मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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September 30, 2009

ब्लोगवाणी - सदस्यता शुल्क और रंजना की टिप्पणी कल की पोस्ट पर

रंजना said...

आपके प्रस्ताव का मैं पूर्ण समर्थन करती हूँ......आपने मेरे ही मन की बात कह दी.

ब्लोग्वानी या इसी तरह के और भी एग्रीगेटर के रूप में जो इतना बड़ा प्लेटफोर्म उपलब्ध है हिंदी पाठकों को इसकी कीमत अधिकांश लोग बिलकुल ही नहीं समझ नहीं पा रहे...मुझे बड़ा ही अफ़सोस होता है यह देखकर..यदि यह माध्यम उपलब्ध न हो तो लेखक पाठक वर्ग कहाँ से तलाशेंगे...?????????

टीम ने निशुल्क इस सेवा के लिए अपने जेब से जो खर्च किया है या जो समय और श्रम खर्च कर रहे हैं,उसकी क्या कोई कीमत नहीं होनी चाहिए ????

मेरा तो सुझाव है कि टीम कुछ और सुविधाएँ अपने अग्रीगेटर में जोड़ दे और उसके लिए निश्चित शुल्क ले....

ब्लोग्वानी टीम को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने सेवा फिर से बहाल कर दी...





क्या हिन्दी को नेट पर आगे ले जाने की जिम्मेदारी केवल अग्रीगेटर की हैं ?? और ये तर्क हम कब तक देते रहेगे की "हिन्दी का गरीब लेखक क्या करे ?"

हिन्दी के लेखक कब तक गरीब रहेगे या हिन्दी कब तक गरीबो की भाषा रहेगी या हम केवल दयनीयता का दिखावा करके अपना दामन छुडाते रहते हैं ।

आज ब्लोगवाणी टीम ने एक दिन के लिये अपनी फ्री सेवा अनुपलब्ध कर दी और "त्राहि माम " की गूंज होगई । कल अगर किसी वज़ह से ब्लोगवाणी टीम इस से उकता जाए या इसको ना चला सके तो क्या होगा हिन्दी ब्लोगिंग का ?

क्या इसके लिये जरुरी नहीं हैं की हम स्वाबलंबी बने और एक ऐसा मंच तैयार हो जहाँ हिन्दी ब्लॉगर हिन्दी प्रमोशन के लिये पैसा देकर एक संचालक की सेवाये ले ।
रही बात जो समर्थ हैं तो क्यूँ हम असमर्थ रहना चाहते हैं । क्यूँ हम दूसरो पर निर्भर रहना चाहते हैं । क्यूँ बात डोनेशन की होती हैं और फिर कहा जाता हैं की जो ज्यादा देता हैं उसकी सुनी जाती हैं ।


समय रहते चेत जाये तो बेहतर हैं , १२०० रुपए सालाना प्रति ब्लॉग देकर { या कोई भी निश्चित राशि } अगर हम किसी की सेवाए नहीं उसकी योग्यता से अपने लिखे को आगे बढाए तो इसमे क्या हिन्दी आगे नहीं जायेगी ।
एक दूसरे की पोस्ट पसंद ना पसंद करके हम केवल ग्रुप को ही बढ़ावा देते हैं


अगर आप को ग्रुप को ही बढवा देना हैं तो आप अपनी पसदं का सिंपल और आसन फीड एग्रेगेटर ख़ुद ही बना सकते है और ये सुविधा ब्लॉग स्पॉट पर बहुत पहले से हैं


मेरे लिये पाठक की राय बहुमूल्य हैं , मुझे मुद्दे पर बहस से कोई उज्र नहीं हैं । ब्लोगिंग शगल हैं मुझ जैसो के लिये जो अपने मन की लिखते है और पाठक की राय की प्रतीक्षा करते हैं ।

11 comments:

  1. बात प्रतिबद्धता की हो यदि हिन्दी के लिये तो यह शुल्क दिया जा सकता है, और वह भी किसी ऐसी सेवा के लिये जिससे लेखक-पाठक और हिन्दी सबका हित जुड़ा हो ।

    शुल्क कितना हो इस पर विचार किया जाना शेष रहे !

