मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

September 28, 2011

मेरा कमेन्ट

लोकार्पण - पुस्तक का मतलब अपनी पुस्तक को लोक को अर्पण करना ये मतलब आज पहली बार ही पढ़ा हैं
लोकार्पण /विमोचन इत्यादि का मतलब सहज रूप से बात इतना होता हैं की नयी किताब बाजार में आगयी हैं और आज ओपचारिक रूप से उसका एलान हो रहा हैं .
लोकार्पण / विमोचन लेखक और प्रकाशक दोनों करते हैं / करवाते हैं और इसका मूल उदेश्य किताब को बेचना होता हैं .
लोकार्पण /विमोचन किसी जानी मानी हस्ती से करवाया जाता हैं जो किताब को बिकवाने में सहायक हो
आज कल लोग पैसा भी लेते हैं किसी किताब के लोकार्पण मे आने के लिये
लोकार्पण के बाद भी किताब मे लिखी हर पंक्ति हर शब्द पर लेखक का कॉपी राईट होता हैं अगर ये किताब में लिखा हो तो
जिस किताब में ऐसा नहीं लिखा होता मान कर चलना चाहिये की लेखक ने पाण्डुलिपि प्रकाशक को बेच दी हैं

लेखन का उदेश्य क्या हैं ये आलोचक नहीं बता सकता हैं , आलोचक महज ये बता सकता हैं की उसको किताब / लेख कितना पसंद आया . पाठक जरुर उदेश्य खोज लेता हैं क्युकी पाठक लिखे को बरतता हैं .

वर्तमान कभी ये निर्धारित नहीं कर सकता की नकारात्मक लेखन हैं क्युकी अगर वर्तमान ये निर्धारण कर सकता तो तुलसी को ब्राह्मण समाज की अवेहेलना ना झेलनी पड़ती . समकक्ष लोगो के अपने उदेश्य जुड़े होते हैं किसी को सकारात्मक या नकारात्मक लेखक कहने के लिये और महाभारत के रचियता को तो समाज ने उनके जनम के कारण शायद अपना कभी माना ही नहीं

साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं


लेकिन लोकार्पण साहित्यकार बनने का भोपू मात्र होता हैं और इसके जरिये कोंटेक्ट बनते हैं

मेरा कमेन्ट यहाँ

September 24, 2011

आत्महत्या

आत्महत्या करने वाले कमजोरऔर बहादुर दोनों होते हैं । वो अपने चारो तरफ एक ऐसी दुनिया बना लेते हैं जो जिसमे या तो खुशिया ही खुशियाँ हैं या गम ही गम हैं । लेकिन वो दुनिया उनकी अपनी दुनिया होती हैं और वो दुनिया बाहरी दुनिया से मैच नहीं करती ।

कहीं पढ़ा था जो लोग आत्म हत्या करसकते है वो किसी का खून भी कर सकते हैं
अगर हम मे से क़ोई तंग आकर आत्महत्या कर ले ब्लॉग पर विवाद के कारण स्त्री या पुरुष क़ोई भी तो क्या होगा

किसी को कगार पर देखिये तो सहारा दे कर किनारे कर दे मानवता का तकाजा हैं
वो कितना भी सही गलत क्यूँ ना हो

फेसबुक आत्म हत्या प्रकरण से अगर हम कुछ सीख सके तो ही नयी पीढ़ी को कुछ बचा सकेगे


अपने को माफ़ कर सके बस गलती इतनी ही हो । कभी कभी गलती / भूल ऐसी हो जाती हैं की फिर आजीवन अपने को माफ़ कर सकना भी संभव नहीं होता हैं

दुनिया इतनी बड़ी हैं की हम सब अपने अपने प्रिय जनों के साथ अलग अलग आराम से रह सकते हैं
अपने अपने कर्त्तव्य पूरे करे हम जहां हैं वहाँ बस

एक दूसरे से अपनी अपेक्षाए अगर हम कम कर दे तो शायद आत्महत्या की गूंजाईशे कम होगी

September 23, 2011

हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगर

हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगर की संख्या कम हैं लेकिन हैं जरुर । एक हैं जो कहीं कमेन्ट नहीं देते आज कल । जब देते थे तब कुछ ब्लॉग को छोड़ कर बाकी सब जगह वर्तनी की अशुद्धियाँ सुधारा करते थे । अब हिंदी में ब्लोगिंग करनी हैं तो यही टोटका हैं दूसरो के ब्लॉग पर जाओ और वर्तनी सुधारो । महान काम करो और दिखाओ तुम एलीट हो , हिंदी के ज्ञानी हो और दूसरे जमीन पर गिरे पड़े लोग हैं बेचारे हिंदी ब्लोगिंग में आगये और तुम्हारी हिंदी को बिगाड़ रहे हैं । ख़ैर अगर किसी को ब्लोगिंग का मतलब स्कूल मास्टरी लगती हैं तो क़ोई बात नहीं ये माध्यम अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का हैं ।

आज कल ये एलीट ब्लोगर कहीं कमेन्ट नहीं करते । क्यूँ करे एक के अलावा किसी का लेखन इस लायक ही नहीं हैं की वो पढ़ सके । कभी अपने ब्लॉग पर प्रेम पत्र लिखते रहे तो कभी किस्सा कहानी , अच्छी हिंदी में , अब हिंदी अच्छी हैं उनकी तो वो क्यूँ कहीं जाए , हमारे यहाँ तो कभी भूल कर भी दर्शन नहीं देते । क़ोई बात नहीं ये भी उनका अधिकार हैं आपत्ति नहीं की जा सकती ।

ब्लॉग जगत के सबसे छिछले लम्बे प्रकरण में अपनी भूमिका पर हमेशा चुप्पी साधे रहते हैं और जिन के साथ चैट पर उस प्रसंग की शुरुवात की गयी उसको दरकिनार करके हमेशा ब्लॉग जगत में होती उठा पटक पर अपनी लम्बी लम्बी पोस्टो में दूसरे ब्लोगर को प्रवचन देते रहते हैं की किस पोस्ट को क्या समझो ।

एक जगह लिख दिया अपनी पोस्ट में किसी के बारे में की इंग्लिश ब्लोगिंग में होते तो आप को क़ोई ना पूछता , पढ़ कर सोचा की भाई आप को कितने पूछ रहे हैं इंग्लिश ब्लोगिंग में ।
दूसरी जगह लिखा विवाहिता को ब्लोगिंग छोड़ कर अपने घर परिवार को देखना चाहिये , लीजिये इतने विवाहित पुरुष हैं जो ब्लोगिंग में सुबह से शाम तक पोस्ट पर पोस्ट देते हैं जब उनके घर परिवार सही चल रहे हैं तो विवाहिता के भी चल ही रहे होगे ।

मुझे एक बात समझ नहीं आयी की जब आप इतने एलीट हैं की किसी के ब्लॉग पर जाकर कमेन्ट करना नहीं चाहते तो हर मुद्दे , विवाद पर जो ब्लॉग जगत में होते हैं उस पर अपनी पोस्ट देकर क्यूँ हम गवारो के बीच में अपनी जहीन हिंदी को लेकर अपनी बहुमूल्य राय देते हैं

ये कुत्ता बिल्ली चूहा कबूतर इत्यादि जब व्यक्तिगत चैट पर जहीन लोग लिखते हैं तो वो कितने जहीन हैं और उनकी हिंदी कितनी जहीन हैं खुद पता चल जाता हैं । पर्दे के पीछे बैठ कर ऊँगली पर डोरी बाँध कर हिंदी ब्लोगिंग का जितना सत्यानाश हो सकता था हो चुका है । आप जितनी हिंदी सुधार सकते थे आप सुधार चुके । जिनके आप मित्र हैं उनके ब्लॉग पर जितना विष आप उगल सकते थे कमेन्ट में आप उगल चुके । अब बस नहीं कर सकते तो पूरी बात खुल कर दर्ज करिये , उस पहले चैट से लेकर आज तक । हिम्मत है तो खुल कर कहिये हाँ मै भी हिस्सा हूँ ।

