मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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April 14, 2012

इस कविता का किसी ब्लॉगर से कोई लेना देना नहीं हैं

एक दिन एक डॉक्टर का बेटा
एक सरकारी दफ्तर में 
सिफारिश से बन गया कलर्क
बड़ी मुश्किल से
एक नौकरी का जुगाड़ हुआ 
वो भी एक सरकारी संस्थान में
ख़ैर
फिर उसने सोचा चलो
तरक्की के लिये
ब्लॉग लिखा जाये
हिंदी की रोटी सेकी जाये
और
ब्लॉग पर हिंदी को प्रमोट किया जाये
इस बहाने एक सरकारी चिट्ठी का
जुगाड़ उसने किया और
हिंदी सेवी होने का तमगा अपने लगा लिया
फिर
अपना जनम सिद्ध अधिकार समझ लिया
जो भी हिंदी मे ब्लॉग पर कुछ भी लिखे
उसकी हिंदी , रचना धर्मिता की आलोचना करना


सच हैं इंसान का मानसिक स्तर
उसके बचपन में ही दिख जाता हैं
वो कहते हैं ना
पूत के पाँव पालने मे ही दिख जाते हैं

वैसे ऐसे लोगो को
संस्कारो की बड़ी चिंता रहती हैं
जो खुद अपने ही माता पिता की
नज़रो में असफल होते हैं

दिस्क्लैमेर
इस कविता का किसी ब्लॉगर से कोई लेना देना नहीं हैं
कमेन्ट करने वाले अपनी सुरक्षा का खुद ध्यान रखे


8 comments:

  1. हा हा हा ………अब जरूरी थोडी है रचना जी वो ब्लोगर हो या न हो सत्य तो सत्य ही रहेगा न ………इंसान की मानसिकता कभी नही बदलती फिर चाहे वो किसी का भी बेटा हो और वो खुद क्या है इस बात पर निर्भर करता है ………यही है आज के लोगों की मानसिकता ………दोहरे मापदंड

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  2. कमाल की कविता है और पहली टिप्पणी भी यही गवाही दे रही है।
    एक तरो ताज़ा कर देने वाली रचना देने के लिए शुक्रिया !

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  3. रचना जी!...यथार्थ को आपने कहानी में ढाला है!...लोग ऐसा ही कर रहे है!...सुन्दर प्रस्तुति!...आभार!

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  4. phir sochana padega ki kya likhoon? kya comment karne vale par patthar vagairah barasane kee yojana lagi hai sath men vah bhi mupht.

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  5. is it true ?

    औरत को पियक्कड़ शराबियों के दरम्यान छोड़ देने का मतलब है उसे बर्बाद होने के लिए छोड़ देना .

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  6. जी मैं संदर्भ नहीं जानता, बार बार ताकीद किया गया है कि किसी खास से इसका मतलब नहीं है। ये समझने के लिए काफी है कि ये खास मकसद और किसी को टारगेट करके लिखा गया है। पर किसे.. मुझे नहीं पता..
    पर हां ये जरूर कहूंगा जिसे आप संदेश देना चाहती हैं,ये संदेश साफ है, उन तक पहुंच जरूर गया होगा।

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  7. दोहरे मापदंड की अंतर्कथा

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  8. एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

    :-)

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