पत्नी घर द्वार से दुखी
ब्लॉग लिख कर खुश
फिर भी कहती है आभासी
दुनिया में हम
रीयल दुनिया से भाग कर नहीं आये हैं
पति , पत्नी से दुखी
कुछ समझती नहीं
सालो से एक घर में
रह कर भी
मानसिक रूप से अलग
ब्लॉग पर मर्मस्पर्शी कविता
लिखकर संबंधो में
मिठास भर रहे हैं और
फिर भी कहते हैं
हम आभासी दुनिया में
रीयल दुनिया से भाग कर नहीं आये
वृद्ध , खाली घर में परेशान
बेटा , बेटी विदेश में
नेट पर ब्लॉग परिवार में
इजाफा कर रहे हैं
अपना समय परिवार से दूर
व्यतीत कर रहे हैं पर
कहते हैं हम रीयल दुनिया से
आभासी दुनिया में नहीं आये
आज पढ़ा एक ब्लोगर
के भाई ने उससे नाता तोड़ रखा हैं
और वो ब्लोगर, बाकी सब ब्लोगर में अपना
भाई खोज रहा हैं
फिर भी कहता हैं हम
रीयल दुनिया से भाग कर
आभासी दुनिया में नहीं आये
किसी ब्लोगर का ब्लॉग भरा हैं
रोमांटिक कविता से
और वोमन सेल में
मुकदमा चल रहा हैं पति की
यातना के खिलाफ
फिर भी कहते हैं
रीयल लाइफ में खुश थे
आभासी दुनिया में
बस यूहीं हैं
किसी ब्लोगर की पत्नी ने
उनको नकार दिया था
क्युकी पत्नी का सौन्दर्यबोध
पति के शरीर को स्वीकार नहीं कर पाया
वही ब्लोगर नेट पर रोमांस करता पाया जाता हैं
फिर भी कहता हैं
रीयल लाइफ में सुखी हैं
मै एक एकल महिला
रात को कमेन्ट पुब्लिश नहीं करती
क्युकी रात सोने के लिये होती हैं
सुबह देखती हूँ हर विवाहित ब्लोगर
रात भर जग कर कमेन्ट देता हैं
और पुब्लिश ना होने का ताना भी
और फिर भी कहता हैं उसकी जिन्दगी
में सब सही था
वो रीयल दुनिया के रिश्तो से भाग कर आभासी दुनिया में नहीं आया
२००६ से हिंदी ब्लोगिंग में ५ साल पूरे होगये । बहुत से ब्लोगर को पढ़ा । जो पढ़ा ये कविता मात्र उसकी विवेचना हैं । आप अपने को इस में ना खोजे
५ साल होगये पता भी नहीं चला
मेरा समय अच्छा बीता मै खुश हूँ ।
मै यहाँ खुश होने आयी थी , खुश करने नहीं और मै उस मकसद में कामयाब हूँ ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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मुबारक हो ...
ReplyDeleteहम भी अपने इसी मकसद की और बढ़ रहे हैं !
पाँच साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई हो..
ReplyDeleteरचना जी मुबारक हो।
ReplyDeleteहम सभी खुशी के लिए यहाँ आए हैं। हम जीवन में भी इन्ही खुशियों के लिए का करते हैं।
पर ये आभासी जगत उतना आभासी भी नहीं जितना कहा जाता है।
.
ReplyDelete.
.
रचना जी,
मुबारक हो:-
पाँच साल की ब्लॉगरी...
मकसद में कामयाबी...
समय का अच्छे से बीतना भी...
आप सदा खुश रहें और यों ही लोगों को सोचने पर मजबूर भी करती रहें !
आभार!
..
सफलतापूर्वक पांच वर्ष पूर्ण होने पर शुभकामनाएं और बधाई ... आप हमेशा खुश रहें ... आभार
ReplyDeleteसबसे पहले तो पाँच साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबाकी जो कविता मे कहा है वो भी काफ़ी हद तक सही है मगर शायद पूरा सच इसलिये नही क्योंकि आज ब्लोग ने अपनी एक जगह बना ली है …………हाँ निर्मल हास्य की दृष्टि से अति उत्तम बात कही है।
वाह!
