दिवाली के आस पास दिल्ली ट्रैफिक पोलिस ने अपना बूथ हमारे फ्लैट के सामने फुट पाथ पर खड़ा खड़ा कर दिया। वहां बैठे कांस्टेबल से कहा तो बोले इस से आप को क्या फरक पड़ेगा। ये कहने पर की आप जब चालान करते हैं तो लोग यहां मजमा लगाते हैं और अंदर तक आवाजे आती हैं। इसके अलावा फुट पाथ पर आप कैसे बूथ बना सकते हैं।
कोई जवाब नहीं मिला हां बूथ हटा भी नहीं। और ये कहा गया मैडम अब आप के यहां चोरी नहीं हो सकती। मैने कहा आप ट्रैफिक पोलिस में हो अंदर का कुछ भी आप के अंडर में नहीं आता तो चले गए।
आर डब्लू ऐ से कहा तो बोले मैडम ये सरकारी लोग हैं हम क्या कर सकते हैं।
उसके बाद मैने ट्विटर पर { Shivam Misra शिवम मिश्रा थैंक यू ट्विटर सिखाने के लिए } दिल्ली ट्रैफिक पोलिस को कंप्लेंट की फोटो के साथ जवाब आया कंप्लेंट आगे पास कर दी गयी।
दूसरे दिन , तीसरे दिन पीएमओ के ट्विटर अकाउंट के साथ कंप्लेंट की तो एक फाइल संख्या दे दी गयी। बूथ वहीँ का वहीं , उसके साथ ५ -५ बाइक भी खड़ी होने लगी।
कोई जवाब नहीं मिला हां बूथ हटा भी नहीं। और ये कहा गया मैडम अब आप के यहां चोरी नहीं हो सकती। मैने कहा आप ट्रैफिक पोलिस में हो अंदर का कुछ भी आप के अंडर में नहीं आता तो चले गए।
आर डब्लू ऐ से कहा तो बोले मैडम ये सरकारी लोग हैं हम क्या कर सकते हैं।
उसके बाद मैने ट्विटर पर { Shivam Misra शिवम मिश्रा थैंक यू ट्विटर सिखाने के लिए } दिल्ली ट्रैफिक पोलिस को कंप्लेंट की फोटो के साथ जवाब आया कंप्लेंट आगे पास कर दी गयी।
दूसरे दिन , तीसरे दिन पीएमओ के ट्विटर अकाउंट के साथ कंप्लेंट की तो एक फाइल संख्या दे दी गयी। बूथ वहीँ का वहीं , उसके साथ ५ -५ बाइक भी खड़ी होने लगी।
फिर LG की लिसनिंग पोस्ट पर कंप्लेंट की फोटो के साथ , फिर ईमेल आयी मेल दिल्ली पोलिस forward की गयी हैं
बूथ वहीँ का वही
बूथ वहीँ का वही
तीन दिन बाद फिर ईमेल किया
तीन बाद फिर पी एम ओ की ऑफिसियल कंप्लेंट साइट पर कम्प्लेंट की
तीन बाद फिर पी एम ओ की ऑफिसियल कंप्लेंट साइट पर कम्प्लेंट की
एक दिन बाद जवाब आया आप की कंप्लेंट फॉरवर्ड कर दी हैं
मैंने जवाब में लिखा की हर जगह से केवल फॉरवर्ड की जा रही हैं कोई हैं जो इस पर कार्यवाही करेगा या डिजिटल इंडिया बस एक शगूफा हैं
फिर एक नंबर दिया उस पर फ़ोन किया तो अधिकारी के पी ऐ जी बोले साहब मीटिंग में हैं आप नंबर दे दो मोबाइल।
मैने कहा नहीं मे अपना नंबर नहीं दूंगी आप अधिकारी का नंबर दो बोले क्यों नंबर देने में क्या हैं ?
मैने कहा आप किसी भी लेडी / महिला से उसका मोबाइल नंबर नहीं मांग सकते क्युकी इस से वो unsafe होती हैं और ये कानून कहता हैं। फिर जा कर अधिकारी का नंबर मिला।
बहुत अच्छी तरह बात की अपना ईमेल आईईडी दिया सारी फोटो मंगवाई।
मैंने जवाब में लिखा की हर जगह से केवल फॉरवर्ड की जा रही हैं कोई हैं जो इस पर कार्यवाही करेगा या डिजिटल इंडिया बस एक शगूफा हैं
फिर एक नंबर दिया उस पर फ़ोन किया तो अधिकारी के पी ऐ जी बोले साहब मीटिंग में हैं आप नंबर दे दो मोबाइल।
मैने कहा नहीं मे अपना नंबर नहीं दूंगी आप अधिकारी का नंबर दो बोले क्यों नंबर देने में क्या हैं ?
मैने कहा आप किसी भी लेडी / महिला से उसका मोबाइल नंबर नहीं मांग सकते क्युकी इस से वो unsafe होती हैं और ये कानून कहता हैं। फिर जा कर अधिकारी का नंबर मिला।
बहुत अच्छी तरह बात की अपना ईमेल आईईडी दिया सारी फोटो मंगवाई।
आज १ महीने बाद २ ट्रैफिक पोलिस वाले आये की आप ने कंप्लेंट की थी आप को तकलीफ नहीं होगी बूथ लगा रहने दे कुछ दिन बाद जगह देख कर हटा लगे। हम जानते हैं आप वकील हैं। मैने कहा भाई ना तो मै वकील हूँ , ना मेरे पीछे कोई आदमी खड़ा हैं , ना मेरा किसी नेता से कोई लेना देना हैं , मेरे साथ तो एसोसिएशन भी नहीं हैं। एक लॉ अबाइडिंग सिटीजन हूँ और जो संभव होगा इस बूथ को हटवाने के लिये करुँगी।
तब चलेगये और बोले क्रेन ले कर हम बूथ हटा रहे हैं और अब बूथ हट गया।
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