हैं और कुश कहां से आ रहे हैं चिट्ठा चर्चा पर

चिट्ठा चर्चा पर जो कमेन्ट कर रहे हैं वो कहा से आ रहे हैं दिख रहा हैं

देखिये जाकिर कहां से पहुचे हैं

और कुश कहां से रहे हैं


चर्चा पर कमेन्ट किसने किया और कहां से किया
ज़रा आप भी कर के देखे की आप कहां से पहुचे
तकनीक का सही गलत पता करे
यहाँ

August 08, 2011

काश

कभी कभी सोचती हूँ
क्या कभी
इस हिंदी ब्लोगर समुदाय में
क़ोई ऐसे ब्लोगर होगा
जो जब नए से पुराना हो जाए

ये हकीकत सब के सामने लाये


कि कैसे
उसके ब्लॉग लेखन मे आते ही
यहाँ के सम्मानित जनों ने
एक फहरिस्त
उसको दी थी पकड़ा
और
बताया था कि
कौन क्या क्या हैं
किस से डरना हैं
किस को इग्नोर करना हैं
किस पर कमेन्ट जरुर देना हैं


फिर कैसे उसके भ्रम टूटे
और उस ने पाया कि
जिनको वो आईडियल मानता था
वो दिगभ्रमित खुद ही थे
वो यहाँ केवल अपनी कहने आये थे
मजमे और मसाले मे
मसले जिनको कभी यहाँ ना भाये थे

क्या कभी क़ोई एक भी ऐसा ब्लोगर आयेगा
जो इस सच्चाई से
दूसरो को निर्भीकता से परिचित करायेगा




August 06, 2011

अच्छे लोगो / ब्लोगर गुट में शामिल हो

आप अच्छाई को परिभाषित करना भूल गए
और आप ये भी भूल गए नैतिकता केवल एक तरफ़ा होती हैं यानी अपने लिये एक , समाज के लिये Linkदूसरी
आप अच्छाई को परिभाषित करदे , नैतिकता का पैमाना बता दे गुट अपने आप बन जाएगा और जुडने वाले जुड़ जायेगे

आप ने आज तक कभी भी किसी को ये कहते सुना हैं की " मै गलत हूँ , मै गन्दा/ गन्दी हूँ । "



शामिल होने के लिये ऊपर दिया लिंक क्लिक करे

वाणी जी को दे बधाई , २ साल वो यहाँ पूरे कर आई

वाणी जी
बहुत बहुत बधाई , दो साल से आप यहाँ "suffer" कर रही हैं और अब नौबत आप को reform करने तक आ ही गयी हैं । शायद मेरी तरह ५ साल तक "suffer" करने के बाद भी स्थिति यही रहेगी क्युकी कुछ लोग यहाँ ब्लॉग लिखने का नहीं व्यक्तिगत आक्षेपों का अजेंडा लेकर टीप देते हैं ।
ख़ैर एक पूरा पेराग्राफ मेरे ऊपर हैं इस बार , एक साल ख़तम होने पर आप ने महज एक लाइन दी थी । तीसरे वर्ष की पोस्ट पर मेरे ऊपर पोस्ट हो आप से सम्बन्ध इतने प्रगाढ़ हो जाए बिना मिले यही कामना हैं ।
मेरी अदा पर ना जाए उसके कारण हैं कभी ऑनलाइन होगी तो बता दूंगी ।
आप को शुभकामना देने में कंजूसी , उफ़ ये तो ना इंसाफी होगी
वाणी की ज्ञान वाणी
लोगो को छूती रहे
सफ़र शब्दों का चलता रहे
मिलना हो ना हो
मकसद हमारा मिलता हैं
बस दिल को सुकून हैं
की क़ोई हैं
जो जानता हैं की
समय असमय मै हूँ
और रहूंगी

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