लोग कहते हैं की माफ़ कर देना चाहिये और आगे बढ़ना चाहिये। कमाल हैं जब तक कोई माफ़ी ना मांगे आप कैसे किसी को भी माफ़ कर सकते हैं ? माफ़ी कोई तब मांगता हैं जब उसको लगता हैं की उसने कोई गलती की हैं और अगर कोई माफ़ी मांगता ही नहीं हैं तो उसको अपनी कोई गलती लगती ही नहीं हैं। ऐसे में उसको माफ़ कर देने से क्या फरक पड़ जाता हैं ?
लोग ये भी कहते हैं जो माफ़ नहीं करते हैं वो खुश नहीं रह पाते , कोई खुश हैं या नहीं हैं ये लोग कैसे जान लेते हैं ?
पढ़ा था
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
यानी अगर एक सांप जिसके अंदर विष हैं वो क्षमा करता हैं तो ही क्षमा करने में शोभा हैं यानी बलवान ही क्षमा कर सकता हैं
तो जो लोग बिना किसी के माफ़ी मांगे उसको क्षमा करने का ढोंग करते हैं वो केवल और केवल अपने को बलवान सिद्ध करना चाहते हैं जबकि वो शायद बहुत डरपोक और कमजोर हैं
पता नहीं पिछली पोस्ट के बाद से यही दिमाग में हैं
लोग ये भी कहते हैं जो माफ़ नहीं करते हैं वो खुश नहीं रह पाते , कोई खुश हैं या नहीं हैं ये लोग कैसे जान लेते हैं ?
पढ़ा था
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
यानी अगर एक सांप जिसके अंदर विष हैं वो क्षमा करता हैं तो ही क्षमा करने में शोभा हैं यानी बलवान ही क्षमा कर सकता हैं
तो जो लोग बिना किसी के माफ़ी मांगे उसको क्षमा करने का ढोंग करते हैं वो केवल और केवल अपने को बलवान सिद्ध करना चाहते हैं जबकि वो शायद बहुत डरपोक और कमजोर हैं
पता नहीं पिछली पोस्ट के बाद से यही दिमाग में हैं