मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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November 30, 2011

वालमार्ट - आप पक्ष में या विपक्ष में ??

वाल मार्ट - भारती एयर टेल के साथ भारत में पहले ही आ चूका हैं
कर्फुर भी मुझे दिल्ली में दिखा
जहाँ तक मेरा ख्याल हैं वाल मार्ट में बिकने वाला सामान सब चाइना का होगा , दाल सब्जी समेत क्युकी वहाँ से सस्ता कहीं नहीं मिलता . वहाँ से खरीद कर वालमार्ट सब जगह बेचता हैं
भारत से भी तमाम एक्सपोर्टर अपना माल इन कंपनियों को बेचते हैं लेकिन ओपन अकाउंट और क्रेडिट पर लेकिन उन मे से ९० प्रतिशत भी खुद कुछ नहीं बनाते हैं . सब बनवाते हैं
यानी बिचोलिये ही हैं
वाल मार्ट की अपनी ऑफिस बंगलौर में २० साल से माल खरीदने कर आगे बेचने के लिये वहाँ भारतीये नौकरी करते हैं पर एक्सपोर्टर से तगड़ा कमीशन लेते हैं माल पास करने का
छोटे एक्सपोर्टर को कोई नहीं गिनता

वालमार्ट के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी
और हाँ अभी जो बच्चे खेतो में काम करते हैं वो भी नहीं कर सकेगे क्युकी बाल मजदूरी वालमार्ट को मंजूर नहीं

तैयार हो जाए चाइना का ५० किलो का कद्दू का एक टुकड़ा खाने के लिये या २० किलो के टमाटर का एक टुकड़ा खाने के लिये
अभी अगर फ्रीज से काम चला लेते हैं तो पत्नी श्री के लिये डीप फ्रीजर लेने के लिये वालमार्ट ही जाना होगा

और हाँ विदेशो में इन स्टोर में समान इस लिये सस्ता मिलता हैं क्युकी खरीद वहाँ से होती हैं , उस देश से जहां समान सस्ता होता हैं यानी भारत , चाइना , विएतनाम इत्यादि

अब भारत से खरीद कर भारत में ही बेचेगे तो सस्ता का फंडा क्या चलने वाला हैं ??
हाँ वो अमीर भारतीये बिजनेस मेन जिन्होने इन कंपनियों में भारतीये पैसा निवेश कर रखा हैं वो अपने निवेश को इन कंपनियों से निवेश करवा कर शायद वापस ला सके ।

लेकिन हमारे छोटे उद्योगों को ख़तम करने का नया तरिका हैं ये ।

November 29, 2011

समय बदल रहा हैं

Dreze calls BPL census 'Kaun Banega Scorepati'
Uddi Gujjar from Rajasthan is a widow with two minor sons। She owns a bigha of unirrigated land and lives in a two-room house with a cement roof. So far, she is considered deprived, and is entitled to government benefits. But under the Social Economic Caste Census (SECC), she will not

make the cut.

Cases like hers - which would include many of the country's 30 crore poor - have prompted development economist Jean Dreze to term SECC 'Kaun Banega Scorepati'.

The census, started about four months ago, is being conducted by the rural development ministry.

The idea is to identify the poor who would be eligible for different schemes, including subsidised ration.

The census aims to rank households on a scale of 0 to 7 depending on deprivation. For each deprivation, the household gets one point. But qualifying for the points is no mean task.

Consider the following conditions:

Anyone with a living in a one-room house, with tin roof and brick walls will not be poor.

A household should not have adult members between the age of 16 and 59 (very rare) to be considered poor.

During a Right To Food campaign, a month ago a group of NGOs, tested the census methodology in a village in Rajasthan. Only three families met the criteria for poverty though as many as 27 families have BPL cards.

Manas Ranjan, a member of the campaign, said "If a household lives in a room whose dimensions are enough for a person to sleep or stand, they will not get a deprivation point ...," he said.

Dreze said the government had put the cart before the horse by deciding to introduce the proposed food security law in the winter session before SECC is completed। Describing the proposed law as "ill-devised" with a "straightjacket approach", he said.


