सुबह गेट से निकली तो गार्ड आस पास का कचरा जमा करके उसमे आग लगा कर धुँआ फैला रहे थे. मैंने कहा इस तरह जलाने का फाइन २५०० रूपए हैं। बत्तीसी फाड़ दी। फिर आवाज ऊँची करके मैंने कहा की गाडी वालो की गाड़ियां रोकी जा रही हैं और आप प्रदूषण बढ़ा रहे हैं और समझा कर कहने पर दांत फाड़ रहे हैं।
तब जा कर बोले अब नहीं करेगे।
मुझे आज तक दो बाते नहीं समझ आयी
१ कानून को सबके लिए बराबर से क्यों नहीं बनाया / मनवाया जाता। इसको गरीब अमीर मे क्यों विभाजित करदिया जाता हैं ?
२ नीची आवाज में समझाने से बात क्यों नहीं मानी जाती उसका मखौल क्यों होता
तब जा कर बोले अब नहीं करेगे।
मुझे आज तक दो बाते नहीं समझ आयी
१ कानून को सबके लिए बराबर से क्यों नहीं बनाया / मनवाया जाता। इसको गरीब अमीर मे क्यों विभाजित करदिया जाता हैं ?
२ नीची आवाज में समझाने से बात क्यों नहीं मानी जाती उसका मखौल क्यों होता
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