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  2. रचना जी, वापस आ गया बहस को आगे बढ़ाने के लिये…
    कल का आपका वक्तव्य कि "यदि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो ब्लॉगिंग जैसा शौक न अपनायें और उस समय को अपनी स्थिति सुधारनें में लगायें", कईयों को बुरा लगने वाला वक्तव्य है, भले ही लोग टिप्पणी में न बता रहे हों लेकिन यह टिप्पणी नकारात्मक और "हर्ट" करने वाली है… इसके कई गलत निहितार्थ हैं जो कि आप भी समझ रही होंगी। हमारी बात अलग है, हम तो एक राष्ट्रवादी मिशन के लिये ब्लॉगिंग करते हैं, हैसियत तो हमारी भी नहीं है सदस्यता शुल्क देने की, हमारा लिखा हुआ छापने की ताब अखबारों में नहीं है, इसलिये उधर से कमाई होने की सम्भावना ही नहीं है, फ़िर भी हम एक जिद के लिये ब्लॉगिंग करते हैं। लेकिन कई-कई ऐसे ब्लागर हैं जो नेट का खर्च भी किसी तरह से निकालकर रचनाकर्म करते हैं, कई लोग सायबर कैफ़े जाते हैं, कुछ लोग दफ़्तर का नेट समय उपयोग करते हैं (क्योंकि अखबारों में कविता या कहानी का छपना भी इतना आसान नहीं रह गया है, सो वे ब्लॉग लिखते हैं) ऐसे लोगों के लिये किसी भी प्रकार का सदस्यता शुल्क उनके साथ ज्यादती होगी…।
    टिप्पणी के इस भाग को एक स्पष्ट वक्ता (यानी मुंहफ़ट) की बात समझकर दिल से न लगाईयेगा)

    अब एक सुझाव - (बात यदि पैसों की ही है तो, वैसे ब्लागवाणी के संचालक इस बात को मान चुके हैं कि पैसा कोई समस्या नहीं है) यदि ब्लागवाणी के होम-पेज पर एक पे-पाल का "डोनेट" बटन लगाया जाये तो जो "सक्षम" हैं और हिन्दी की सेवा करना चाहते हैं वे इसके जरिये ब्लागवाणी को डोनेशन दे सकते हैं और ब्लागवाणी के संचालकों के साथ हिन्दी सेवा का पुण्य-लाभ ले सकते हैं, जो सक्षम नहीं हैं वे इस सेवा का उपयोग जैसा है वैसा ही जारी रखें (खामखा की शिकायत न करें, क्या कभी उन्होंने गूगल से शिकायत की है कि उसने जीमेल में ये नहीं दिया या वो देना चाहिये?)…

    कहने का मतलब ये कि यह सदस्यता शुल्क वाली बात से, जो आ रहे हैं, वो भी दूर से ही नमस्कार कर लेंगे… कोई और तरीका खोजना ही होगा।
    (मेरे लेखों की तरह यह टिप्पणी भी ज्यादा ही लम्बी हो गई) :)

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  3. सुरेश मेरी नज़र मे वो बात केवल और केवल स्वाबलंबन की दिशा मे पहला कदम हैं । अगर पैर मजबूत नहीं होगे तो कोई भी गिरा सकता हैं । आर्थिक रूप से अपने को मजबूत करने के लिये कहना अगर किसी को चोट पहुचता हैं तो वो व्यक्ति एक बार फिर सोचे की जो मैने कहा उसमे कितना हिस्सा हैं चोट पहुचाने वाला । सभी आत्म निर्भर हो और तभी शौकिया चीजों पर खर्च करे ये कहने मे किसका अहम् टूट गया , नहीं समझ रही हूँ । क्या ब्लोगिंग शौक की नहीं जरुरत की चीज़ हैं की उसके बिना नहीं रहा जा सकता और इस लिये उस से सम्बंधित हर सेवा फ्री मे उपलब्ध करवाई जाये

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  4. रचनाजी
    मुझे तो लगता है आप तो १२०० रूपयें सालाना का चार्ज करवाकर ही मानेंगे....
    ऐसा जुल्म मत करियें...
    फ़िर भी आपकी बात ब्लोग्वानी वाले मान लें, तो एक अर्ज है जी,
    मेरे भी १२०० रुपयें आप चुका दीजियें
    आपका अहसान रहेंगा, आपका सालभर तक अहसानमंद रहूँगा...
    दूसरे साल भी ध्यानं....

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  5. सुरेश जी की टिप्पणी से सहमत !

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  6. मैं सुरेश जी से सहमत हूँ. हिंदी सेवा और छपास में अंतर है परन्तु शुल्क की व्यवस्था करके इसकी पहचान करना संभव नहीं है अतः जो समर्थ हैं और स्वयं आगे आकर इसमें योगदान देना चाहते हैं उनके लिए योगदान की व्यवस्था होनी चाहिए (मैं स्वयं भी योगदान करने को तत्पर हूँ) और मैं समझता हूँ कि इससे पर्याप्त राशिः जुटाई जा सकती है. साथ ही यह कहना चाहता हूँ कि रचनाकर्म (ब्लागिंग) विलासिता नहीं है. पढ़े - लिखे लोगों को ( और कदाचित अनपढ़ लोगों को भी) उदर पूर्ति के अलावा बौद्धिक क्षुधा के शमन की भी आवश्यकता होती है.ऐसे में एक सहज सुलभ माध्यम को विलासिता कहना उचित नहीं है.