अभी कुछ दिन पहले मैने अपनी एक पोस्ट से सम्बंधित एक पोस्ट पर कमेन्ट में कहा था की गरीब को जल्दी ही री डिफाइन करना होगा

आज ऊपर दी हुई खबर पढ़ी । देखिये समय बदल रहा हैं


November 25, 2011

कुछ लिंक अगर आपत्ति दर्ज करवाना हो तो

आपत्ति हो और दर्ज ना करवाई जाये तो आपत्ति होनी ही नहीं चाहिये हमे नहीं पसंद हैं ये सब , ये सब बदला जाए कौन बदलेगा ? आप बदलने के एक कंप्लेंट तो कर ही सकते हैं

भारतीये महिला अगर पोर्न स्टार बनती हैं और इस बात को निसंकोच कहती हैं तो क्या वो
बेशर्म हैं
भारतीये नहीं हैं
महिला ही नहीं हैं
महिला के नाम पर धब्बा हैं

क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को हम कलाकार मान सकते हैं
क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को भारतीये टी वी पर किसी प्रोग्राम में आना चाहिये
{ अब ये प्रश्न बेकार हैं क्युकी एक बिग बॉस में चुकी हैं }

पोर्न फिल्मो का बाज़ार बहुत बड़ा हैं और केवल पुरुष ही नहीं महिला भी इसको बड़े चाव / inquisitiveness से देखती हैं और बच्चो की बात तो रहने ही देकिसी भी घर के कंप्यूटर पर कुछ शब्द डाल कर सर्च करे कंप्यूटर को अनगिनत शब्द दिख जाते हैं जिनको डाल कर इन साईट पर पहुचा जाता हैं
लेकिन टी वी पर आना और नेट पर देखना दो अलग अलग बाते हैंनेट पर जो देखते हैं वो स्वेच्छा से उन साईट पर जाते हैं और टी वी पर देखना कई बार थोपा जाना होता हैंयानी जैसे बिग बॉस के दर्शको के लिये एक पोर्न स्टार का आना या वीणा मालिक जैसी पाकिस्तानी अभिनेत्री का स्वयम्बर टी वी पर होनाक्या भारतीये परिवेश में एक पाकिस्तानी लड़की का स्वयंबर होना सही हैंक्या ये एक प्रकार का आमत्रण नहीं हैं की हमारे यहाँ के युवा के लिये वो आये और खुले रूप में विना मालिक के साथ नाचे गायेचलिये लोग कहेगे ये काम हैं और मै भी यही मानती हूँ रियल्टी शो मात्र एक काम हैं लेकिन वो काम हमारे यहाँ के लोगो को दिया जाये { वीणा मालिक को करोड़ की डील देना कितना जायज़ हैं जबकि हमारे यहाँ भी कलाकार हैं जो ये नकली स्वयम्बर रच सकते हैं } । बड़ी बात ये हैं की क्या इस प्रकार के स्वयंबर होने ही चाहिये क्या पोर्न स्टार को टी वी के जरिये हमारे घरो में प्रवेश करना चाहिये ??

अगर आप समझते हैं नहीं तो ये लिंक आप के काम के हैं जहां जा कर आप अपनी आपत्ति दर्ज तो करवा ही सकते है

लिंक
लिंक

आज कल अगर आप ने ध्यान दिया हो तो हर प्रोग्राम में जिसमे न्यूज़ भी शामिल हैं बराबर एक टिंकर दिखाया जाता हैं की अगर दर्शक को आपत्ति हैं तो यहाँ दर्ज कर केवो लिंक http://ibfindia.com का हैं वहाँ जा कर अपनी बात कहने के लिये इस लिंक को क्लिक करे

आपत्ति हो और दर्ज ना करवाई जाये तो आपत्ति होनी ही नहीं चाहिये । हमे नहीं पसंद हैं ये सब , ये सब बदला जाए कौन बदलेगा ? आप बदलने के एक कंप्लेंट तो कर ही सकते हैं

अनुग्रह मानिये और करिये
लिंक
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Contact