नये ब्लॉग बन रहे हैं , नये लोग आ रहे हैं वो अपनी पसंद का पढ़ रहे हैं उनको क्रोनोलोजी नहीं पता हैं और वो ये भी नहीं जानते की कौन एलीट हैं और कौन गवार हैं और कैसे एलीट और गवार मिलकर सूत्रधार हैं और हर बार बच निकलते हैं ।

सो अगर आप इतने एलीट ही की कहीं जाना और कमेन्ट करना आप को नहीं सुहाता और आप महज हिंदी की सेवा के लिये यहाँ हैं तो हम जैसो के ऊपर टंच ना कसे और नये लोगो के साथ हम को हिंदी ब्लोगिंग के मजे लेने दे ।

हमे हिंदी ना आती हो ना सही हमे दूसरो को आंकलित करना ना आता हो ना सही पर कम से कम हम आम आदमी की तरह अपनी बात को कहने में हिचकते नहीं हैं

दूसरो के घर में अगर आप झाँक कर और अपने घर में पहुच कर दूसरो को प्रवचन देते हैं तो वो गॉसिप होता हैं और प्रवचन तभी अच्छा होता है जब आप खुद दूध के धुले हो । इन्टरनेट में हर चैट और लिंक सुरक्षित होता हैं।



कमेन्ट शाम को पुब्लिश होगे हो सकता हैं ना भी हो हो सकता हैं पहले हो जाये

अपडेट
जो लोग कमेन्ट में ये कह रहे हैं गोल मोल बात ना करे नाम ले वो कृपा कर सब जगह जा कर नाम लेकर पोस्ट लिखने का आग्रह करे
मैने ये यही आकर सीखा हैं
और मै वो क़ोई भी कमेन्ट नहीं छापूँगी जिसमे किसी का भी नाम होगा क्युकी जब मेरे ऊपर बिना नाम लेकर क़ोई लिखता हैं तो मुझे भी अधिकार हैं अपने हिसाब से लिखने का
मुझे सीख ना दे नहीं चाहिये , प्रवचन भी नहीं जो जिस खेमे में हैं जरुर रहे ,,मेरा रेफरेंस क़ोई भी दे नाम के साथ दे मै वही करुगी नहीं देगा उसकी मर्ज़ी

September 20, 2011

बस यूँ ही

बस यूँ ही

किसी वजह से ये पोस्ट कल नहीं दिखी
हो सकता हैं आज दिख जाए

September 18, 2011

बस यू ही

छोटी छोटी नावो पर
ज्ञानी टिपण्णी जाल लिये बैठे हैं
ब्लोगिंग के ताल में

मछली से मगरमच्छ तक
हर नए जीव को
प्रोत्साहन के नाम पर
टिपण्णी का चूरा डाल

अपने अपने जाल में
फसाते हैं
उनको सारे नये पुराने अफसाने
फिर सुनाते हैं

किसी का जाल कभी
अगर फट जाता हैं
तो उसके फसाए
सब जीव जंतु बाहर आ जाते

कुछ फिर डूब जाते हैं क्युकी
दूसरे ज्ञानी उनको नहीं बचाते हैं

कुछ डूबते नहीं उतरा जाते हैं
और
टिपण्णी टिपण्णी खेलने लग जाते हैं

कुछ ना डूबते हैं ना उतराते हैं
बस उस ज्ञानी को ही काट खाते हैं
जिसके जाल में फसे थे

फिर एक ज्ञानी दूसरे ज्ञानी को
काटे का इलाज बताता हैं
और दूसरा ज्ञानी अपने जाल के
कांटे सही करने लग जाता हैं

लोग काटने वाले में
बुराई खोजते हैं
जबकि काँटा और चूरा
किसी और का था



दिस्क्लैमेर
ज्ञानी का उपयोग सरदार के लिये भी होता हैं पर यहाँ नहीं किया गया हैं । यहाँ ज्ञानी का अर्थ विद्या के धनी के लिये है
इस पोस्ट का किस ब्लॉगर से क़ोई लेना देना नहीं हैं अगर क़ोई अपने को पता हैं तो वो उसकी कल्पना हैं

