क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देश / तिरंगा / संविधान / कानून / संसद से ऊपर हैं ??
क्या हम को अधिकार हैं की अगर हम व्यवस्था से नाराज हैं , अगर हम संसद में बैठे हुए उन लोग से नाराज हैं जिनको चुन कर हम खुद लाये हैं तो क्या हम को ये हक़ हैं की हम उस संसद भवन को जला दे जहां ये बैठे हैं , उस तिरंगे को जला दे जिसको फेहरा देने का अधिकार हमें प्रधान मंत्री को दिया हैं , या हम उस संविधान को ही जला दे जो हमारी रीढ़ की हड्डी हैं या फिर हर उस कानून को नकार दे जिसको उन लोगो ने बनाया हैं जो हमारे बीच मे से कानून की पढाई कर के उस लेवल तक पहुचे हैं जहां कानून बनाये जाते हैं .
व्यंग लिखना , कार्टून बनाना , लेख देना , सत्याग्रह करना और भी ना जाने कितने विरोध करने के उपाय संविधान मे हमें मिले हैं लेकिन
शायद संविधान बनाते समय ये सोचा नहीं गया था की कभी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ होगा
देश का अपमान
तिरंगे का अपमान
संविधान का अपमान
कानून का अपमान
संसद का अपमान
अगर संविधान बनाने वाले उस समय ये सोच पाते तो शायद कहीं ना कहीं ये जरुर लिखा होता , संविधान में की ये सब "देश द्रोह " माना जायेगा .
अगर आप उन सब से नाराज हैं जो खुद यही कर रहे हैं जैसे भ्रष्ट नेता जो संसंद में आते ही अपने को देश का
मालिक समझते हैं , तो उनके खिलाफ आवाज उठाए . जगह , जगह अपने अपने स्तर पर आर टी आई लगा कर व्यवस्था को सुधारे . वो हम मे से एक हैं यानी हमारे "रेप्रीजेंटेटटीव्" अगर वो बेईमान हैं तो कहीं ना कही हम बेईमान हैं क्युकी हम उनको चुन कर लाये हैं .
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का अर्थ देश , संविधान , तिरंगा , कानून . संसद का अपमान करना कतई नहीं हो सकता हैं
क्या हम को अधिकार हैं की अगर हम व्यवस्था से नाराज हैं , अगर हम संसद में बैठे हुए उन लोग से नाराज हैं जिनको चुन कर हम खुद लाये हैं तो क्या हम को ये हक़ हैं की हम उस संसद भवन को जला दे जहां ये बैठे हैं , उस तिरंगे को जला दे जिसको फेहरा देने का अधिकार हमें प्रधान मंत्री को दिया हैं , या हम उस संविधान को ही जला दे जो हमारी रीढ़ की हड्डी हैं या फिर हर उस कानून को नकार दे जिसको उन लोगो ने बनाया हैं जो हमारे बीच मे से कानून की पढाई कर के उस लेवल तक पहुचे हैं जहां कानून बनाये जाते हैं .
व्यंग लिखना , कार्टून बनाना , लेख देना , सत्याग्रह करना और भी ना जाने कितने विरोध करने के उपाय संविधान मे हमें मिले हैं लेकिन
शायद संविधान बनाते समय ये सोचा नहीं गया था की कभी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ होगा
देश का अपमान
तिरंगे का अपमान
संविधान का अपमान
कानून का अपमान
संसद का अपमान
अगर संविधान बनाने वाले उस समय ये सोच पाते तो शायद कहीं ना कहीं ये जरुर लिखा होता , संविधान में की ये सब "देश द्रोह " माना जायेगा .
अगर आप उन सब से नाराज हैं जो खुद यही कर रहे हैं जैसे भ्रष्ट नेता जो संसंद में आते ही अपने को देश का
मालिक समझते हैं , तो उनके खिलाफ आवाज उठाए . जगह , जगह अपने अपने स्तर पर आर टी आई लगा कर व्यवस्था को सुधारे . वो हम मे से एक हैं यानी हमारे "रेप्रीजेंटेटटीव्" अगर वो बेईमान हैं तो कहीं ना कही हम बेईमान हैं क्युकी हम उनको चुन कर लाये हैं .
