मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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September 30, 2010

खुश हूँ की राम का फैसला हो गया , उनको birth certificate ईशु होगया ।

लीजिये फैसला आ गया
राम अयोध्या मे ही पैदा हुए थे
वो हिन्दू आस्था के प्रतीक हैं

कितनी अहम घोषणा हैं ये !!! कौन इस बात से इनकार कर सकता हैं ?? लेकिन ६० साल से हम इस घोषणा के लिये लड़ रहे हैं । अपनी आस्था अपने राम विस्थापित हो गए अपने ही देश मे ।

अब विस्थापित राम को रीहेबीलीटैट यानी प्रतिष्ठित करना होगा कैसे
मंदिर का निर्माण उस बीच वाले गुम्बद { जो कभी था } के नीचे करना होगा तभी तो प्रतिष्ठा मिलेगी विस्थापित राम को ।

कभी कभी सोचती हूँ हम ईश्वर को चलाते हैं या ईश्वर हम को चलाता हैं पता नहीं राम ऊपर बैठे इस समय अल्लाह के साथ इस जमीन के टुकडे के विभाजन पर क्या डिस्कशन कर रहे होगे ।

काश राम और अल्लाह का भी एक ब्लॉग होता तो वो जरुर लिखते मुझे विस्थापित और पुनेह प्रतिष्ठित करने वालो कभी अपनी औकात पर भी ध्यान देते ।


जय श्री राम
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सब को सन्मति दे भगवान्

भगवान् को कौन विस्थापित कर पाया हैं और कौन उनको रीहेबीलीटैट कर पाया हैं ? पर खुश हूँ की राम का फैसला हो गया , उनको birth certificate ईशु होगयाअब देखते हैं पर्सनल "aadhar" नंबर देने सोनिया या मनमोहन सिंह कब जायेगे

अब जब जनम स्थान का पता चल ही गया हैं तो राम लला की मोहक छवि की भी बात कर ही लेते हैं


१ अवधेसके द्वारें सकारें गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचनको ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से॥
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससिमें समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे॥

पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ।
नवनील कलेवर पीत झँगा झलकै पुलकैं नृपु गोद लिएँ॥
अरबिंदु सो आननु रूप मरंदु अनंदित लोचन-बृंग पिएँ।
मनमो न बस्यो अस बालकु जौं तुलसी जगमें फलु कौन जिएँ॥

२ तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंचकी मंजुलताई हरैं।
अति सुंदर सोहत धूरि भरे छबि भूरि अनंगकी दूरि धरैं॥
दमकैं दँतियाँ दुति दामिनि-ज्यौं किलकैं कल बाल-बिनोद करैं।
अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिरमें बिहरैं॥

कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि डरैं।
कबहूँ करताल बजाइकै नाचत मातु सबै मन मोद भरैं॥
कबहूँ रिसिआइ कहैं हठिकै पुनि लेत सोई जेहि लागि अरैं।
अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिरमें बिहरैं॥

३ बर दंत की पंगति कंदकली अधराधर-पल्लव खोलनकी।
चपला चमकैं घन बीच जगैं छबि मोतिन माल अमोलनकी॥
घुँघुरारि लटैं लटकैं मुख ऊपर कुंडल लोल कपोलनकी।
नेवछावरि प्रान करै तुलसी बलि जाउँ लला इन बोलनकी॥

9 comments:

  1. एक "सेकुलर" स्टेट में यह बर्थ सर्टीफ़िकेट जरूरी था… वैसे हमने कभी नहीं पूछा, कि कश्मीर की हज़रत बल दरगाह में जो बाल है क्या वह सचमुच पैगम्बर का ही है? उनकी आस्था है मान लिया, हमारी आस्था को मनवाने के लिये 60 साल (बल्कि 400 साल) लग गये…
    जय जय सियाराम…

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  2. फैसला चाहे जो आया हो,पर राम अभी भी "कब्ज़ाई" ही कहे जा रहे हैं।हद्द हैं।

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  3. कभी कभी सोचती हूँ हम ईश्वर को चलाते हैं या ईश्वर हम को चलाता हैं पता नहीं राम ऊपर बैठे इस समय अल्लाह के साथ इस जमीन के टुकडे के विभाजन पर क्या डिस्कशन कर रहे होगे ।


    क्या बात कही है आपने ,सचमुच सोचने पर मजबूर कर दिया


    महक

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  4. शुकर मनाओ सर्टिफिकेट दे दिया

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  5. "अवधेसके द्वारें सकारें गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।..."
    आनंद आ गया पढ़ कर ! बड़ी पुरानी यादें ताज़ा कर दीं ! राम लला को शुभकामनायें !
    :-)

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  6. "सब को सन्मति दे भगवान्"

    काश कि भगवान देख रहे होते


    अच्छी प्रस्तुति.......... साधुवाद.

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  7. कहते हैं कि राम की माया राम ही जाने। मगर हमारी आस्था पर दो तिहाई हक जो मिला है उसका भी विरोध तो शुरु हो चुका है। राजनीति शुरु हो गई है। आगे-आगे देखिए होता है क्या?

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  8. ३ बर दंत की पंगति कंदकली अधराधर-पल्लव खोलनकी।
    चपला चमकैं घन बीच जगैं छबि मोतिन माल अमोलनकी॥
    घुँघुरारि लटैं लटकैं मुख ऊपर कुंडल लोल कपोलनकी।
    नेवछावरि प्रान करै तुलसी बलि जाउँ लला इन बोलनकी॥

    बलिहारी ! बलिहारी !! बलिहारी !!!

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