मेरा कमेन्ट

ये पोस्ट पढ़ कर टी वी पर आता विज्ञापन याद आगया
वो जिसमे दो महिला कपड़े धो कर सुखा रही हैं और पड़ोसन कर कहती है
आप के बेटे की कमीज मेरे घर में उड़ कर आगई थी इस लिये मैने धो दी

जिन लोगो को ब्लोगिंग पर अपनी पुस्तक वाने के लिये सरकारी ग्रांट मिल चुकी हो उनके यहाँ कुछ बेहतर लेखन की उम्मीद रहती हैं ये सोच कर की ये सरकारी अनुदान प्राप्त लेखक हैं पर यहाँ आकर निराशा हाथ लगी .

मेरा कमेन्ट

ये पोस्ट पढ़ कर टी वी पर आता विज्ञापन याद आगया
वो जिसमे दो महिला कपड़े धो कर सुखा रही हैं और पड़ोसन आ कर कहती है
आप के बेटे की कमीज मेरे घर में उड़ कर आगई थी इस लिये मैने धो दी

जिन लोगो को ब्लोगिंग पर अपनी पुस्तक छप वाने के लिये सरकारी ग्रांट मिल चुकी हो उनके यहाँ कुछ बेहतर लेखन की उम्मीद रहती हैं ये सोच कर की ये सरकारी अनुदान प्राप्त लेखक हैं पर यहाँ आकर निराशा हाथ लगी .

September 17, 2011

बुरे वक्त को दावत ना दे

कल मोहमद अजहरुद्दीन के बेटे की मौत होगई । १९ साल का था । उसके ७ दिन पहले उसके १६ साल के कजिन भाई की मौत हुई ।

दोनों हैदराबाद में रिंग रोड पर स्पोर्ट्स बाइक चला रहे थे और उनकी बाइक फिसल गयी ।
बाइक की स्पीड १८० कम से ऊपर थी ।
पीछे बैठे १६ साल के बालक के सिर पर हेलमेट भी नहीं था
बाइक ७ दिन पहले ही खरीदी गयी थी और चलाने वाला प्रशिक्षित भी नहीं था

और सबसे बड़ी बात जिस सड़क पर बाइक चलाई जा रही थी वहाँ बाइक चलाना गैर क़ानूनी हैं

अजहरुदीन का अपना जीवन भी कानून तोड़ते ही बीता । चाहे फिर वो क्रिकेट हो जहां से उनको , उनकी मैच फिक्सिंग की आदत के चलते ना केवल बाएँ किया गया अपितु उनके नाम के सारे रिकोर्ड भी मिटा दिये गए । व्यक्तिगत जीवन में भी उन्होने अपनी पहली पत्नी को तलक दिया और फिर संगीता बिजलानी के साथ कुछ साल रहे और फिर एक और महिला के साथ ।
अपने बच्चो को भी शायद उन्होने कानून को ना मानने की ही सलाह दी होगी ।

इतनी महगी बाइक खरीद कर इतने कम उम्र के बच्चे को देना , बुरे वक्त को खुद आवाहन देना जैसे होगया ।

कितनी भी संवेदना मन में हो इन दोनों बच्चो की अकाल मृत्यु पर , लेकिन फिर भी एक ही बात लगती हैं की हमारे कर्म हमारे समाने इसी जनम में आ जाते हैं
स्वर्ग और नरक दोनों यही हैं और अपने कर्म की सजा हमको इसी जन्म में मिल जाती हैं
एक पिता और चाचा के लिये इस से ज्यादा दुःख देने वाला और क्या होगा

ॐ शांति शांति शांति

September 12, 2011

क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं

मै जानना चाहती हूँ क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं जो फ्रैक्चर के बाद ली जा सकती हैं और जिससे हड्डी सुगमता से और जल्दी जुड़ जाती हैं ।