ReplyDeleteआईना हमारे सामने कर कहा देखो और इसमें खुद को मत खोजना।
पोस्ट बहुत पसन्द आई
प्रणाम स्वीकार करें
हाहाहा! हेहेहे! पहले हँस लूँ तो कुछ कहूँ.:D
ReplyDeleteमैं तो अपने बंद संसार से, पहले पुस्तकों, समाचार पत्रों को खिड़की रोशनदान या दरवाजे में छोटा सा छेद समझ बाहर झांका करती थी. सोचती थी कि मैं शहर, कस्बे, गाँव से दूर एकांत में हूँ शायद इसलिए। किन्तु वह सच नहीं था। शहरों में रहने वालियाँ भी सब (SAB )टी वी के अनुसार हैप्पी हाउसवाइफ क्लब बना यही सब याने खिड़की रोशनदान या दरवाजे में छोटा सा छेद ढूँढ रही हैं। ये बात और है की शायद हैप्पी हाउसवाइफ oxymoron हैं, परस्पर विपरीत से. शायद मनुष्य व लगातार की खुशी भी oxymoron हैं।
खैर, मेरे लिए तो नेट व ब्लॉगिंग संसार की खिड़की ही थे और हैं. घर में सारा फर्नीचर होता है और फिर आप कम्प्यूटर खरीद लेते हैं और साथ में कम्प्यूटर टेबल भी। अब कम्प्यूटर टेबल बहुत उपयोगी, लगभग अनिवार्य हो जाता है किन्तु उससे हमारे पलंग, सोफे, कुर्सी मेज का अवमूल्यन नहीं हो जाता। कुछ यही बात ब्लॉगिंग, आभासी संसार व शेष असली कहे जाने वाले संसार की है। आभासी संसार हमारे यथार्थ के कहे जाने वाले संसार से अधिक जो हमें मिला है वह है। जैसे प्रकृति हाथ पैर देने के बाद एक जोड़ी पंख थमा कहती 'ये भी रख लो घुघूती', कुछ वैसे अतिरिक्त!
इस संसार में आपको मित्र चुनने की सुविधा है। मन करे तो बोलो, मन करे तो गायब हो जाने की सुविधा है। ब्लॉग लिखना आपके नित के खाना बनाने या दफ्तर के काम से अलग वह काम है जो आपका मन हो तो आप करें और न करे तो न करें। बस यही मन करे तो करो न करे तो न करो इसे इतना मनभावन बना देते हैं। शायद इसीलिए आपको हम विवाहित देर रात को भी यहाँ विचरण करते मिल जाते हैं क्योंकि यहाँ सबकुछ मन के कारण होता है। विवाहित होना कोई जकड़ा जाना भी नहीं है। प्रायः आप अपने साथी की बगल में बैठे लिख रहे होते हैं।
घुघूती बासूती
पाँच साल पूरे करने के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteऔर अपने खुश होने के मकसद में कामयाब होने के लिए और भी अधिक बधाई।
घुघूती बासूती
sabse pehale to paanch saal poore hone ki aap ko bahut-bahut shubhkaamnayen.....dujaa aapne apni kavita ke madhiyam se bahut he badhiya tarike se blog jagat ki duniya aur use jude log ka parichay diya hai very well said...keep writting
ReplyDeleteउत्तम स्वीकारोक्ति सभी की ओर से...
ReplyDeleteबधाईयां पंचवर्षीय यात्रा के निर्विघ्न पूर्ण होने की ।
पांच साल पूरे होने की बधाई । यूं ही खुशियां खोजती रहें और यूं ही खुशियां पाती रहें । शुभकामनाएं
ReplyDeleteब्लॉगजगत में पाँच साल पूरे करने के लिए बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteकविता पर यह कहूंगा कि आभासी दुनिया को वास्तविक मानना भ्रम है, यह वास्तविक की कुछ मायनों में पूरक सी दिख सकती है, लेकिन वास्तविक की विकल्प तो हरगिज नहीं है।
ReplyDeleteपांच वर्ष पूर्ण होने की हार्दिक बधाई! यत्र-तत्र असहमतियों के बाद भी आपकी इस सकारात्मकता/सार्थकता को बेहिचक कहता रहा हूं कि आपने हिन्दी ब्लागरी की व्यक्तिवादी धारा से अलग चलने का जोखिम उठाया है, निबाहा है। यह निस्संदेह सराहनीय है। शुभकामनाएँ!!
आपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
ReplyDeleteनयी-पुरानी हलचल
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
ब्लोगिंग में पांच साल होने की बधाई |
ReplyDeleteसभी अपने अपने मकसद से ब्लोगिंग में आये है किसी का पूर्ण हो रहा है तो यहाँ डटा है जिसका नहीं हो रहा है वो छोड़ कर भी चला गया |
५ साल कितनी जल्दी पंख लगा कर उड़ गये. आपने ब्लॉग जगत में ५ साल पूरे किये, बहुत बहुत बधाई...ऐसे ही साथ बना रहे,इस हेतु शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteमकसद में कामयाब होती रहें...मुबारकबाद, मंगलकामनाऎँ...
कविता के माध्यम से अच्छा विश्लेषण...
रचना जी, ब्लॉग्गिंग में पांच वर्ष पुरे करने पर आपको बधाई. आशा करता हूँ की ये सफ़र यूँ ही अनवरत चलता रहेगा.
ReplyDeleteब्लॉगिंग में 5 वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई.आपको नियमित पढते हुए मुझे लगभग दो साल हो चुके है.लक्ष्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता हम सभी के लिए अनुकरणीय है. आशा है ये सफर यूँ ही सफलतापूर्वक चलता रहेगा.
ReplyDeleteपाँच साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteआप ऐसे ही खुश रहें...अपने मकसद में कामयाब रहें और नए लोगो को प्रोत्साहित करती रहें.
शुभकामनाएं
* पहले तो मुबारकबाद! शुभकामनाएं!! बधाई!!!
ReplyDelete** दूसरे आप इतनी अच्छी कवयित्री हैं, यह नहीं पता था। शायद आपको कम पढा हो।
*** तीसरे ... हालाकि मैं इस विषय पर पहले भी आपसे असहमति जता चुका हूं, फिर भी आपने जो तल्ख़ सच्चाई बयां की है, उसके लिए मुबारकबाद, और आपके मना करने के बावज़ूद इस रचना में कहीं न कहीं, शायद बहुत कहीं, अपने को पाता हूं, अगर यह न कहूं तो झूठ होगा।
**** चौथे -- अब पांच साल हो गए तो मठा धीशों में आपको भी शामिल मान ही लूं।
***** फ़ाइनली ... आपकी रचना पढ़ते-पढ़ते राजेश रेड्डी का यह शे’र याद आ गया
क्या ज़रूरी है जो दिल में है, जुबां पर आए
ये ज़माना नहीं इतना भी खरा होने का।
रचनाजी,
ReplyDeleteहार्दिक शुभ कामना ।
कविता अच्छी लगी।
रचनाजी
ReplyDeleteब्लागिंग में पांच साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई |
|
badhai ho rachna ji, aap isi sahas k sath apne muddo par aur bhi dati rahein, yahi shubhkamayein hain...
ReplyDeleteपांच साल का अनुभव - बहुत कुछ पढ़ा आपने और उससे ज्यादा ब्लॉगर्स के बारे में . आभासी दुनिया में यथार्थ दुनिया की परछाई से ज्यादा उसका उलट होना वास्तविकता के समकक्ष है .इसमें आश्चर्य नही होना चाहिए .
ReplyDeleteआपने डॉक्टर दराल के ब्लॉग में लिंक दिया तो आपके ब्लॉग के इस पोस्ट पर पहली बार आना हुआ, पहले की पोस्ट बिना पढ़ें...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग के आभासी जगत में पांच वर्ष आनंद उठाने की ख़ुशी में मुझे भी (एक शुद्ध 'टिप्पणीकार', दूध में मक्खी समान, की हैसियत से) आपको बधाई देते प्रसन्नता हो रही है...
