सचिन को भारत रत्न सम्मान से उस दिन सम्मानित किया गया जिस दिन उन्होने गेम से संन्यास लिया। २२ गज पर निरंतर २४ साल तक सचिन भागते रहे। अपनीं जिंदगी के २४ साल उन्होने क्रिकेट को दिये और बदले में क्रिकेट ने उनको वो सब कुछ दिया जिसकी कामना हम सब करते हैं।
सचिन को भारत रत्न कहना सही हैं क्युकी सचिन ने माध्यम से भारत को गौरव के शिखर पर हमेशा खड़ा किया , एक समय वो भी था जब भारत कि टीम कि हार के बाद मोहमद कैफ का घर फैंस ने नाराज हो कर जला दिया था उस समय सचिन ने टीम कि तरफ से देश से माफ़ी भी मांगी थी।
रश्क होता हैं सचिन कि माँ से जो अपनाए जीवित रहते अपने बेटे को " भारत रत्न " बनते देख सकी। वो देख सकी अपने बेटे का अर्जित सम्मान , वो देख सकी जिस बच्चे को उन्होने अच्छा इंसान बनने के संस्कार दिये उसने एक अच्छा इंसान बन कर दिखाया।
काश हम अपने अभिभावको के दिये गए दिशा निर्देशो में "अच्छा इंसान बनो " के दिशा निर्देश का सम्मान करे।
आज लोग कह रहे हैं सचिन से ज्यादा दूसरे खिलाडी इस सम्मान के अधिकारी हैं जरुर हैं और इसी लिये सचिन ने कहा उन्होने ये सम्मान हर उस खिलाड़ी के लिये लिया हैं।
मैने हमेशा माना कि मे सचिन के खेल कि नहीं सचिन कि फैन हूँ
एक लम्बी लिस्ट हैं क्रीतिमानो क्रिकेट दौर की । इस सब से ऊपर भी एक बात हैं जो बहुत महत्व पूर्ण हैं । एक सेलेब्रिटी हैं सचिन और फिर भी इस पूरे २० साल मे कही भी उनके किसी भी प्रेम प्रसंग का अपने विवाहित जीवन से इतर को उल्लेख नहीं आया हैं । अपने से ५ साल बड़ी महिला से प्रेम विवाह कर के , दो बच्चों के पिता बनके सचिन "एक पूर्ण पुरूष " की भूमिका मे ही रहे । दूसरे सेलेब्रिटी की तरह ना तो उनके कोई ऐसी संतान हैं जिसको वो "गलती " का नाम देते हैं और ना ही कोई ऐसी "प्रेमिका " हैं जिसको वो "भूलने " का दिखावा करते हैं ।
जिन्दगी सीधे रास्ते से भी जी जाती हैं और जीनी चाहिये और इसकी मिसाल हैं सचिन जो एक सच्चे देश भक्त भी हैं । उनके लिये "इंडिया " से ज्यादा कुछ नहीं क्रिकेट भी नहीं । वो सचिन ही थे जिन्होने सबसे पहले कारगिल युद्घ के बाद पाकिस्तान जा कर क्रिकेट खेलने से मना किया था ।
हमारी कामना हैं की ईश्वर ऐसे सचे इंसान और बनाता चले जो देश के लिये मर मिटना का जज्बा रखते हो और अपनी जिंदगी सही तरह से जीते हो । जो लोग भी " मिल सकता हैं " को केवल इस लिये ना ले क्युकी वो "ग़लत " हैं वही लोग इंसान कहलाने के हकदार होते हैं ।
गलत को रोकना मुश्किल हो सकता हैं पर गलत को ना करना बहुत आसन होता हैं और सचिन इस की मिसाल हैं ।
सचिन को भारत रत्न कहना सही हैं क्युकी सचिन ने माध्यम से भारत को गौरव के शिखर पर हमेशा खड़ा किया , एक समय वो भी था जब भारत कि टीम कि हार के बाद मोहमद कैफ का घर फैंस ने नाराज हो कर जला दिया था उस समय सचिन ने टीम कि तरफ से देश से माफ़ी भी मांगी थी।
रश्क होता हैं सचिन कि माँ से जो अपनाए जीवित रहते अपने बेटे को " भारत रत्न " बनते देख सकी। वो देख सकी अपने बेटे का अर्जित सम्मान , वो देख सकी जिस बच्चे को उन्होने अच्छा इंसान बनने के संस्कार दिये उसने एक अच्छा इंसान बन कर दिखाया।
काश हम अपने अभिभावको के दिये गए दिशा निर्देशो में "अच्छा इंसान बनो " के दिशा निर्देश का सम्मान करे।
आज लोग कह रहे हैं सचिन से ज्यादा दूसरे खिलाडी इस सम्मान के अधिकारी हैं जरुर हैं और इसी लिये सचिन ने कहा उन्होने ये सम्मान हर उस खिलाड़ी के लिये लिया हैं।
मैने हमेशा माना कि मे सचिन के खेल कि नहीं सचिन कि फैन हूँ
एक लम्बी लिस्ट हैं क्रीतिमानो क्रिकेट दौर की । इस सब से ऊपर भी एक बात हैं जो बहुत महत्व पूर्ण हैं । एक सेलेब्रिटी हैं सचिन और फिर भी इस पूरे २० साल मे कही भी उनके किसी भी प्रेम प्रसंग का अपने विवाहित जीवन से इतर को उल्लेख नहीं आया हैं । अपने से ५ साल बड़ी महिला से प्रेम विवाह कर के , दो बच्चों के पिता बनके सचिन "एक पूर्ण पुरूष " की भूमिका मे ही रहे । दूसरे सेलेब्रिटी की तरह ना तो उनके कोई ऐसी संतान हैं जिसको वो "गलती " का नाम देते हैं और ना ही कोई ऐसी "प्रेमिका " हैं जिसको वो "भूलने " का दिखावा करते हैं ।
जिन्दगी सीधे रास्ते से भी जी जाती हैं और जीनी चाहिये और इसकी मिसाल हैं सचिन जो एक सच्चे देश भक्त भी हैं । उनके लिये "इंडिया " से ज्यादा कुछ नहीं क्रिकेट भी नहीं । वो सचिन ही थे जिन्होने सबसे पहले कारगिल युद्घ के बाद पाकिस्तान जा कर क्रिकेट खेलने से मना किया था ।
हमारी कामना हैं की ईश्वर ऐसे सचे इंसान और बनाता चले जो देश के लिये मर मिटना का जज्बा रखते हो और अपनी जिंदगी सही तरह से जीते हो । जो लोग भी " मिल सकता हैं " को केवल इस लिये ना ले क्युकी वो "ग़लत " हैं वही लोग इंसान कहलाने के हकदार होते हैं ।
गलत को रोकना मुश्किल हो सकता हैं पर गलत को ना करना बहुत आसन होता हैं और सचिन इस की मिसाल हैं ।