मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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April 09, 2014

अपने को कालजयी मानने वाले अक्सर जब काल को प्राप्त होते हैं तो जय कहने वाले बहुत कम होते हैं

अपने जीवन काल में  बहुत से व्यक्ति  ये सोचते हैं कि उनके जाने के बाद  सारी दुनिया में उनकी मौत का मातम होगा।  देश के हर चॅनल और अखबार में उनकी तस्वीर होगी।  पर ऐसा होता ही नहीं हैं , पता चलता हैं किसी भी चॅनल या अखबार में नाम नहीं हैं।

क्या  कभी आप के साथ भी ऐसा हुआ हैं कि किसी कि मृत्यु कि खबर कहीं पढ़ कर या सुन कर आप कि अंतरात्मा ने कहा हो " अच्छा हुआ दुनिया से एक गन्दा व्यक्ति उठ गया " या किसी के घर से मिली कोई अनिष्ट खबर सुन कर आप के मुख से अनायास ये निकल गया हो कि " इनके साथ तो ऐसा होना ही था। "

पता नहीं पर कभी कभी ऐसा क्यूँ हो जाता हैं की जब कोई हमारा बहुत बुरा करता हैं और बिना वजह करता हैं तो उसकी मृत्यु के बाद कोई अफ़सोस होता ही नहीं हैं और लगता हैं ईश्वर खुद न्याय करता हैं।  

अपने को कालजयी मानने वाले अक्सर जब काल को प्राप्त होते हैं तो  जय कहने वाले बहुत कम होते हैं
बहुत से लोग अपने को अमीर और पॉपुलर बनाने कि होड़ में पुरस्कार इत्यादि बाँट के सोचते हैं कि वो कालजयी बन गए और जब वो काल को प्राप्त होते हैं तो पता  चलता हैं उनकी बीमारी का खर्च उनके परिवार जन लोगो के आगे हाथ फैला कर पूरा करते हैं।  निरंतर शराब का सेवन करने वाले जब काल को प्राप्त होते हैं तो पीछे रह गए उनके परिवार जन सोचते हैं अब रोटी का जुगाड़ कैसे होगा और फिर शुरू होता हैं सरकारी भीख का जुगाड़ का फैसला।

हे राम !!!


10 comments:

  1. पता नहीं किसकी बात हो रही है - घुघूती जी के स्टेटस से आपकी टिप्पणी पढ़ कर यहाँ आई ।

    विषय पर आते हुए -
    नहीं - मृत्यु व्यक्ति को आदरणीय नहीं बनाती यदि वह जीवन में आदर योग्य न रहा हो । उसी प्रकार हाल ही में मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्ति को श्रद्धांजली "न" देना भले गलत न हो, लेकिन उस जा चुके व्यक्ति के लिए कडवा कहना या लिखना भी कहने वाले को आदरणीय नहीं बनाता ।

    यह बात और है कि कोई झूठी तारीफों के पुल बाँध रहा हो तो यथोचित खंडन किया जाए । किन्तु सिर्फ अकारण ही सध्य मृत व्यक्ति पर वाग्बाण चलाना निजी रूप से मुझे अजीब भी लगता है एवं अनुचित भी ।

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  2. मौत कहाँ किसी के मन की बात पूरी कर पाता है ........

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  3. हां, होता है ऐसा, कि जिसने तमाम ऐसे काम किये हों, जिनकी वजह से हमने उनके लिखे की तरफ़ कभी रुख ही न करना चाहा हो, मुझे भी तमाम आपत्तियां थीं उनकी शैली पर. अश्लीलता की हद तक अभद्र भाषा पर. लोगों का मज़ाक उड़ाने पर, लेकिन आज जब वो इस दुनिया में नहीं, तो उनके परिवार के लिये तो शोक प्रकट किया ही जा सकता है. वैचारिक विरोध रखना ठीक है, लेकिन दुश्मनी नहीं.