इससे याद आता है कि एक अन्य आभासी जगत भी है,,, चलचित्र के 'मायावी' कहलाये जाने वाले जगत का...
वहाँ भी संयोगवश (?) 'वास्तविक जगत' में मानव / पशु आदि जीवन के ही विभिन्न काल और स्थान पर विभिन्न दृष्टान्तों पर आधारित फिल्म बनती चली आ रही हैं, किन्तु मात्र १००+ वर्षों से ही, जहां पहले ख़ुशी का मान दंड होता था कि पिक्चर कितने सप्ताह किसी शहर / हॉल में चली, और वर्तमान में मान दंड केवल बॉक्स ऑफिस है - कितना करोड़ कमाया पहले हफ्ते में ही, भले ही वो कोई 'अश्लील' फिल्म ही क्यूँ न हो, जिसका आनंद 'शरीफों' ने भी उठाया हो... और उसी भांति ब्लॉग जगत में अधिकतर मान दंड है कि कितनी टिप्पणियाँ पायीं (?)!
और वास्तविक माने जाने जगत में भी आज मान दंड हो गया है कितना माल कैसे भी कमाया (और स्विस बैंक में जमा किया?)...
सोचने वाली बात यह है कि कहीं यह भी वास्तविक जगत न हो कर, वास्तव में आभासी जगत ही तो नहीं है ??? (शेक्सपियर ने भी कुछ ऐसा ही कहा था न?)...
"जय भारत माता, जगदम्बा"!
जो कल नहीं था, किन्तु अभी है .....और कल नहीं रहेगा
ReplyDelete....वह सत्य नहीं है, वास्तविक नहीं है ....आभासी है, नश्वर है.
जो दृष्टव्य है वह भी आभासी है जो काल्पनिक है वह भी आभासी है. कल्पना कभी न कभी आकार लेती है और आकार कभी न कभी अपनी पूर्वावस्था को पहुंचता ही है. वास्तविकता और आभासी में प्रकट और अप्रकट का ही अंतर है और कुछ नहीं. तथापि दोनों एक -दूसरे के पूरक भी हैं. इन दोनों के बिना जीवन की कल्पना करके देखिये ..........
रचना जी ! इन पांच वर्षों का आपका आकलन समाज का प्रतिबिम्ब है.
जे.सी.जी ! ॐ नमोनारायण !
ReplyDelete"शुद्ध टिप्पणीकार " पर सहमति
"दूध में मक्खी समान " पर असहमति ...
मी लोर्ड ! सख्त ऐतराज़ दर्ज किया जाय.
हुज़ूर ! हम आपकी हर टिप्पणी को न केवल पढ़ते हैं अपितु उस पर दिमागी तवज्जो भी देते हैं ...और ऐसा करने वाले हम अकेले नहीं हैं. हमारे साथ बहुत से लोग हैं और आज से रचना जी भी हमारे साथ शामिल हो गयी हैं.
कौशलेन्द्र जी, और रचना जी, उर्दू में इसे कहते हैं 'ज़र्रा नवाजी के लिए शुक्रिया", (और हिंदी में "तिल का ताड़ बनाना" (?), अंग्रेजी में, " मोल हिल को पहाड़ बनाना" (?!)... आभार! ...
ReplyDeleteमैं ब्लॉग जगत में साढ़े छह वर्ष से हूँ, और अंग्रेजी में टिप्पणी से आरम्भ कर, हिंदी ब्लॉग जगत में अपनी हिंदी सुधारने हेतु 'पंगा' लेने लगा हूँ, कुछेक ब्लॉग में... इस लिए मेरा अनुरोध है कि भाषा की त्रुटियों का सुधार यदि गुरु लोग करें तो मुझे लाभ होगा... धन्यवाद! (वैसे एक कहावत है, "जो घोष लिखता है उसे बोस ही समझता है"!),,,:)