हिंदी ब्लॉग जगत की रीत हैं निराली
हास्य और फूहड़ हास्य में अंतर जो आज बता रहे हैं
वही आज से बस एक साल पहले
फूहड़ हास्य के लिये चर्चित ब्लॉग पर
टीप खूब दिया करते थे
उन आयोजनों में जहां
फूहड़ हास्य को समानित किया जाता था
ब्लॉग मीटिंग कहते थे
व्यंग कहते थे उस लेखन को जहां
"रचना " पर होती थी
अश्लील पोस्ट और कविता
आज पुरजोर तरीके से
वो अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं
अपने को साहित्यकार बता कर
हिंदी कविता / हास्य को
बचाने की कोशिश कर रहे हैं
कहीं किसी ने आप से पहले भी
हिंदी ब्लॉग जगत में यही कहा था
उसका मज़ाक कभी आप ने उड़ाया था
ये आज आप को याद भी नहीं हैं
क़ोई बात नहीं
समय से बड़ा कुछ नहीं
वही सबको समझाता हैं
और सच एक ना एक दिन
सबके सामने आता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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