मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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March 03, 2010

एक कमेन्ट

हिंदी और मराठी मे बहुत अंतर हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे बहुत से ब्लॉगर ऐसे हैं जिनका विषय हिंदी नहीं था पर नेट पर मिली सुविधा कि वजह से वो हिंदी लिख रहे हैं । हर ब्लॉगर साहित्यकार ही हो ये हिंदी ब्लोगिंग मे जरुरी नहीं हैं। यहाँ लिखने वालो कि संख्या बहुत ज्यादा हैं और इसका प्रमाण हैं कि रात को तुम्हारी पोस्ट पढ़ केर सोच सुबह कमेन्ट दूंगी तो ब्लॉग वाणी पर पोस्ट इतना नीचे थी कि तिथि से खोजी ।संगठन का अर्थ कितना व्यापक हैं इसको पहले समझना होगा । अगर काम सोसाइटी बनाकर चल सकता हैं तो संगठन कि आवश्यकता नहीं होती हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे हिंदी साहित्य मे रूचि रखने वाले अपनी अलग पहचान चाहते हैं इस से बेहतर कुछ नहीं हो सकता । क्यूँ नहीं वो सब किसी एक सोसाइटी मे मिल सकते हैं कौन रोक सकता हैं लेकिन हां अगर वो एक संगठन बनाना चाहते हैं और ये चाहते हैं "हिंदी ब्लॉगर " का मतलब उनका संगठन हैं तो ये एक भ्रान्ति हैं । इस सोशल नेटवर्किंग के ज़माने मे हिंदी ब्लॉगर संगठन बनाकर अगर दूसरो को अपनी ताकत से डरना मकसद हैं तो वो एक बेकार पहल होगी । लोग virtual से आभासी मे किन्ही कारणों से ही आये होगे । आभासी दुनिया को ख़तम करके संगठन बनाना इस पर लम्बी बहस हो निर्विकार तो अच्छा हो ।हिंदी मे बहुत कुछ समा सकता हैं लेकिन मराठी या अन्य भाषाओ मे उतना नहीं क्युकी हिंदी आम जन कि भाषा हैं । मराठी साहित्य को आगे ले जाने कि जरुरत हो सकती हैं लेकिन हिंदी साहित्य स्थापित हैं ब्लोगिंग मे कविता कहानी लोग पढ़ ही रहे हैं । अभी सबको पढ़ा जाता हैं फिर उनको पढ़ा जाएगा जो संगठन के सदस्य होगेब्लोगिंग केवल साहित्य ही नहीं हैं , ये माध्यम हैं अपनी आवाज दूर तक पहुचने का । बिना मिले एक दूसरे से जुड़ने का , कोई मकसद ले कर चलने का और उस मकसद सेजन चेतना लाने का


रश्मि आज के लिये इतना ही

1 comment:

  1. @रचना जी,
    शायद हिंदी और मराठी में अंतर तो बहुत है पर वह अंतर यह है कि मराठी ब्लोग्स बहुत पहले शुरू किये जा चुके हैं और अब उनकी संख्या करीब १२००० है.जबकि हिंदी के लिए मैंने लोगों से दस हज़ार की संख्या ही सुनी है,इसलिए यह कहना कि हिंदी में ज्यादा लोग लिखते हैं, इसलिए पोस्ट नीचे चली गयी,बेमानी है.एक और चीज़ जो मैंने गौर की है कि हिंदी में ज्यादातर लिखने वालों की औसत उम्र ४० के आस पास है जबकि मराठी में बहुत सारे नवयुवक लेखक हैं.इस से एक ताजगी तो आती ही है,लेखन में क्यूंकि उनके अनुभव अलग होते हैं.

    मराठी ब्लॉगर्स का उदाहरण देने के पीछे मेरी यही मंशा थी कि हिंदी ब्लोग्स का भी ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो और नए नए लोग इस से जुड़ें.नवयुवक भी.क्यूंकि मैंने देखा है,हर मराठी घर में एक मराठी अखबार जरूर आता है.और उसे मल्टीनेशनल में काम करने वाले,सिर्फ अंग्रेजी में ही सारा,ऑफिस वर्क और बातचीत करने वाले,नवयुवक भी बड़े चाव से पढ़ते हैं.यही बात हम दावे से खुद हिन्दीवालों के लिए नहीं कह सकते.ज्यादातर हिन्दीभाषी अपने बच्चों को बैंगलोर,हैदराबाद,चेन्नई जैसी जगह भेजते हैं पढने और ये बच्चे हिंदी साहित्य या..हिंदी में लिखा कुछ भी पढना तो दूर...हिंदी गाने और फिल्मों से भी दूर होने लगते हैं.

    और संगठन और सोसायटी का फर्क मुझे समझ नहीं आया.शायद सोसायटी से आपका मतलब अनौपचारिक रूप से मिलना होगा.पर वहाँ भी कुछ लोग एक दिन तय करेंगे मिलने का,जगह तय करेंगे,सबको सूचित करेंगे ,चाय नाश्ते का भी इंतज़ाम करेंगे.और अगर यह नियमित रूप से होगा तो कुछ लोगों को इसे कार्यान्वित करने का भार भी वहन करना होगा.और फिर शायद इसे संगठन कहा जाने लगेगा.मैं एक बात बता दूँ.मेरा मंतव्य सारे हिंदी ब्लॉगर्स के एकजुट होने से है.पुणे में स्वेच्छा से ६० मराठी ब्लोगर्स एकत्रित हो गए.मुझे लगता है,हिंदी में इतनी संख्या में एक छत के नीचे लोगों को एकत्रित करना एक दुष्कर कार्य है.इसीलिए मैंने कहा कि सारे मन मुटाव भुला,ब्लॉग के माध्यम से हिंदी की बेहतरी के लिए प्रयास करें.जिस से हमारी आनेवाली पीढ़ी भी हिंदी पढने और लिखने की तरफ उन्मुख हो.

    मराठी भाषा बहुत ही समृद्ध है. उनका साहित्य,फिल्म,रंगमंच ,अखबार और अब ब्लोग्स,की लोकप्रियता देख ,मुझे रश्क होता है.वहाँ सिर्फ एक वर्ग विशेष ही नाटक नहीं देखता या साहित्य नहीं पढता.बल्कि आम से ख़ास सभी सामान रूप से जुड़े होते हैं.शोभा डे( मशहूर पत्रकार,लेखक एवं सोशलायीट्स).और उर्मिला मातोंडकर(फिल्म अभिनेत्री) जब मिस इंडिया कंटेस्ट में एक साथ जज थीं.तो दोनों ने पूरे समय मराठी में ही वार्तालाप किया.और हम हिंदी वाले ,अगर दोनो लोगों को अंग्रेजी आती हो तो अंग्रेजी में ही बतियाते हैं.

    यहाँ मेरा मतलब मराठी की श्रेष्ठता दिखाना नहीं है.सिर्फ लोगों तक यह बात पहुंचानी है कि ये सारे गुण हम हिंदी की बढ़ोतरी के लिए भी क्यूँ नहीं अपनाते??

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