मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

May 27, 2011

बेवकूफ समझा हैं क्या

वाह रे अमेरिका
एक ही दिन मे दो प्रेस कांफेरेंस
तक़रीबन एक ही समय
एक भारत मे
एक पाकिस्तान मे

और दोनों मे विरोधी सन्देश

बेवकूफ समझा हैं क्या

May 17, 2011

परिकल्पना पर मेरा कमेन्ट

मेरा कमेन्ट यहाँ


आप को ही नहीं किसी को भी अधिकार हैं पुरूस्कार को प्रायोजित कर के दिलवाने का . ये सब "व्यक्तिगत " होता हैं लेकिन शुरुवात "एक व्यक्ति " ही करता हैं .

मुझे केवल एक आपत्ति हैं और वो में आप के ब्लॉग पर आयी शुरू की पोस्ट से कर चुकी हूँ की आप को " पूरी हिंदी ब्लॉग्गिंग " को हिजैक करने का अधिकार नहीं हैं . आप अपनी पसंद के ब्लोगर / ब्लॉग पोस्ट को पुरूस्कार देने के अधिकारी हैं लेकिन आप को ये कहना चाहिये की ये आप के पसंद के ब्लोग्गर हैं और परिकल्पना समूह के ब्लोग्गर हैं .

ये परिकल्पना समूह का पुरूस्कार समारोह था ना की हिंदी ब्लोगिंग का पुरूस्कार समारोह . जिनको पुरूस्कार मिला आप की नज़र में वो शेष्ठ हो सकते हैं पर वो सब "हिंदी ब्लॉग्गिंग के चेहरे " नहीं हो सकते हैं ,

और अगर आप सच में "हिंदी ब्लोगिंग " के लिये पुरूस्कार दे रहे होते तो "परिकल्पना समूह " के लोगो को नहीं यानी उन लोगो को नहीं जिन्होने अपनी पोस्ट भेजी पुरूस्कार देते अपितु जितने भी हिंदी ब्लॉग हैं उनमे आधार बनाकर अपनी पसंद से नामांकन करते

रवीन्द्र प्रभात जी आप ने जो तरीका अपनाया हैं पुरूस्कार देने का वो "प्रिंट मीडिया " मै प्रचलित हैं जहां अपनी किताब सबमिट करनी होती हैं पुरूस्कार समिति को और जितने पुस्तके आती हैं उन मै से ही चुनाव होता हैं , लेकिन ब्लॉग प्रिंट मीडिया से अलग हैं . यहाँ का तरीका भी अलग होना चाहिये .

पुरूस्कार का आधार आप की पसंद हो सकता हैं पर आप की पसंद के जो नहीं हैं और जो परिकल्पना से नहीं जुड़े हैं वो जिनको पुरस्कार मिला हैं उनसे कमतर है या ये पुरूस्कार "हिंदी ब्लोगिंग का इतिहास " हैं कहना गलत हैं . ये पूरे मीडियम को हाइजैक करने जैसा हैं

बहुत से लोगो ने आपत्तियां दर्ज की हैं पर वो यहाँ कमेन्ट बॉक्स मे नहीं दिखे हैं कोई बात नहीं मे तो स्पष्टवादी हूँ २००६-७ से ब्लॉग माध्यम से जुड़ कर हिंदी मे अपनी बात कह रही हूँ अगर नेटवर्क से जुड़ कर पुरस्कार लेना होता तो कभी का नेटवर्क से जुड़ गयी होती लेकिन नेटवर्क से जुडने का अर्थ होता हैं वो कहना या करना जो पुरूस्कार दे रहा हैं चाहता हो

किताबो मे भी अगर जितने ज्यादा से ज्यादा ब्लॉग का नाम आता उतना अच्छा होता लेकिन आप ने तो वो भी प्रायोजित किया यानी जो हिंदी ब्लोग्गर कहलाना चाहते हैं वो अपना नाम प्रेषित कर दे प्रति के दाम के साथ
यहाँ आप ने प्रिंट मीडिया से उल्टा किया , प्रिंट मीडिया मे किताब छपती हैं तो ज्यादा से ज्यादा और किताबो का नाम होता हैं जहां से भी सन्दर्भ लिया गया हो .

अंत मे यही कहूँगी आप को पूरा क़ानूनी और संवैधानिक अधिकार हैं कुछ भी करने का और उतना ही अधिकार उन सब को भी जिन्हे इस प्रकार के पुरूस्कार गलत लगते हैं क्युकी बात पुरूस्कार की नहीं हैं बात मीडियम के हाइजैक होने की हैं

जो लोग ये कह रहे हैं उन से बेहतर और कोई नहीं था इसलिये उनको मिला या जो लोग कह रहे हैं नहीं मिला इस लिये ये प्रतिक्रया हैं वो सब अपनी जगह ठीक हैं क्युकी जितनो को मिला हैं उनसब को अगर ये उपलब्धि लगती हैं तो हो सकता हैं उनके लिये उपलब्धि की सीमा पुरूस्कार मिलने तक सिमित होती होगी

May 10, 2011

सलीका

अब पुरूस्कार मिलते नहीं
प्राप्त किये जाते हैं
अच्छा हैं कुछ तो समय बदला
वर्ना सब कुछ यहाँ
हिंदी वालो के लिये
मरणोपरांत ही होता था

अब किस मे हैं इतनी सहनशीलता
कि लिखता रहे मरने तक
और मर जाये लिखते लिखते
एक पुरूस्कार की आस मे


