लगा हैं कमेन्ट मोडरेशन ब्लॉग पर उनके
फिर भी व्यक्तिगत कमेन्ट आ रहे हैं
लगता हैं जैसे सार्वजनिक
शौचालय हैं उनका ब्लॉग
जहां दो रूपए दे कर
कोई भी गंदगी छोड़ कर
जां सकता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
बहुत बढ़िया संडास है ..झाड़ू का काम माडरेशन करता है बहुत खूब
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ReplyDeleteयदि कोई गँदगी में लोट लगा कर ही खुश है, तो हम्मैं क्या ?
अब यह बताइये कि यहाँ कहीं Paypal का बटन तो दिख नहीं रहा..आख़िर अपने दो रूपये कहाँ डालूँ ?