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November 15, 2011

मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही ।

राहुल गाँधी ने कह दिया यूपी से जो बाहर हैं वो सब भीख मांग रहे हैं , राहुल गाँधी खुद ही यूपी से बाहर हैं अब उनकी बात उन पर भी तो लागू ही होती हैं । ज़रा बताये क़ोई कहां कहां भीख मांगने का सिलसिला जारी हैं ।
मायावती ने कह दिया यूपी को चार भाग में बाँट दो , सही हैं इतना बड़ा राज्य हैं जो सत्ता में आजाता हैं ताकत रखता केंद्र तक को हिलाने की , बड़ा राज्य ज्यादा वोटर । सो मायावती ने झगड़े की जड़ को मिटाने की सोच ली ।
चार मुख्यमंत्री होगे , चार ताकते होगी । यानी बी अस पी के चार चीफ मिनिस्टर । सोचिये सोचिये राहुल गाँधी का भविष्य क्या होगा , पता नहीं भीख मांगने लायक भी रहेगे या नहीं ।

माया राज्य में लखनऊ के लोग खुश हैं , साफ़ सुथरा रास्ता , फ्लाई ओवर और शहर का काया कल्प । कम से कम शहर को सहारा इंडिया परिवार ने तो नहीं हथिया लिया वरना ३ साल पहले तो उनकी योजना तगड़ी थी ही । लखनऊ को हर जगह "सहारा लखनऊ " कहा जाने लगा था । यहाँ तक की सरकारी कार्यक्रम जिनमे सहारा स्पोंसर होते थे वहाँ बैनर पर सहारा लखनऊ लिखा जाता था ।

लखनऊ यानी अपना देश अपनी जनम भूमि जिसको १९६५ में छोड़ कर माँ पिता दिल्ली आगये थे पर भीख नहीं मांगी थी और ना स्वाभिमान से क़ोई समझोता किया । हाँ लखनऊ कभी वापस बसने ना जा पाए । आज मै अपने दम पर लखनऊ के पास सीतापुर में दरियां बनवाती हूँ और निर्यात करती हूँ मन में वही बात की अपनी जन्म भूमि से जुडो । दिल्ली कर्म भूमि हैं और लखनऊ जनम भूमि ।
पिता के मन में हमेशा एक मकान वहाँ लेने की लालसा रही जीवन में पूरी नहीं हुई , माँ ने पिछले साल वहाँ एक फ्लैट लेने की बात कहीं और किश्तों पर ले भी लिया । एक कमरे का फ्लैट कभी उनको इतनी संतुष्टि देगा उन्होने खुद भी नहीं सोचा । अब इंतज़ार में हैं कब मिले और वो अपने पति का सपना पूरा करे । ऐसी पत्नी पाना मुश्किल हैं पर पिता को मिली सच्चे रूप में एक अर्धांगिनी जिसके लिये पति का सपना पूरा हो जाना मात्र एक उपलब्धि हो गया ।

अब मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही । भारत की हैं और रहेगी हमारी हैं और रहेगी । जनता के नौकर हैं और जनता को ही बाँट रहे हैं । किसी दिन जनता ने बांटना शुरू किया तो कौन कहां भीख मांगेगा पता नहीं चलेगा ।

एक ने पूरे देश में अपने परिवार के नाम पर ना जाने क्या क्या बनवा दिया जैसे पैसा जनता का नहीं उनके परिवार को हो , तो दूसरा पुतले और हाथी लगवा रहा हैं ।

जनता जहां थी वही हैं और रहेगी बस जिस दिन जग गयी उस दिन अपनी अपनी ख़ैर मनाये । २०० साल अग्रेजो ने राज्य किया और सोच लिया भारत उनका हैं एक झटके में इस देश के लोगो ने उनको निकाल कर ही दम लिया ये लोग क्या चीज़ हैं ।

बस जगने की देर हैं

7 comments:

  1. सही कहा आपने ,
    राहुल जी राजनीति कर रहे हैं।

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  2. यू.पी एक समझदार राज्य है।
    छोटे राज्यों का होना आज की ज़रूरत है। लेकिन इसे चुनावी स्टंट न बनाया जाए।

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  3. वैसे तो अम्बेडकर ने संविधान के निर्माण से पहले ही यूपी के बारे में कहा था कि इतना बडा एक ही राज्य होना देश के हित में नहीं होगा लेकिन आज के समय में छोटे राज्य होना कोई विकास की गारंटी नहीं है यदि नेतृत्व अच्छा न हो.और वैसे भी ये मायावती का एक चुनावी शिगूफा है.मायावती यदि यूपी के बँटवारे का प्रस्ताव पारित कर भी दें तो ये मामला दिल्ली में वैसे ही अटक जाएगा जैसे तेलंगाना मुद्दा अटक गया है.उसके बाद मायावती को चुनावों में एक बहाना मिल जाएगा कि देखो यूपी कि कैसे उपेक्षा की जा रही है.और यदि केन्द्र इस पर स्वीकृति की मोहर लगा भी देता है तो इसका न सिर्फ श्रेय मायावती को मिलेगा बल्कि बहुत संभव है आने वाले समय में चारों मुख्यमंत्री बसपा से ही हो.यानी दोनों तरफ से मायावती को फायदा है.

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  4. और राहुल के बयान को तो प्रतिक्रिया लायक भी नहीं मानता.ये अब जूनियर दिग्विजय सिँह हो गए है.

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  5. tabhee to UP ko UP n rahane dene kee baaten ho rahee hain...

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  6. यह देखकर आश्चर्य होता है कि संवाद की जो बुनियादी बातें एक गैर-राजनेता भी जान-समझ सकता है,वह पीढ़ियों से राजनीति में रहे लोगों के भी पल्ले नहीं पड़ रही। ऐसा अधकचरा आदमी यदि देश का प्रधानमंत्री बन गया,जिस पर देश के प्रधानमंत्री को भी आपत्ति नहीं है,तो बस भगवान ही मालिक है। यह भी देखिए कि यदि यही बात किसी और ने कही होती,तो उपहास का विषय बनती,मगर राहुल ने कहा है तो कैसे गुरूघंटाल लोग गुरूगंभीर बने तमाशा देख रहे हैं। आम आदमी बस सावधान रहे क्योंकि अभी भोजन के अधिकार सहित कई अन्य विधेयक सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं।

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  7. बेहतरीन लिखा है, छोटे राज्य में सबका भला है

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