अब तो सब रेडीमेड होगया हैं
लिखना भी , पुरुस्कृत होना भी

पहले लोग कहते थे
हमे अपनी जिंदगी लगा दी
तब जा कर लिखने का
सलीका आया

अब लोग कहते हैं
हमने एक ग्रुप बनाया और
लिखने वालो को
पुरूस्कार पाने का
सलीका सिखाया

May 02, 2011

ऐसा दिन जल्दी आये यही कामना हैं जब ब्लोगर मंच पर खडा हो और लोग उसके हाथ से पुरूस्कार ले । लेकिन होगा तब जब लोग अंधी दौड़ मे नहीं भागेगे

ऐसे बहुत से प्रकाशक हैं जो पैसा लेकर किताब छपते हैं और आज की तारीख मे २०००० रूपए मे एक किताब छप भी जाती हैं और लेखक को ५०० प्रतियां भी मिलती हैं बेचने के लिये .

मैने हमेशा हिंदी ब्लोगिंग को संगठन मे बांधने का विरोध ही किया हैं . तक़रीबन शायद २ साल पहले जब परिकल्पना पर पहली पोस्ट आयी थी की हिंदी ब्लॉग कौन से बेस्ट हैं या ऐसा ही कुछ मैने वहाँ यही कहा था ये आप की पसंद की लिस्ट हैं

कुछ दिन पहले रविन्द्र प्रभात जी के ब्लॉग पर जब ५१ ब्लोगर को पुरुस्कृत किये जाने की पोस्ट थी तो मैने चुनाव का कारण और प्रक्रिया के विषये मे जानना चाहा था और उन्होने कहा था ये परिकल्पना समूह के पुरूस्कार हैं । उनके लिये हैं जो उस समूह से जुड़े हैं ।

ब्लॉग का माध्यम अभिव्यक्ति का माध्यम हैं और यहाँ बहुत से लोग हैं जो हिंदी से नहीं हैं और जो साहित्यकार भी नहीं हैं और ना ही बनना चाहते हैं . लेकिन कुछ लोगो ने ब्लॉग के माध्यम से अपने को साहित्यकार घोषित करने का बीड़ा उठा ही लिया हैं .

परिकल्पना पुरूस्कार
एक प्राइवेट फुन्क्शन था यानी एक निजी पार्टी जहां आप पैसा देकर अपना नाम ब्लोगिंग में दर्ज करवा सकते हैं जो करवाना चाहते थे उन्होने किया .

अब अगर सहारा श्री अपने नाम का टिकेट छपवा कर वो भी इन्टरनेट से रोयल मेल की वेब साईट से ये कह सकते हैं उनको सम्मान दिया गया तो फिर ये तो मामूली बात हैं

हिंदी लेखको को सम्मान खरीदना आगया हैं ये एक फक्र की बात होनी चाहिये , पहले ये प्रथा केवल विदेशो तक सिमित थी . हाँ हिंदी साहित्य में भी सम्मान की खरीद फरोक्त होती ही रहती हैं .

लेकिन एक निजी पार्टी के लिये ऊँगली उठाना ,कोई अच्छी बात नहीं हैं . ये उनका अधिकार हैं वो कितना खिलाना पिलाना चाहे , बांटना चाहे , उसके जरिये आपने अपने कार्य क्षत्रो में आगे बढ़ कर अपने विभाग से इसके जरिये तरक्की लेना चाहे इत्यादि उनका अपना नज़रिया हैं .

ब्लॉग पर चर्चा करने के लिये वो लोग क्यूँ बुलाये जाते हैं जिनको ब्लॉग लिखना ही नहीं आता ?? क्युकी उनके जरिये वहाँ तक पहुचा जा सकता हैं जहां किताबे छपने के लिये ग्रांट मिलती हैं
वर्धा में भी लोग अपनी किताबे ले जाते हैं वहाँ के वी सी को दिखाते हैं , ये सब चलता हैं और चलता रहेगा .

ब्लॉग से इस सब का कोई लेना देना नहीं नहीं हैं उनकी निज की पार्टी थी , जिस की जितनी हसियत थी उसने उतना खर्च किया इसमे गलत कुछ नहीं हैं ।

जब वर्धा मे प्रायोजित कार्यक्रम हुआ तो वहाँ भी जो लोग गए थे उनको भी किराया और रहने की सुविधा दी गयी थी । अब वो ज्यादा काबिल थे या ये ५१ या जिनको दोनों जगह मिली वो ??

अब फायदा लोग कह रहे हैं ब्लोगिंग का हुआ हैं , लोग जान गए ब्लोगिंग को

लोग ब्लोगिंग को जान गए ये फायदा तब माना जाएगा जब किसी को केवल ब्लॉग लिखने की वजह से कहीं ऐसी जगह बुलाया जाए जो प्रायोजित ना हो यानी

जो स्थान आप किसी मुख्यमंत्री , वी सी , या मीडिया कर्मी को देकर और उसके हाथ से पुरूस्कार ले कर अभिभूत हो रहे वो स्थान किसी ब्लोग्गर का हो और अभिभूत दूसरे हो रहे हो जो ब्लॉग ना लिखते हो ।

ऐसा दिन जल्दी आये यही कामना हैं जब ब्लोगर मंच पर खडा हो और लोग उसके हाथ से पुरूस्कार ले । लेकिन होगा तब जब लोग अंधी दौड़ मे नहीं भागेगे

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