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का अर्थ देश , संविधान , तिरंगा , कानून . संसद का अपमान करना कतई नहीं हो सकता हैं
aapki bat sahi hai rachna ji
ReplyDeleteरचना जी,एक महिला को घरेलू हिंसा सहकर भी पति के साथ ही रहने की सलाह देने वाला जज भी और घूस लेकर न्याय को बेच डालने वाले वकील भी हमारे बीच से ही पढ लिखकर इस ओहदे तक पहुँचे हैं तो क्या इसलिए हमें उन्हें मनमानी की छूट दे देनी चाहिए? और संसद संविधान का अपमान वो लोग कर रहे है जो संसद को चलने न देकर जनता की कमाई लुटाते है वहाँ गुण्डागर्दी गाली गलौच करते है।प्रधानमंत्री लालकिले पर तिरंगा फहरा देते हैं लेकिन इसके बाद उसकी लाज क्यों नहीं रखते? अपने ही मंत्रियों को देश की संपत्ति को कोडियो के भाव बिकते चुपचाय देखते रहते है।फिर कौन कर रहा है तिरंगे संविधान आदि का अपमान?अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए चुनावी अभियानो और राजनीतिक रैलियों में छोटी छोटी तिरंगेनुमा झण्डियो का प्रयोग घडल्ले से होता है और बाद में ये लोगों के पैरो तले आती रहती हैं।क्या ये राष्ट्रिय ध्वज का अपमान नहीं है?या सारी जिम्मेदारी बस जनता और मीडिया की ही है?
ReplyDeleteऔर काहे के जनप्रतिनिधि ?आज देश की हालत ये है कि जनता को साँपनाथ और नागनाथ में से एक को चुनना होता है क्योंकि ढंग के लोगों को राजनीतिक दलों द्वारा टिकिट ही नहीं दिया जाता।इसके लिए चुनावी सुधार जरूरी है जिसे ये लोग कभी लागू नहीं होने देंगे।टीम अन्ना जैसे लोग या मीडिया इसके लिए आवाज उठाएँगे तो कह दिया जाएगा कि आपको लोकतंत्र और संविधान में विश्वास नहीं है आप उसका अपमान कर रहे है।और जहाँ तक बात है जनता द्वारा चुने जाने की तो आज आप देखिए किसी चुनाव में यदि दस उम्मीदवार खड़े होते हैं तो सबको दस दस प्रतिशत वोट मिलते है लेकिन यदि इनमें से किसी एक को दस की बजाय ग्यारह फीसदी वोट मिल जाए तो वही विजेता बन जाता है और मान लिया जाता है कि बहुमत इसके साथ है जबकि देखा जाए तो बाकी 89 प्रतिशत लोगों ने तो उसे चुना ही नहीं।लोकतंत्र को तो हमने बस इसलिए अपना रखा है कि ये बाकी प्रणालियों से कम बुरी प्रणाली है।
ReplyDeleteकाहे के जनप्रतिनिधि ?
ReplyDeleteyahi baat sochnii haen ki hamarey yahaan ki vyavstha kehaa sae itni bigad jaatii haen ki koi bhi jan pratinidhi bantae hi us pad kaa durupyog kartaa haen
संभवत आप ये सब असीम के कार्टून से उपजे विवाद पर कह रही है , मुझे लगता है की ये समझ समझ का फेर है अब उन्ही कार्टून को मेरी नजर से देखीये | एक कार्टून में वो दिखाते है संविधान के ऊपर कसाब रूपी कुत्ता पेशाब कर रहा है और लिखा है की इसका जिम्मेदार कौन है , आप को कहा से ये दिखता है की इसमे संविधान का अपमान है असीम तो खुद ये पूछ रहे है की कसाब जैसा व्यक्ति देश में घुस कर हम पर ( हमारे संविधान ) हमला कर देता है उसका जिम्मेदार कौन है ये सविधान का अपमान नहीं है बल्कि उसके अपमान के जिम्मेदार लोगों से किया गया सवाल है | दूसरे में अशोक स्तंभ के रूप को बदला गया है तीन भेड़िया है और नीचे लिखा है भ्रष्टमेव जयते ! इसमे भी साफ है की वो व्यंग्य ही कर रहे है देश की हालत पर, जिसमे वो बताने का प्रयास कर रहे है की भ्रष्ट लोगों ने देश के चिन्हों को बदल दिया है , उसके वाक्य को बदल दिया है | एक और है जिसमे संसद को टायलेट की तरह दिखाया गया है यहाँ संसद का अपमान नहीं है बल्कि ये दिखाया जा रहा है की समाज की सारी गन्दगी आज संसद में जा कर बैठी है सांसद के रूप में, संसद नहीं सांसदों पर व्यंग्य है | ये भी जान ले की जिस वकील साहब ने केस किया है वो महाराष्ट्र में दलित राजनिती करने वाले पार्टी से जुड़े है जो अपनी सारी राजनीति अम्बेडकर और संविधान के नाम पर करती है उसे तब कोई आपत्ति नहीं होती है जब सांसद में बैठ कर लोग अपनी मन मर्जी से अपने स्वार्थो के लिए जब चाहे जो चाहे उसमे बदलाव कर देते है
ReplyDeleteअंशुमाला जी सी अक्षरश: सहमत , मैं भी ऐसा ही सोचता हूं
