मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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March 17, 2010

ब्लोगवाणी पसंद ना पसंद मे अटके

लोग ब्लोगवाणी की पसंद और ना पसंद पर पोस्ट लिख रहे हैं । ख़ास कर वो लोग सबसे ज्यादा जो social networking करते हैं । क्या हर पसंद पोस्ट पर होती हैं ?? शायद नहीं अपने आपसी रिश्तों की बिना पर पसंद ब्लॉगर पर ही होती हैं तो नापसंद अगर ब्लॉगर होता हैं फिर क्यूँ परेशानी होती हैं ।

एक नयी सुविधा महसूस हुई , जो पोस्ट हट जाती हैं वो फिर ब्लॉग वाणी पर नहीं दिखती पता नहीं नारी ब्लॉग पर तो टेस्ट कर लिया अब किसी और का देखना होगा । अगर ये सही हैं तो ब्लॉग वाणी टीम प्रशंसा की पात्र हैं

March 16, 2010

एक कमेन्ट

केवल इसलिए कि मुझे अभी तक यह पुख्ता प्रमाण नहीं दिए गए हैं कि मैंने कब कहाँ और किसके लिए अब्यूजिव भाषा का इस्तेमाल किया है .

it largely depends on how you take the world , if you believe what ever was taught to you when you were in prep or nursery { perhaps in villages prep and nursery does not exist } you can implement today without refining it with experience of self and others and change in time then what ever you may say may sound "objectionable" to others . since you want an discussion here i can site examples where what you wrote was obnoxious to others but then you will permit thousand of comments from people who believe in character slandering { and when you permit that you are doing something atrociously objectionable and dr arvind you have done it for me } i can give you many examples where you cross the limit not just for me but or many others . on blogs we can trash each others writing but we dont trash each others character , we dont permit comments which slander other persons images and if after moderation you permit it you are either still in prep or nursery or you feel that is what has to be done . then why crib when others do it for you

March 03, 2010

एक कमेन्ट

हिंदी और मराठी मे बहुत अंतर हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे बहुत से ब्लॉगर ऐसे हैं जिनका विषय हिंदी नहीं था पर नेट पर मिली सुविधा कि वजह से वो हिंदी लिख रहे हैं । हर ब्लॉगर साहित्यकार ही हो ये हिंदी ब्लोगिंग मे जरुरी नहीं हैं। यहाँ लिखने वालो कि संख्या बहुत ज्यादा हैं और इसका प्रमाण हैं कि रात को तुम्हारी पोस्ट पढ़ केर सोच सुबह कमेन्ट दूंगी तो ब्लॉग वाणी पर पोस्ट इतना नीचे थी कि तिथि से खोजी ।संगठन का अर्थ कितना व्यापक हैं इसको पहले समझना होगा । अगर काम सोसाइटी बनाकर चल सकता हैं तो संगठन कि आवश्यकता नहीं होती हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे हिंदी साहित्य मे रूचि रखने वाले अपनी अलग पहचान चाहते हैं इस से बेहतर कुछ नहीं हो सकता । क्यूँ नहीं वो सब किसी एक सोसाइटी मे मिल सकते हैं कौन रोक सकता हैं लेकिन हां अगर वो एक संगठन बनाना चाहते हैं और ये चाहते हैं "हिंदी ब्लॉगर " का मतलब उनका संगठन हैं तो ये एक भ्रान्ति हैं । इस सोशल नेटवर्किंग के ज़माने मे हिंदी ब्लॉगर संगठन बनाकर अगर दूसरो को अपनी ताकत से डरना मकसद हैं तो वो एक बेकार पहल होगी । लोग virtual से आभासी मे किन्ही कारणों से ही आये होगे । आभासी दुनिया को ख़तम करके संगठन बनाना इस पर लम्बी बहस हो निर्विकार तो अच्छा हो ।हिंदी मे बहुत कुछ समा सकता हैं लेकिन मराठी या अन्य भाषाओ मे उतना नहीं क्युकी हिंदी आम जन कि भाषा हैं । मराठी साहित्य को आगे ले जाने कि जरुरत हो सकती हैं लेकिन हिंदी साहित्य स्थापित हैं ब्लोगिंग मे कविता कहानी लोग पढ़ ही रहे हैं । अभी सबको पढ़ा जाता हैं फिर उनको पढ़ा जाएगा जो संगठन के सदस्य होगेब्लोगिंग केवल साहित्य ही नहीं हैं , ये माध्यम हैं अपनी आवाज दूर तक पहुचने का । बिना मिले एक दूसरे से जुड़ने का , कोई मकसद ले कर चलने का और उस मकसद सेजन चेतना लाने का


रश्मि आज के लिये इतना ही

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