जब भी एक आम आदमी मरता हैं
मौत उसकी हादसा होती हैं
क्यूँ शहादत कर दर्जा हम
कुछ को देते हैं
और
कुछ की मौत को
बस हादसा कहते हैं
हर मरने वाला
किसी न किसी कर
कुछ न कुछ जरुर था
इस देश कर था या उस देश का था
पर आम इंसान था
शीश उसके लिये भी झुकाओ
याद उसको भी करो
हादसा और घटना
मत उसकी मौत को बनाओ
"मुंबई आंतक वाद के शिकार हर व्यक्ति को मै नमन करती हूँ और उनकी मौत को एक शहादत मानती हूँ । उनके परिवार वालो को इश्वर इस आपदा से लड़ने की ताकत दे "
क्यूँ शहादत कर दर्जा हम
ReplyDeleteकुछ को देते हैं
...जायज सवाल पर हम साथ-साथ. अच्छी रचना के लिए बधाई.
रचना आपकी अच्दी है कितु मै आपके इत्तिफाक नही रखता! मौत अलग अलग है! मरने वाले आैर माने वालों में फर्क करना होगा! मानवाता को मिटाने निकले पागलों केा उस श्रेणी मे नही रखा जा सकता, जिसमे उनसे लडते मरते हैं।
ReplyDeleteअशोक मधुप ji
ReplyDeletemaae yahaan ek aam aadmi kii maut aur policewalo ki maut ki baat kar rahee hun . agar mumbai kaand mae police waale ko shaheed mana jata haen to aam naagrik ko kyun nahin . aap dubara padhey kavita