अर्णव गोस्वामी जैसे लोग जो टाइम्स नाउ पर # लगा कर बेफिजूल
मुद्दो को उठाते हैं वो पत्रकार हैं ही नहीं। कभी भी उनका चेंनेल देखो
केवल उनका ही पक्ष सुनाई देता हैं और दूसरा कोई अपना पक्ष नहीं रख पता हैं
ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर हर बात को ले कर हल्ला मचाना और अपने को बेस्ट
न्यूज़ चैनल बताना उनकी जरुरत हैं ताकि उनके कारोबार के लिये उनको विज्ञापन
मिल सके।
भारतीये वैसे भी हमेशा से सिम्पथी सीकर और गिवर रहे
हैं इस लिये बिना कानून जाने हर मुद्दे पर ढेरो पोस्ट फेसबुक और अन्य सोशल
मीडिया पर रोज दिखती हैं। सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
April 16, 2015
कानून को बदलने की प्रक्रिया होती हैं जो केवल संवेदना आधारित नहीं हो सकती हैं
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