कल एक सर्वे मे बताया जा रहा था की इस इलेक्शन मे प्रति वोटर ४३७ रूपए का सरकारी खर्च होगा अगर ७५ % फीसदी से उपर मतदान हो
जब
भी मैं कहीं पढ़ती हूँ कि किसी पार्टी ने वोटर को लालच देने के लिये रूपए
बांटे तो मन मे विचार आता हैं कि काश इलेक्शन मे वोट डालने कि सरकारी फ़ीस
होती
मान लीजिये अगर आप को ५०० रूपए दे कर वोट डालने का अधिकार होता तो क्या आप डालते ?ये जितने भी "नेता" हैं ये केवल "ताने" हैं क्युकी इनके पास एक दूसरे के लिये बस ताने ही हैँ । जितनी बेहूदी भाषा का प्रयोग ये करतेँ हैं एक दूसरे के लिये सुन कर लगता हैं किसी को भी वोट ना दिया जाये।
इनकी इसी भाषा से प्रभावित हो कर फ़ेसबुक , ट्विटर और ब्लॉग पर हर पार्टी के समर्थक अपनी अपनी बेहूदी भाषा से इलेक्शन के यज्ञ मे आहुति दे रहे हैं