जबसे ब्लॉग जगत से जुड़ा हूँ , ईमानदार लेखन, पढने को लगभग तरस से गए !
अगर किसी की तारीफ़ करनी हो तो बाकी सबको नीचा दिखाने की क़ोई जरुरत नहीं होती हैं
आप को क्या अच्छा लगता हैं आप वो पढते हैं
आप की इन पंक्तियों ने मुझे अनूप शुक्ल की चिटठा चर्चा की याद दिला दी जहां उन्होने कहा था "विवेक सिंह मुझे इसलिये प्रिय हैं कि उनके जैसी मौलिक सोच वाली कविता /तुकबंदी और कोई किसी के यहां नहीं दिखती मुझे। बहुत कम शब्दों में बिना तामझाम के बात कहने का सलीका विवेक जैसा मुझे और नहीं दिखता फ़िलहाल। "http://chitthacharcha.blogspot.in/2009/09/blog-post_17.html
आप अपनी पसंद ना पसंद के तराजू पर किसी की ईमानदारी को कैसे तौल सकते हैं
दिन मे कितनी ब्लॉग पोस्ट हम मे से क़ोई पढ़ पाता हैं की आकलन कर सके क़ोई क्या और कितना कहां कहां लिख रहा हैं .
किसी की तारीफ़ करिये आप को टीप की बौछार मिलेगी ही पर उसके लिये बाकी सब को कटघरे में खड़ा कर देना कितना सही हैं
अगर किसी की तारीफ़ करनी हो तो बाकी सबको नीचा दिखाने की क़ोई जरुरत नहीं होती हैं
आप को क्या अच्छा लगता हैं आप वो पढते हैं
आप की इन पंक्तियों ने मुझे अनूप शुक्ल की चिटठा चर्चा की याद दिला दी जहां उन्होने कहा था "विवेक सिंह मुझे इसलिये प्रिय हैं कि उनके जैसी मौलिक सोच वाली कविता /तुकबंदी और कोई किसी के यहां नहीं दिखती मुझे। बहुत कम शब्दों में बिना तामझाम के बात कहने का सलीका विवेक जैसा मुझे और नहीं दिखता फ़िलहाल। "http://chitthacharcha.blogspot.in/2009/09/blog-post_17.html
आप अपनी पसंद ना पसंद के तराजू पर किसी की ईमानदारी को कैसे तौल सकते हैं
दिन मे कितनी ब्लॉग पोस्ट हम मे से क़ोई पढ़ पाता हैं की आकलन कर सके क़ोई क्या और कितना कहां कहां लिख रहा हैं .
किसी की तारीफ़ करिये आप को टीप की बौछार मिलेगी ही पर उसके लिये बाकी सब को कटघरे में खड़ा कर देना कितना सही हैं
आप बेबाक हैं हमेशा से ...
ReplyDeleteAap ki baat men bahut dam hai...
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