The Secretary
Broadcasting Content Complaints Council
C/o Indian Broadcasting Foundation,
B-304, Ansal Plaza, New Delhi 110047
Phone Nos. 011-43794488
Fax No. 011-43794455
Email : bccc@ibfindia.com
Website: www.ibfindia

November 15, 2011

मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही ।

राहुल गाँधी ने कह दिया यूपी से जो बाहर हैं वो सब भीख मांग रहे हैं , राहुल गाँधी खुद ही यूपी से बाहर हैं अब उनकी बात उन पर भी तो लागू ही होती हैं । ज़रा बताये क़ोई कहां कहां भीख मांगने का सिलसिला जारी हैं ।
मायावती ने कह दिया यूपी को चार भाग में बाँट दो , सही हैं इतना बड़ा राज्य हैं जो सत्ता में आजाता हैं ताकत रखता केंद्र तक को हिलाने की , बड़ा राज्य ज्यादा वोटर । सो मायावती ने झगड़े की जड़ को मिटाने की सोच ली ।
चार मुख्यमंत्री होगे , चार ताकते होगी । यानी बी अस पी के चार चीफ मिनिस्टर । सोचिये सोचिये राहुल गाँधी का भविष्य क्या होगा , पता नहीं भीख मांगने लायक भी रहेगे या नहीं ।

माया राज्य में लखनऊ के लोग खुश हैं , साफ़ सुथरा रास्ता , फ्लाई ओवर और शहर का काया कल्प । कम से कम शहर को सहारा इंडिया परिवार ने तो नहीं हथिया लिया वरना ३ साल पहले तो उनकी योजना तगड़ी थी ही । लखनऊ को हर जगह "सहारा लखनऊ " कहा जाने लगा था । यहाँ तक की सरकारी कार्यक्रम जिनमे सहारा स्पोंसर होते थे वहाँ बैनर पर सहारा लखनऊ लिखा जाता था ।

लखनऊ यानी अपना देश अपनी जनम भूमि जिसको १९६५ में छोड़ कर माँ पिता दिल्ली आगये थे पर भीख नहीं मांगी थी और ना स्वाभिमान से क़ोई समझोता किया । हाँ लखनऊ कभी वापस बसने ना जा पाए । आज मै अपने दम पर लखनऊ के पास सीतापुर में दरियां बनवाती हूँ और निर्यात करती हूँ मन में वही बात की अपनी जन्म भूमि से जुडो । दिल्ली कर्म भूमि हैं और लखनऊ जनम भूमि ।
पिता के मन में हमेशा एक मकान वहाँ लेने की लालसा रही जीवन में पूरी नहीं हुई , माँ ने पिछले साल वहाँ एक फ्लैट लेने की बात कहीं और किश्तों पर ले भी लिया । एक कमरे का फ्लैट कभी उनको इतनी संतुष्टि देगा उन्होने खुद भी नहीं सोचा । अब इंतज़ार में हैं कब मिले और वो अपने पति का सपना पूरा करे । ऐसी पत्नी पाना मुश्किल हैं पर पिता को मिली सच्चे रूप में एक अर्धांगिनी जिसके लिये पति का सपना पूरा हो जाना मात्र एक उपलब्धि हो गया ।

अब मायावती और राहुल गाँधी चाहे जितना भी बाँट ले यूपी को उनकी तो होने से रही । भारत की हैं और रहेगी हमारी हैं और रहेगी । जनता के नौकर हैं और जनता को ही बाँट रहे हैं । किसी दिन जनता ने बांटना शुरू किया तो कौन कहां भीख मांगेगा पता नहीं चलेगा ।

एक ने पूरे देश में अपने परिवार के नाम पर ना जाने क्या क्या बनवा दिया जैसे पैसा जनता का नहीं उनके परिवार को हो , तो दूसरा पुतले और हाथी लगवा रहा हैं ।

जनता जहां थी वही हैं और रहेगी बस जिस दिन जग गयी उस दिन अपनी अपनी ख़ैर मनाये । २०० साल अग्रेजो ने राज्य किया और सोच लिया भारत उनका हैं एक झटके में इस देश के लोगो ने उनको निकाल कर ही दम लिया ये लोग क्या चीज़ हैं ।

बस जगने की देर हैं

November 13, 2011

क्यूँ मिलना चाहिये विजय माल्या की कम्पनी को बेल आउट ??

लीजिये अब किंग फिशर एयर लाइन को बेल आउट चाहिये । यानी नुक्सान इतना की वो चाहते हैं सरकार उनकी एयर लाइन में पैसा देकर नुक्सान की भरपाई करे । आम टैक्स देने वाली जनता का पैसा सरकार इनको दे ताकि ये अपने हवाई जहाज चलाते रहे ।


विजय माल्या की कंपनी हैं किंग फिशर ।

विजय माल्या यानी
Vijay Mallya (Kannada: ವಿಜಯ್ ಮಲ್ಯ; born 18 December 1955) is an Indian liquor and airline baron. The son of industrialist Vittal Mallya, he is the chairman of the United Breweries Group and Kingfisher Airlines. His United Spirits is world's second largest liquor maker, by volume. Mallya has also MP of India.

He also co-owns the Formula One team Force India, the Indian Premier League team Bangalore Royal Challengers, and the I-League team East Bengal FC.[2]
According to Forbes, his personal wealth is estimated to be $1.4 billion.[3] Mallya receives substantial press coverage that focuses on his lavish parties, villas, automobiles, Force India, Royal Challengers Bangalore and his yacht, the Indian Empress.[citation needed]

विजय मलाया ने £175,000 खर्च कर के टीपू सुलतान की तलवार खरीदी थी यानी 14009806.६३ रूपए इसके अलावा
उन्होने US$1.8 million खर्च कर के महात्मा गाँधी के पत्रों को भी खरीदा था ।

और अभी फ़ॉर्मूला १ में उनकी टीम थी , आ ई पी अल में भी उनकी टीम हैं

यानी पैसा ही पैसा हैं पर अपने बिज़नस के लिये उनको सरकारी फंड से बेल आउट चाहिये ।

ना जाने कितने छोटे बिज़नस करने वाले पिछले कुछ सालो में सपरिवार आत्म हत्या कर चुके हैं उनके बेल आउट के लिये किसी ने नहीं सोचा और मनमोहन सिंह जी को विजय माल्या जी के लिये सरकारी खजाने को लुटाने की जल्दी हैं

अब इस के बाद जब घाटा होगा { कागजी घाटा } फ़ॉर्मूला १ में या आई पी अल में तब विजय माल्या क्या करेगे ???


क्यूँ मिलना चाहिये विजय माल्या की कम्पनी को बेल आउट ??

क्या वो जनता को कम किराए पर ले जा रहे थे ?
क्या केवल इस लिये की उनकी अपनी सम्पत्ति पर आंच ना आये और बिज़नस का पैसा अब सरकारी खजाने से मिले

सोचिये जरुर

November 09, 2011

तीज त्यौहार किसी भी धर्म के हो उस दिन खुशिया मानना चाहिये क्युकी खुशियाँ जिन्दगी में कम ही आती हैं

मेरा कमेन्ट यहाँ


कुर्बान करना
कुर्बान होना
दोनों अलग बाते हैं
क़ोई अपने बेटे को गलत काम करने पर समाज हित में जेल भेज देता हैं ये हुआ अपने फायदे की क़ुरबानी
क़ोई अपने बेटे के गलत काम करने पर भी उसको सजा से बचाता हैं समाज के हित की ना सोच कर ये हुई समाज के हित की क़ुरबानी .

क़ोई किसी से प्रेम करता हैं और अपना सर्वस्व न्योछावर कर सकता हैं अब वो प्रेमी , देश , समाज , धर्म कुछ भी हो सकता हैं ये हैं fanatic क़ुरबानी इसमे आप नफ़ा नुक्सान नहीं सोचते हैं बस कुर्बान होना चाहते हैं

लोग बकरों की क़ुरबानी की बात करते हैं जबकि बकरा कटने के अगले दिन बहुत परिवारों में गाय की क़ुरबानी के बिना ईद संपन्न ही नहीं मानी जाती हैं .