क्या ये दवा बिना डॉक्टर के पास जाए किसी मरीज को दी जा सकती हैं
क्या ये दवा एलोपैथी के दवा के साथ साथ भी दी जा सकती हैं

मरीज़ की कलाई की हड्डी टूट गयी है और ६ हफ्ते का प्लास्टर हैं

क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं

मै जानना चाहती हूँ क्या होमियोपैथी मे क़ोई ऐसी दवा हैं जो फ्रैक्चर के बाद ली जा सकती हैं और जिससे हड्डी सुगमता से और जल्दी जुड़ जाती हैं ।

क्या ये दवा बिना डॉक्टर के पास जाए किसी मरीज को दी जा सकती हैं
क्या ये दवा एलोपैथी के दवा के साथ साथ भी दी जा सकती हैं

मरीज़ की कलाई की हड्डी टूट गयी है और ६ हफ्ते का प्लास्टर हैं

September 11, 2011

गणपति विसर्जन v/s ट्वेन टावर विसर्जन

आज गणपति जी का विसर्जन हैं और हमारा मीडिया आज ट्वेन टावर का विसर्जन ही दिखा रहा हैं । इतना दुःख तो अमेरिका में उनका मीडिया नहीं दिखा रहा जितना हमारा दिखा रहा हैं ।

September 08, 2011

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास

बम ब्लास्ट में कल १२ लोग मारे गए ।
१२ आम नागरिको की लाशो के लिये हमारे दिल्ली और सेंटर के नेता / अफसर कफ़न का इंतजाम नहीं कर सके ।
परिजन को कहा गया की खुद ले आओ । या पैसा दे दो सब काम हो जाएगा

कहां जा रहे हैं हम लोग ??
अन्ना मोवेमेंट का इतना फायेदा होगया हैं की लोग अब आवाज उठाने लगे हैं
परिजन खुले आम गाली दे रहे हैं

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास
थू हैं ऐसी राज नीति पर जो ५ लाख देने का दावा कर देती हैं मृतक के लिये पर एक कफ़न का इंतज़ाम नहीं कर सकती

September 06, 2011

कौन ज़िम्मेदार हैं इन सब जानो का जो इन मिग २१ के हादसों में गयी हैं

आज फिर एक मिग २१ विमान क्रेश हो गया । शुक्र हैं पाइलट समय रहते इजेक्ट कर गए ।
हमेशा मिग २१ के क्रेश के बाद एक ही ख्याल आता हैं की अभी और ऐसे कितने विमान सेना के पास हैं जिनका क्रेश निश्चित ही हैं ।
जब ये पता हैं की ये विमान तकनिकी रूप से सही नहीं हैं फिर क्यूँ इनका उड़ाया जाना जारी हैं ।

कितने और पाइलट अपनी जान गवाये गए अभी
कौन ज़िम्मेदार हैं इन सब जानो का जो इन मिग २१ के हादसों में गयी हैं

September 05, 2011

क्या ये संभव हैं

ब्लॉग फ्लर्टिंग
  1. ब्लॉग रोमांस
  2. ब्लॉग विवाह
  3. ब्लॉग डिवोर्स
  4. ब्लॉग ट्रौमा

क्या ये सब संभव हैं , ??

मुझे लगता हैं कम से हिंदी ब्लॉग जगत में न केवल ये संभव हैं अपित्तु हो भी रहा हैं ।

कहां , कहां ???

