मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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September 10, 2015

हिंदी को प्यार इसलिये ना करे की वो आप को पॉपुलर कर सकती हैं क्युकी ये सेल्फिशनेस हुई।

हिंदी सम्मलेन हो रहा हैं फेसबुक पर और ब्लॉग पर हिंदी में लिखने वाले परेशान , उन्हे नहीं न्योता गया।  


अरे क्या आप ने  ब्लॉग और फेसबुक पर हिंदी में इसलिये लिखना प्रारंभ किया था की आप हिंदी के स्थापित लेखक और कवि या व्यंगकार कहलाये ? 

जो इतने व्यथित दिख रहे हैं उन सब को सोचना चाहिये की क्या उनके पास हिंदी की कोई प्रमाणित डिग्री हैं जैसे बी ऐ , ऍम ऐ , ऍम फिल , पी एच डी।  अगर हैं तो क्या आप उन संस्थानों से जुड़े हैं जहां साहित्यकार , हिंदी के लेखक , कॉलेज प्रवक्ता इत्यादि जाते हैं ?

लीजिये आप कहेंगे वहाँ सब बेकार की बाते होती हैं , बहुत पॉलिटिक्स हैं और हिंदी को प्यार करने उसमे लिखने के लिये इस सब की क्या जरुरत। 

सही आप हिंदी को प्यार करते हैं , उसमे लिखते हैं लिखिये खुश होइए और साहित्यकार , बुद्धीजीवियों की जुत्तम  पैजार से दूर रहिये।  

और मन में ये भरम तो कभी ना पालिये की आप के हिंदी में लिखने से हिंदी का इतना विस्तार  हुआ हैं नेट पर।  

हिंदी अपने आप में एक सम्पूर्ण भाषा हैं जिसको विस्तार की जरुरत ही नहीं हैं।  आप उसे प्यार करिये और उसके साथ साथ ये भी ध्यान रखिये की कोई भी भाषा हो नेट पर उसका विस्तार केवल और केवल इंग्लिश के कारण हुआ हैं।  

सारे प्रारंभिक टूल्स इंग्लिश में थे जिनकी जानकारी के कारण आलोक , मैथिलि , सिरिल और रवि इत्यादि ने हिंदी में नेट पर लिखना शुरू किया।  बाकी सब धीरे धीरे आते गए , कारवाँ बनता गया। 



हिंदी को प्यार इसलिये ना करे की वो आप को पॉपुलर कर  सकती हैं क्युकी ये सेल्फिशनेस हुई।  

2 comments:

  1. मैं हिंदी में लिखता हूँ क्योंकि एक अंग्रेज अंग्रेजी में लिखता और चीनी चायनीज में.

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