Deleteकल टीवी पर जस्टिस काटुज बता रहे थे की सर्वोच्च न्यायलय ने एक केस में साफ कहा दिया था की देश के प्रतिको का सम्मान न करना कही से भी कोई भी अपराध नहीं होता है उस व्यक्ति को कोई भी गिरफ्तार नहीं कर सकता है | उनका कहना था की हम सभी से उम्मीद कर सकते है की वो सम्मान करे पर हम लोगों को ये करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते है, कोई नहीं करता है तो उसे अपराध नहीं कहा जा सकता है और देश द्रोह का मामला तभी बनेगा जब कोई जनता को देश के प्रति हिंसक आन्दोलन के लिए उकसाय, ध्यान रखे की देश के प्रति ना की सासन कर रही पार्टी या सत्ता के प्रति उनके खिलाफ किया गया आन्दोलन देश द्रोह नहीं है , और ये कानून भी हमारा नहीं अंग्रजो का बनाया है , जो बस गाहे बगाहे राजनिती के लिए प्रयोग कर लिया जाता है | आप को याद होगा की आज से कुछ साल पहले तक एक आम आदमी को तिरंगा फहराना लेना सब मना था सरकार को ये रितंगे का अपमान लगता था किन्तु आज ऐसा नहीं है हर आम आदमी उसे अपने घर गाड़ी कही भी लगा सकता है , सोचिये जो बात आज से कुछ साल पहले तक गलत था आज ठीक हो गया है | क्या सारी देश भक्ति प्रतिको के सम्मान में ही है अमेरिका में तो लोग अपने झंडे की बिकनी तक पहनते है तो क्या वो उसका अपमान कर रहे है क्या उनमे अपने देश के प्रति प्रेम नहीं है | ये सम्मान की बात बकवास है सम्मान दिल में होता है देश के प्रति मात्र प्रतिको के पीछे डंडा ले कर घूमना मुझे बिल्कुल आडम्बर लगता है जैसे की भगवान की जगह बस मूर्ति को ही बड़ा मान लेना होता है | अब हम सब को इस से बाहर आ जाना चाहिए भारत में प्रतिको को लेकर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील होते है लोग |
ReplyDeleteबेहतरीन प्रतिक्रिया अंशुमाला जी
Delete
ReplyDeleteकल एक और पत्रकार महोदय टीवी पर आये थे उनके ऊपर भी दुनिया जहान के केस चल रहे थे क्योकि उन्होंने फेसबुक पर गाँधी जी के एक कार्टून पर ( जो उन्होंने नहीं बनाया था ) उनके विवाहित होते हुए भी ब्रम्चर्य के पालन पर टिप्पणी कर दी थी उसे महिला विरोधी जैसा बता दिया था | कांग्रेस वालो ने केस कर दिया कहा राष्ट्रपिता का अपमान है , और आप को पता है की अभी एक बच्ची के पूछने पर बताया गया की सरकार ने उन्हें कभी भी राष्ट्रपिता घोषित ही नहीं किया है |
kiya secular ek aakh se andha hota hai..
ReplyDeleteअभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ तिरंगे का अपमान करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। युवा लोकशक्ति पार्टी ने पुणे के चतुश्रृंगी पुलिस स्टेशन में शाहरुख के खिलाफ तिरंगे का अपमान करने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने बताया कि बॉलीवुड अभिनेता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ तिरंगे का अपमान करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। युवा लोकशक्ति पार्टी ने पुणे के चतुश्रृंगी पुलिस स्टेशन में शाहरुख के खिलाफ तिरंगे का अपमान करने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने बताया कि बॉलीवुड अभिनेता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
शाहरुख खान का नाम इससे पहले भी सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने, आईपीएल मैच के दौरान झगड़ा करने और सौरभ गांगुली व शोएब के बीच हुए विवाद में आ चुका है।
युवा लोकशक्ति पार्टी के सचिव रवींद्र बह्मे का कहना है कि राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक तिरंगे का यदि कोई भी अपमान करता है, तो उसे कतई सहन नहीं किया जायेगा।
इसी मकसद से हमने तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ मुहिम छेड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2011 में भारत ने जब वर्ल्ड कप जीता था, तब रात भर चले जश्न में अभिनेता शाहरुख खान भी अपनी कार लेकर सड़कों पर निकल पड़े थे। इस मौके पर वे अपने साथ तिरंगा लेकर आये थे और कार पर खड़े होकर तिरंगे को उल्टा लहराया था।
यह वीडियो क्लिप इंटरनेट पर भी उपलब्ध है। जिससे साफ होता है कि शाहरुख खान ने तिरंगे का अपमान किया है।
jai baba banaras...