ना जाने क्यों लोग आज कल किसी व्यक्ति के पार्टी बदलने से उसके पुराने ब्यान पर संवाद कर रहे है।
क्या एक बदलाव नहीं दिख रहा हैं हमे अपने देश की राज नैतिक व्यवस्था मे। सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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January 23, 2015
बदलाव तभी संभव हैं जब आप बदलाव को समझे और स्वीकार भी करे
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