मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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June 30, 2014

ईश्वर तुमको अगले जीवन में जीवित रहने की लड़ाई से मुक्त रखे मेरी दोस्त अनुराधा।

 

आर. अनुराधा  

से बस एक बार २००८  में दिल्ली हाट में मिलना हुआ था।  उन से परिचय नेट पर उनकी एक पोस्ट चोखेर बाली ब्लॉग पर पढ़ कर हुआ था।  उस पोस्ट में उन्होने कैंसर पर अपनी विजय के विषय में लिखा था।  उस पोस्ट पर मैने कॉमेंट भी  किया था और फिर नारी ब्लॉग पर उन पर एक पोस्ट भी लिखी थी।  फिर ईमेल के जरिये उनसे दोस्ती रही और कहीं भी किसी ने कैंसर से हार मान चुके व्यक्ति का जिक्र किया तुरंत अनुराधा का ईमेल उसको दिया।  

हर बार अनुराधा ने उस व्यक्ति को प्रोत्साहित किया और उसकी जीने की शक्ति को बढ़ाने की मद्दत की।  जब  युवराज सिंह को कैंसर हुआ तो मन में निश्चिंतता थी वो ठीक हो जाएगा क्युकी अनुराधा अनुराधा विजय जो पा चुकी थी।  उसी प्रकार से वन्दना की रिश्तेदार के लिये मन में विश्वास था वो भी विजय पा लेगी क्युकी अनुराधा पा चुकी हैं 


अनुराधा का होना यानी कैंसर का परास्त होना था मेरे लिये और 

अचानक अनुराधा चली गयी , कैंसर फिर जीत गया। 

अब किसी भी कैंसर पीड़ित / कैंसर विजयी को देखती हूँ तो मन आशंका से भर जाता हैं क्युकी अनुराधा तुम जो नहीं हो।  कितने दिन से ये सब मन हैं , तुम्हारी याद के साथ।  

ईश्वर तुमको अगले  जीवन में जीवित रहने की लड़ाई से मुक्त रखे मेरी दोस्त अनुराधा।  

2 comments:

  1. अनुराधा का होना यानी कैंसर का परास्त होना था मेरे लिये और
    अचानक अनुराधा चली गयी , कैंसर फिर जीत गया ---- ये उदास करती हुई पंक्तियाँ बहुत कुछ कह जाती हैं.... दिल्ली हाट में अनुराधा से पहली मुलाकात आपके कारण ही संभव हो पाई थी.

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  2. मेरी एक प्रिय सहेली ने न जाने कितने कैंसरों से लड़ाई लड़ी. अंत में वह चली गई. उसको बहुत याद करती हूँ और उसकी उस लड़ाई को भी जो उसकी मुस्कान न छीन पाई और न ही उसका ह्यूमर.
    घुघूतीबासूती

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