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  4. हां, होता है ऐसा, कि जिसने तमाम ऐसे काम किये हों, जिनकी वजह से हमने उनके लिखे की तरफ़ कभी रुख ही न करना चाहा हो, मुझे भी तमाम आपत्तियां थीं उनकी शैली पर. अश्लीलता की हद तक अभद्र भाषा पर. लोगों का मज़ाक उड़ाने पर, लेकिन आज जब वो इस दुनिया में नहीं, तो उनके परिवार के लिये तो शोक प्रकट किया ही जा सकता है. वैचारिक विरोध रखना ठीक है, लेकिन दुश्मनी नहीं.

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  5. कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये,
    ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये

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  6. हमसे भी झूठा दिखावा नहीं होता गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत कुछ ही लोगों में होती है वैसे भी कंस हो या रावण उनके दोष ही आज भी सब गिनते हैं कोई उन्हें दुखी होकर श्रद्धांजलि नहीं देता ……बस सोच सबकी अपनी अपनी होती है और अश्लील बोलना या महिलाओं से गलत बर्ताव करने वाले के प्रति कैसी सहानुभूति हो सकती है फिर वो जीवित हो या मृत ।

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  7. सहमत हूँ आपसे …

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  8. उनसे हमारा भी विरोध था। ब्लॉगजगत की कई महिला ब्लॉगरों के बारे में बहुत अश्लील टिप्पणियां उनके खाते में हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से उनसे मिला नहीं पर लोग बताते हैं वे बहुत खुशमिजाज थे। दोस्तों के दोस्त थे। ब्लॉग जगत से जड़ते ही उन्होंने जिस तरह टिप्प्णियां कीं थी उससे साफ़ पता चलता है कि उनकी आशुकाव्य प्रतिभा का ब्लॉग जगत के लोगों ने उकसाते हुये उपयोग करवाया। वे नये -नये आये थे लोगों ने उनको मसाला उपलब्ध कराया और उन्होंने जौहर दिखाया। वे लोग अभी भी यहां आसपास मौजूद हैं।

    उनकी स्त्रियों के प्रति अश्लील टिप्पणियां अपने मनोरंजक जगत की खस्ताहाल प्रवृत्ति का भी परिचायक है जो यह मानता है कि स्त्रियों के प्रति फ़ूहड़, द्विअर्थी और अश्लील टिप्पणियां किये बिना हंसने-हंसाने की कोई गुंजाइश ही नहीं बनती।

    उनके असमय निधन से उनके परिवार के बारे में सोचकर बहुत दुख है। सहानुभूति भी। ईश्वर उनको संबल प्रदान करे।उनकी आत्मा की शांति की दुआ करता हूं।

    अनूप शुक्ल वक्त कुछ कहने का खत्म हो चुका है
    जिन्दगी जोड़ है ताने-बाने का लम्बा हिसाब
    बुरा भी उतना बुरा नहीं यहां
    न भला है एकदम निष्पाप।

    अथक सिलसिला है कीचड़ से पानी से
    कमल तक जाने का
    पाप में उतरता है आदमी फिर पश्चाताप से गुजरता है
    मरना आने के पहले हर कोई कई तरह मरता है
    यह और बात है कि इस मरणधर्मा संसार में
    कोई ही कोई सही मरता है।

    कम से कम तुम ठीक तरह मरना।

    -कैलाश बाजपेयी

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  9. apne do vyktigat anubhavon ke kaaran se आपसे सहमती aasaanii se kar paa rahaa hoon.
    jinke vishay me aapne apne vichaar prakat kiye mera unse katai vaastaa nahin pada. aaj apne priy mitron ko facebook par unke prati shriddhaanjali bhaav prakat paayaa.

    Dusht Ravan ki mrityushaiyaa par ShriRam apne anuj Lakxhman ko usse updesh lene ko bhejate hain Kyonki vah shaastron kaa Mahapandit to thaa hii.

    "Saar-Saar ko Gahi rahe Thotha dey udaay"

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