सरकार का कोई भी प्रयास कुछ नहीं कर सकता क्युकी जो लोग "गरीब " हैं वो अपने बच्चो को पैसा कमाने की मशीन मानते हैं और खुद कहते हैं की बच्चे ज्यादा होने से कोई नुक्सान नहीं होता . उनके हिसाब से बच्चो पर कोई खर्चा ही नहीं होता हैं . उनका तो एक ५ साल का बच्चा भी रद्दी जमा करके दिन में ३० रूपए कमा लेता हैं
सोच कर देखिये शोषण अब किस का हो रहा हैं ?? उनका जिनके यहाँ कम बच्चे हैं और स्तर गरीबी की रेखा से ऊपर हैं या उनका जिनके यहाँ ज्यादा बच्चे हैं , स्तर गरीबी रेखा से नीचे हैं । जिनको फ्री शिक्षा हैं इत्यादि
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सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं