सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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May 12, 2010
आकलन नहीं
किसी कि क्षमता का आकलन कौन कर सकता हैं । विषय गत क्षमता का । मेरे ख्याल से किसी का आकलन करने के लिये कम से कम उस विषय मे कोई डिग्री जरुर होनी ही चाहिये । आप पसंद ना पसंद कर सकते हैं पर आकलन नहीं ।
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एक अपील:
ReplyDeleteविवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी अतः उन्हें क्षमा करते हुए विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
संदर्भ नहीं पता चला
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