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  7. आगे आगे देखिये होता है क्या ?

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  8. ब्लॉग्गिंग किसी के लिए शौकिया हो सकती है किसी के लिए ज़रूरत भी हो सकती है. मेरी आवाज़, भावनाओं, विचारों, कविताओं, कार्टूनों, लेखों, विश्लेषणों, दुखों,समस्याओं, कुंठाओं, नज़रिए को मेरे आसपास का कोई भी इंसान नहीं समझता, न मेरे परिवार के लोग न ही आसपास के लोग इनसे कोई सरोकार रखते हैं, न ही समझने की कोशिश करते हैं (किसी के पास समय नहीं है तो किसी के सर पर से ये सब कुछ गुज़र जाता है). मैं अपने काम से इतनी फुर्सत और कमाई नहीं पाता हूँ की अपने जैसे विचारों वाले लोगों को शहर भर में खोजता फिरूं. अपनी अभिव्यक्तियां पत्र-पत्रिकाओं को भेजता हूँ तो कभी छपती हैं अधिकतर नहीं.

    मुझ जैसे आर्थिक और सामाजिक रूप से अलग थलग इंसान के पास फिर खुद को अभिव्यक्त करने का साधन क्या है? मेरी जगह कोई गृहणी हो सकती है, कोई छात्र-छात्रा, कोई छोटा-मोटा दुकानदार, कोई नया वकील, कोई बैंकर, कोई शिक्षक, किसान, सेल्समैन, बेरोजगार, शौकिया राजनैतिक विश्लेषक जो की एक व्यस्त मैकेनिक हो, रिटायर्ड कर्मचारी, बूढ़े दादाजी-दादी माँ, इत्यादि इत्यादि. इन सभी को अपनी बात कहने के लिए एक मंच मिलता है ब्लॉग्गिंग के मध्यम से.

    एक ब्लॉग्गिंग थी, खुद को अभिव्यक्त करने और अपने जैसे लोगों से जुड़ने का साधन, उसमे भी पैसे की बात होने लगी. यानी की जेब मे खर्च करने पैसा हो तो ये 'अभिव्यक्ति' जैसे महँगे शौक पालो, वरना बलॉगिंग जैसी चीज़ फोकटी ग़रीब गुरबों के लिए नहीं है.

    अभिव्यक्ति कभी भी शौकिया नहीं होती, यह इंसान की मूलभूत ज़रूरतों में से एक है. समस्याओं से दबा इन्सान दूसरो से कह कर खुद को अभिव्यक्त करता है, अब बोलने सुनाने कोई न हो तो लिख कर अपने विचार संप्रेषित करता है, खुद को अगर अभिव्यक्त नहीं करेगा तो अन्दर ही अन्दर घुट जाएगा, कई शारीरिक और मानसिक रोगों का मरीज़ हो जाएगा

    ईमानदारी से खुद से पूछिए क्या आप भी ब्लॉग्गिंग में इसी कारण से हैं? या आपकी ब्लॉग्गिंग शौकिया है?

    मैं तो कहूँगा की टेक्नोलोजी ने हमसे हमारे रिश्ते नाते और आत्मीयता छीन ली है, वर्चुअल जीवन उसी की भरपाई का अपर्याप्त सा ही सही एक प्रयास है.

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  9. ab inconvenienti
    Please read my both psot where have i said "dont blog" i have merely said that we need to have an agreegator where we can pay and become member { blogvani is a example because as of now it was the one which created a void by going away for a day}

    any one can blog because bloging is not the issue we are discussing , what i am discussing is why not pay a price if you want a efficient as per your convinience service .

    and there are "a lot/bunch " of bloggers who are promoters of hindi on net as they proclaim so it should be a good measure to promote good hindi by contributing financially also

    being unable to pay . still as sameer has said in comment the last post at least those who can pay should agree then rest can be decided on case to case basis

    the issue got diverted into "paying capacity "

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  10. अगर आप को ग्रुप को ही बढवा देना हैं तो आप अपनी पसदं का सिंपल और आसन फीड एग्रेगेटर ख़ुद ही बना सकते है और ये सुविधा ब्लॉग स्पॉट पर बहुत पहले से हैं

    just tell me where is it?
    आसन फीड एग्रेगेटर ख़ुद ही बना सकते है और ये सुविधा ब्लॉग स्पॉट पर बहुत पहले से हैं

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  11. a lots of thanks to tell me abut feeds service on blogspot.

    but, one thing I'm not agree with your advice of charge 1200 pr year...

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