क्या हम मे से कोई भी हिन्दी ब्लोगिंग करने इस लिये आया था की वो गाली दे ??? पर देनी पड़ती हैं क्युकी अन्याय सहने वाला अन्याय करने वाले से भी ज्यादा गुनाहगार होता हैं । किसने हिन्दी ब्लोगिंग को ये परम्परा दी हैं की अनाम कमेन्ट मे गाली दो । ip address बदल कर कमेन्ट करो । बात की तह तक जाए तो आप ख़ुद खोज सकेगे की गलती किसने की हैं । नैतिकता केवल सामाजिक प्रश्न नहीं हैं कि जब मन हुआ दुसरो को नैतिकता का भाषण दे दिया । अगर हिम्मत हैं तो सबसे पहले अपने मित्रो और अपने पर ये कानून लगाए । मजहब और धर्म को बीच मे ना लाये ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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apse 100% sahmat
ReplyDeletebilkul sahi likha hai....sahmat hun!!
ReplyDeletehum bhi aisa hi sochte hai ji....
ReplyDeletekunwar ji,
सही बात।
ReplyDeleteमेरी भी सहमति-यहाँ जो हो रहा है उससे नौटंकी भी शर्मसार हो जाय !
ReplyDeleteBilkul sahi kaha hai apne. main apke sath hun.
ReplyDeleteसही बात
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