हिंदी ब्लॉग लिखते लिखते ७वे साल में पदार्पण करना हैं इस माह के अंत तक .
जब आई थी तब यहाँ "नारद" युग था और उसी प्रकार की लगाई बुझाई थी . मेरे साथ साथ "ब्लॉग वाणी और चिटठा जगत" आया और और "पसंद " , " नापसंद " तथा टॉप टेन , टॉप हंड्रेड का चलन रहा .
आज कल "हमारी वाणी " हैं पर हमारा कुछ ना था ना हैं ना होगा .
फिर भी महिला के प्रति दोयम का दर्जा और उस से असहमत होने पर उसके परिवार और उसके जीवन शेली पर ऊँगली उठाना आज भी बरकार हैं , वंदना की कविता पर हुये फेसबुक बवाल ने बताया . आज भी लोगो जेंडर बायस और सेक्सुअल हरासमेंट को केवल शरीर से जोडते हैं और अपने को पढ़ा लिखा और बुद्धिजीवी कहते हैं .
हिन्दू मुस्लिम विवाद आज भी बरकरार हैं क्युकी बात आस्था की कभी नहीं होती हैं बात होती हैं एक दुसरे को नीचा दिखाने की .
रामायण , गीता , कुरआन या बाइबल महज धर्म ग्रन्थ हैं कोई संविधान या क़ानूनी किताब नहीं हैं ये समझाना पढ़े लिखो को कितना मुश्किल हैं ये अगर किसी को देखना हैं तो हिंदी ब्लॉग जगत मे देखे . यहाँ संविधान और तिरंगे का अपमान होता हैं और धर्म ग्रंथो के लिखे को बार बार पढ़ाया जाता हैं .
तर्क तो बहुत ही बढ़िया हैं कोई कहता हैं हिन्दू देवता ने यहाँ चीर हरण किया तो कोई कहता हैं कुरआन में बुजुर्ग औरतो को कपड़े उतारने की सलाह दी गयी हैं .
लगता हैं लोग इन ग्रंथो को सुबह शाम बांचते होगे .
कुछ बदला भी हैं जैसे अनूप जी फ़ुरसतिया पर सामाजिक लेख लिखते दिखे , समीर जी उड़न तश्तरी पर भारतीये अतिथियों से परेशान दिखे . ज्ञान पाण्डेय जी अस्वस्थ होने की वजह से कम सक्रिय दिखे और अल्पना जी ने तथा कई और महिला ने सस्वर माना की ब्लॉग जगत महिला ब्लॉगर के लिये सहिष्णु नहीं हैं .
जो बहुत शिद्दत से बदला वो हैं महिला का विद्रोही स्वर जो अब बहुत जल्दी सुनाई देता हैं अगर कहीं भी महिला ब्लॉगर का अपमान होता हैं .{ हां इस दौरान मुझे वंदना से बड़ी जेलसी हुई क्युकी उनको बहुत गाली पड़ी पहले सिर्फ मुझे पड़ती थी , मुझे लगा मेरी सत्ता हिल गयी } .
अदा जी , महफूज जी और दिव्या जी ने ब्लॉग पर कमेन्ट बंद करदिये सो सतीश सक्सेना जी के यहाँ १०० कमेन्ट तक दिखे . वैसे सतीश सक्सेना जी ने अपने बच्चो की शादी कर दी हैं और अपनी बहु को वो अपना बेटा मान चुके हैं और ब्लॉग जगत में शायद सबसे ज्यादा टिपण्णी उसी पोस्ट पर आयी हैं .
अजय झा जी की बुलबुल बिटिया नियम से दांत साफ़ करती हैं और पढ़ती भी हैं मुझे तो लगता हैं वो अवश्य अजय जी का नाम रोशम करेगी , जिसके दांत इतने साफ़ हो वो चमका ही देगी अपने माँ पिता का नाम .
महिला ब्लॉगर जो एक साल पहले तक दोस्त थी वो आज एक दूसरे के ब्लॉग पर कमेन्ट भी नहीं करती हैं ये बदलाव हैं या महज प्रतिक्रया कह नहीं सकती .
मनोज जी , सलिल जी , अनुराग जी , हंसराज जी को पढने और उनसे बात करने का अपना सुख हैं , राधा रमण और संजय जाट जी से भी चैट पर बात हो जाती हैं
महिला ब्लॉगर की नज़र में . मै महिला के खिलाफ लिखती हूँ , पुरुष ब्लॉगर की नज़र में उनके खिलाफ . नज़र अपनी अपनी समझ अपनी अपनी .
हिंदी ब्लॉग लेखन में नित नए ब्लॉग जुड़ रहे हैं पर ग्रुप बाज़ी अब तभी होती हैं जब या तो हिन्दू मुस्लिम दंगा करवाना होता हैं या महिला पुरुष दंगल , बाकी समय स्वस्थ बहस हो जाती हैं .