सवाल अगर मासाहार और शाकाहार का होता तो हिन्दू सब शाकाहार ही होते , लखनऊ में तो बीफ टेलो खुले आम बिकता हैं और हिन्दू घरो में आता हैं .
और ये मत भूलिये की मक डोनाल्ड में इसी बीफ टेलो में फ्रेंच फ्राई बनाये जाते हैं { भारत में विवाद होने पर बंद कर दिया गया पर विदेशो में अभी भी हैं और सब हिन्दू खाते हैं }

अगर किसी धर्म में बकरा और गाये जिबह करके सबाब मिलता हैं और वो इस सबाब को लेना चाहते हैं तो ये उनकी समस्या हैं और आप या मै इस मै क़ोई बदलाव नहीं ला सकते हैं .

समस्या ये नहीं हैं समस्या हैं की जो लोग होली पर होलिका दहन को गलत बताते हैं वही जब बकरे और गाय की क़ुरबानी को सही ठहराने के लिये सारी पोथी पत्रा लेकर बैठ जाते हैं तो स्थिति पर क़ोई नियंत्रण नहीं रहता हैं .

होली दिवाली ईद बकरीद बड़ा दिन और गुरु नानक जनम दिन पर अगर इतनी बहस इन सब बातो पर ना की जाए तो क्या जिन्दगी रुक /बदल जायेगी .

ये सब बहस हैं और कुछ नहीं , जिस की जो धार्मिक रीत हैं उन में बदलाव संभव हो ही नहीं सकता हैं
तीज त्यौहार किसी भी धर्म के हो उस दिन खुशिया मानना चाहिये क्युकी खुशियाँ जिन्दगी में कम ही आती हैं उस दिन समझाइश की पोस्ट ना ही आये तो क्या ही बेहतर होगा .

हम को कोशिश करनी चाहिये कि हम अपने धर्म कि विकृतियों पर लिखे ना कि दूसरे धर्म की।

November 08, 2011

राय दे

सरकार का कोई भी प्रयास कुछ नहीं कर सकता क्युकी जो लोग "गरीब " हैं वो अपने बच्चो को पैसा कमाने की मशीन मानते हैं और खुद कहते हैं की बच्चे ज्यादा होने से कोई नुक्सान नहीं होता . उनके हिसाब से बच्चो पर कोई खर्चा ही नहीं होता हैं . उनका तो एक ५ साल का बच्चा भी रद्दी जमा करके दिन में ३० रूपए कमा लेता हैं

सोच कर देखिये शोषण अब किस का हो रहा हैं ?? उनका जिनके यहाँ कम बच्चे हैं और स्तर गरीबी की रेखा से ऊपर हैं या उनका जिनके यहाँ ज्यादा बच्चे हैं , स्तर गरीबी रेखा से नीचे हैं । जिनको फ्री शिक्षा हैं इत्यादि


आप की राय और कमेन्ट के लिये ये लिंक हैं

November 01, 2011

शायद समझ जाए

कल मुझे एक मेल भेजी गयी हैं , मेल फॉरवर्ड की हुई मेल हैं और उसमे नीचे ओरिजिनल मेल भेजने वाले का नाम और फ़ोन नंबर भी हैं ।
मेल जिस ने मुझे भेजी ना तो मै उनकी मित्र हूँ और ना उनके मित्र की मित्र हूँ जिनका नंबर वो मुझे फॉरवर्ड कर रहें हैं ।

और ये क़ोई नये ब्लोगर नहीं हैं की ना जानते हो ईमेल कैसे भेजी जाती हैं या किसको भेजी जाती हैं । पहले भी ये महिला के ऊपर अभद्र चुटकुलों के साथ अपने मित्रो को ईमेल फॉरवर्ड करते थे और मेरा आ ई डी भी शामिल करते थे । जब उस आ ई ड़ी पर स्पाम कर दिया तो अब दूसरे पर इनका मेल आना शुरू होगया ।

जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।



पहले भी ये पोस्ट लिखी थी इन्ही सज्जन पर आज फिर लिख रही हूँ । शायद समझ जाए

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