ये नहीं अभी बताना हैं लेकिन बताना जरुर हैं और वो भी प्रमाण और साक्ष्य के साथ

कब
बस इंतज़ार करिये लेकिन जानने की इच्छा हैं या नहीं ये जरुर कहिये

September 04, 2011

नए कमेन्ट बंद कर दिए हैं सो मेरा कमेन्ट यहाँ

अदा जी Link
आप ब्लॉग जगत से दूर हैं और आप को कुछ भी लिखने से पहले ये पता अवश्य कर लेना चाहिये था की वाणी जी ने नारी ब्लॉग से क़ोई मद्दत नहीं ली हैं . और नारी ब्लॉग अब सामूहिक ब्लॉग भी नहीं हैं . वाणी जी ने मुझ से कहा , मैने अपना नज़रिया दिया और मद्दत करने का रास्ता भी बता दिया की नारी ब्लॉग पर सारे पते मिल जायेगे , वाणी जी खोज ले . वो इतना भी नहीं कर सकी उल्टे उन्होने मेरी नियत पर ही ऊँगली उठा दी . मैने अपने ना करने का कारण स्पष्ट कर दिया उसको भी प्रशन लगा दिया वाणी जी ने , वो भी बिना नाम के .
कम से कम मै तो इतनी समझ रखती हूँ की किस की मद्दत की जाए और किसकी नहीं . क्या जितने लोग यहाँ मद्दत की बात कर रहे हैं उनमे से क़ोई भी ये कह सकता हैं ये महिला ही हैं , क्या ये क़ोई पुरुष नहीं हो सकता जो निशांत जी के जरिये किसी महिला तक पहुचना चाहता हो .

मै क्यूँ बेफिजूल अपना समय और वक्त बर्बाद करू जब तक मुझ से किसी ने सीधे संपर्क नहीं किया हैं . और मै निशांत की तारीफ़ करती हूँ की उन्होने सही समय पर अपना हाथ खीच लिया . आगे भी वो ध्यान देगे .



और अदा जी , एक व्यसक को अपनी आदत खुद बदलनी होती हैं . या फिर किसी डॉ से मद्दत लेनी होती हैं . क़ोई qualified person ही विवाहित स्त्रियों की आम परेशानियों को सुन कर उनको समझा सकता हैं
और उसके सारे पते नारी ब्लॉग पर मौजूद हैं

आप बिना वास्तिविकता से परचित हुए इतना लम्बा आख्यान दे गयी क़ोई बात नहीं आप को अधिकार हैं पर मेरी विनिती हैं मुझे समझाने की जगह की आदत से केसे छुटकारा पाया जाए की जगह कुछ समय ब्लॉग जगत में पीछे क्या हुआ उस पर अवश्य नज़र डालले



निशांत जी
उसकी समस्या को उनकी आदत या कम्फर्ट ज़ोन का परिणाम मानकर नज़रंदाज़ कर देना ठीक नीति नहीं है।

जैसे जैसे आप इन सब समस्या को रोज अपने पास होते देखेगे आप खुद महसूस करेगे की ये समस्या हैं ही नहीं ये एक आदत हैं और भारतीये जीवन शेली का नतीजा हैं

और आप ने अंत में ये कह कर

आइन्दा ऐसा कुछ होने पर पूरी तरह से नज़रंदाज़ कर दूंगा। मुझे किसी के फटे में टांग अड़ाने की क्या ज़रुरत है!?

मेरी ही बात पर मुहर लगा ही दी हैं


लिंक जहां कमेन्ट बंद हैं

September 03, 2011

बस यू ही

अभी कुछ दिन पहले बहिन की सास का निधन होगया था । बहिन के देवर अमेरिका में बसे हैं और संस्कार तक नहीं आ पाए थे । अविवाहित हैं और अकेले रहते हैं । दो दिन बाद ही पहुच सके । उन से बात हो रही थी , अपने पिता जी को वो बताने लगे की जब फ़ोन मिला तो में विचलित होगया था । अकेला था , रात का समय था अगले दिन भी मन नहीं लगा । उनके पिता जी ने कहा तो कहीं किसी से बात कर लेते ।
वो बोले यही सोच रहा था , अमेरिका में तो ऐसी बहुत सी एजेंसिया हैं जहां लोग आप से घंटे के हिसाब से पैसा लेते हैं और आप फिर अपने मन की जितनी बाते चाहे उनसे कर सकते हैं । फिर सोचा बेकार १५० डॉलर के आस पास खर्च होगा सो नहीं की ।


खाना जरुरी हैं ट्राई करे






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