पढ़े लिखे जाहिल ?? किसको को और कब कहना सही माना जायेगा
मुहावरे अपने आप निकलते हैं , मेरा मानना ये हैं । आप क्या कहते हैं जब भी हम अभिव्यक्त करते हैं क्या मुहावरे अपने आप नहीं बे साख्ता मुहं से निकालते हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
April 30, 2010
April 27, 2010
ज़रा बताये तो
ये बुद्धिजीवी कौन होते हैं ???
कैसे पहचानते हैं इनको ??
कोई क्लू ??
कैसे पहचानते हैं इनको ??
कोई क्लू ??
April 25, 2010
तकनीक से उपजे भ्रम हैं
आज कल लोग तकनीक का बड़ा फायदा उठाते हैं । अब ब्लॉग स्पोट मे एक तकनीक हैं कि आप अगर चाहे तो कुछ दिन के लिये अपना ब्लॉग डिलीट कर सकते हैं जी हाँ और बाकी लोग सोचेगे कि आप ब्लॉग जगत छोड़ कर चले गए । आप के मित्र आप के ऊपर पोस्ट लिखेगे और और वो जो आप को पसंद नहीं करते शांति कि सांस लेगे । लेकिन दूसरे ही दिन आप का ब्लॉग फिर दिखने लगेगा । सिंपल हैं आप ने अपने डेश बोर्ड पर डिलीट किये हुए ब्लॉग को अन डिलीट कर दिया । शायद गुगुल ये सुविधा ६ महीने के लिये देता हैं ।
इसी प्रकार से अगर आप गुगुल कि दी हुई सुविधा के तहत अपने ब्लॉग कि सेटिंग मे "adult" को चुने गए तो आप का ब्लॉग सब कोई नहीं दिखेगा और लोग भ्रमित हो जायेगे कि आप ब्लोगिंग को अलविदा कह गए ।
लेकिन ये सब मात्र तकनीक से उपजे भ्रम हैं
इसी प्रकार से अगर आप गुगुल कि दी हुई सुविधा के तहत अपने ब्लॉग कि सेटिंग मे "adult" को चुने गए तो आप का ब्लॉग सब कोई नहीं दिखेगा और लोग भ्रमित हो जायेगे कि आप ब्लोगिंग को अलविदा कह गए ।
लेकिन ये सब मात्र तकनीक से उपजे भ्रम हैं
April 22, 2010
अगर हिम्मत हैं तो सबसे पहले अपने मित्रो और अपने पर ये कानून लगाए । मजहब और धर्म को बीच मे ना लाये ।
क्या हम मे से कोई भी हिन्दी ब्लोगिंग करने इस लिये आया था की वो गाली दे ??? पर देनी पड़ती हैं क्युकी अन्याय सहने वाला अन्याय करने वाले से भी ज्यादा गुनाहगार होता हैं । किसने हिन्दी ब्लोगिंग को ये परम्परा दी हैं की अनाम कमेन्ट मे गाली दो । ip address बदल कर कमेन्ट करो । बात की तह तक जाए तो आप ख़ुद खोज सकेगे की गलती किसने की हैं । नैतिकता केवल सामाजिक प्रश्न नहीं हैं कि जब मन हुआ दुसरो को नैतिकता का भाषण दे दिया । अगर हिम्मत हैं तो सबसे पहले अपने मित्रो और अपने पर ये कानून लगाए । मजहब और धर्म को बीच मे ना लाये ।
April 13, 2010
हिंदी की सेवा ?? क्या वाकई
कितने हैं जो हिंदी मे ब्लॉग केवल इस लिये लिखते हैं कि इस से हिंदी कि सेवा होगी । हिंदी का प्रचार प्रसार होगा । वो सब जो इंग्लिश मे कमेन्ट करने वालो को , रोमन मे कमेन्ट देने वालो को टोकते हैं या हिंदी मे वर्तनी कि अशुद्धियों को बताते हैं जब खुद कमेन्ट देते हैं तो जाने किस किस तरह कि भाषा का प्रयोग करते हैं ।
कोई बिहारी मे कमेन्ट देता हैं , कोई अवधि मे तो कोई किसी और dilect मे । अगर आप इन सब भाषाओ मे कमेन्ट दे सकते हैं और वो मान्य होते हैं तो कम से कम आप को किसी दूसरे को किसी भी भाषा मे कमेन्ट करने से नहीं रोकना चाहिये ।
अगर हिंदी कि सेवा का बहाना हैं तो फिर अपने ऊपर भी इसको लागू करना चाहिये ।
कोई बिहारी मे कमेन्ट देता हैं , कोई अवधि मे तो कोई किसी और dilect मे । अगर आप इन सब भाषाओ मे कमेन्ट दे सकते हैं और वो मान्य होते हैं तो कम से कम आप को किसी दूसरे को किसी भी भाषा मे कमेन्ट करने से नहीं रोकना चाहिये ।
अगर हिंदी कि सेवा का बहाना हैं तो फिर अपने ऊपर भी इसको लागू करना चाहिये ।
April 11, 2010
हिंदी ब्लोगिंग एक परिवार का नारा लगाओगे तो यही होगा चाहे कितना भी समय निकल जाए ।
कमाल हैं वो सब जो इस ब्लॉग पर आयी पोस्ट के विरोध मे लिखते थे वो आज वही सब लिख रहे हैं हिंदी ब्लोगिंग के विषय मे । पता नहीं क्यूँ लोग उन लोगो को इतनी तवजो देते हैं जो ब्लोगिंग बंद करने की बात कहते हैं । ना तो ऐसे लोगो के पास कोई मुद्दा था ना होगा। फिर उनके लिये इतनी सर्वर स्पेस क्यूँ खराब करनी । विर्तुअल और रियल को क्यूँ मिलाते हैं लोग । हिंदी ब्लोगिंग एक परिवार का नारा लगाओगे तो यही होगा चाहे कितना भी समय निकल जाए ।
Subscribe to:
Posts (Atom)