सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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February 06, 2010
क्रोनोलोजी
चर्चा डोमेन पाबला जी ने नहीं उनके पुत्र ने ख़रीदा हैं और इसीलिये मसिजीवी कि पोस्ट पर अपने चित्र से पाबला जी को आपत्ति हुई और बात मुकदमे तक पहुची । फिर इस प्रकरण मे पाबला जी के नाम को क्यूँ लिया जाता हैं । या तो सबकी मेमोरी शोर्ट हो रही हैं या हम सही बात को करना ही नहीं चाहे रहे हैंमुद्दा मसजीवी कि पोस्ट पर नैतिकता का था पर क़ानूनी बात हुई नैतिकता और कानून का विरोध है क्या ?? अगर गुरप्रीत पाबला कि कम्पनी थे पर मुकदमा करती हैं तो पाबला जी उसको नहीं रोक सकते कानूनन और अगर पाबला जी कि स्वीकरोक्ति हैं कि चर्चा का डोमेन उन्होने ख़रीदा हैं तो किस कानून के तेहत वो मसिजीवी को नोटिस भेज रहे थे । क्या खुद कि स्वीकृति "साक्ष्य " नहीं मानी जायेगी । नैतिकता केवल सामाजिक प्रश्न हैं व्यक्तिगत नहीं और कानून साक्ष्य देखता हैं । एक तरफ गुरप्रीत मसिजीवी को धमकी देते हैं कानून कि तो दूसरी तरफ पाबला जी यानी चर्चा का डोमेन केवल बहाना हैं गुरप्रीत पाबला और बी अस पाबला दो अलग अलग लोग हैं और चिटठा चर्चा गुरप्रीत पाबला कि हैं नाकि बी अस पाबला कि ।
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