कमाल हैं वो सब जो इस ब्लॉग पर आयी पोस्ट के विरोध मे लिखते थे वो आज वही सब लिख रहे हैं हिंदी ब्लोगिंग के विषय मे । पता नहीं क्यूँ लोग उन लोगो को इतनी तवजो देते हैं जो ब्लोगिंग बंद करने की बात कहते हैं । ना तो ऐसे लोगो के पास कोई मुद्दा था ना होगा। फिर उनके लिये इतनी सर्वर स्पेस क्यूँ खराब करनी । विर्तुअल और रियल को क्यूँ मिलाते हैं लोग । हिंदी ब्लोगिंग एक परिवार का नारा लगाओगे तो यही होगा चाहे कितना भी समय निकल जाए ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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nice
ReplyDeletehttp://mypoeticresponse.blogspot.com/2010/02/blog-post_24.html
ReplyDeletehttp://mypoeticresponse.blogspot.com/2010/02/blog-post.html
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2009_11_01_archive.html
सच कहा आपने शायद हम सबको "सर्वर स्पेस का उपयोग" ठीक इसी तरह करना चाहिए जैसा आपने अपनी इन पिछली पोस्टों में किया है ...एक एक करके सबको अपनी निजि खुन्नस निकालने के लिए । और आखिरी वाली लिंक में आपने मुझे और विवेक सिंह की तुलना तालिबान रूपी राक्षस से कर दी है जिसे हिंदी ब्लोगजगत अमेरिका की तरह बढावा दे रहा है । बहुत ही तार्किक बात कही आपने । जारी रहिए ..आखिर हिंदी ब्लोग्गिंग है ...क्यों है न ????? चाहें तो पढ के न छापें ...मर्जी है आपकी ..आखिर मोडरेशन होता किसलिए है ????
और हां सच हैं ...को... सच है ....कर लें तो शायद ठीक होगा ....
ReplyDeleteविर्तुयल और रियल में भेद करने के लिए सबको बेनामी बनना पड़ेगा
ReplyDeleteजी ,"मैं कहती थी न ..." just a platitude!
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगिंग तो अभी विकास के दौर में है। अभी से ऐसी बातें ठीक नहीं।
ReplyDeleteसिर पर रखे अध भरे घड़े छलकते देखे
ReplyDeleteकसूर अध खाली घड़ों नहीं था
मैंने कमर से नुक्स झलकते देखे
आपकी बात बिल्कुल सही है...जगह मिली है कुछ कर दिखाने के लिए।
mr ajay
ReplyDeleteकानून भी जवाबी कार्यवाही को सेल्फ डिफेन्स कहता हैं । देखना ये होता हैं की जो पोस्ट आप को गलत लगी उसके पहले कौन सी पोस्ट कहां आयी जिन पोस्ट का लिंक दे रहे हैं क्या उनसे पहले उन ब्लोग्स पर मेरे ऊपर direct yaa tangential कुछ लिखा गया हैं . मुझे माल तक तो एक पोस्ट पर कहा गया हैं
कानून किसे क्या कहता है मैं भी थोडा बहुत समझता हूं रचना जी ।..जो भी देखना है वो आप देखिए खुशी खुशी ...हम तो सामने दिख रही पोस्ट ही देख सकते हैं ..इतिहास देखने और दिखाने लगेंगे तो....। और हां जिसने भी किसी महिला के लिए इतना घटिया लिखा है उसकी मानसिकता का क्या कहना ....। मगर इसका मतलब ये कतई नहीं कि उसके बदले आप भी .......
ReplyDeleteकानून कि आप कि समझ को कौन चैलेंज कर सकता हैं पर अनभिज्ञ मै भी नहीं हूँ । भारतीये संस्कृति कि बात करने वाले अगर इतिहास से परहेज करेगे तो कैसे चलेगा । इतिहास मै हुई गलतियां ना दोहराई जाये इस लिये वर्तमान मै अपने को मजबूत रखना हैं । जो जिस भाषा मे प्रहार करेगा उसको उसी भाषा मे जवाब मिलेगा और जिस मानसिकता कि बात आप कह रहे हैं उनका नाम आप खुद ही ले चुके हैं सो मे केवल सन्दर्भ ही दे रही थी । हिंदी ब्लोगिंग मे अब साक्ष्य और प्रमाण कि ही बात होती हैं । कोई मुझ पर प्रहार करे और मै इस लिये चुप रहूँ क्युकी उत्तर देने मे उस भाषा का प्रयोग गलत हैं ये किस जगह लिखा हैं ??? मै कम से कम इस बात को तो मानती हूँ कि मै ऐसा करती हूँ प्रत्युतर मे बाकी करते हैं पर मानते नहीं !!!!!
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