किसी भी प्रकार के पुरूस्कार से प्रतिस्पर्धा बढ़ती हैं . जबकि अब 10 वे के नतीजे मे भी नंबर नहीं देने का फैसला हैं , ब्लॉग पर पुरूस्कार देना गलत हैं .
जिस पुरूस्कार की कोई मान्यता ही नहीं हैं , जिसके चुनाव की प्रक्रिया में लेखक की सहमति ही नहीं ली गयी हैं उसको ले कर लोग क्या साबित करते हैं ???
पता नहीं , शायद कहीं और कुछ नहीं मिलता हैं , प्रशंसा की दरकार हैं शायद उनको , या शायद ये मुगालता हैं की वो सबसे बेहतर हैं
कोई जरूरत तो नहीं हैं इस क्षेत्र में पुरस्कार की क्योंकि ये तो बस अभिव्यक्ति का माध्यम भर हैं.इसमें किसी प्रतियोगिता की भावना का मतलब ही नहीं हैं.इसलिए मैं तो ये सब पसंद नहीं करता पर फिर भी कोई आयोजन करता हैं तो मैं उसका विरोध भी नहीं करता.क्योंकि मुझे नहीं लगता इससे पाठकों की पसंद नापसंद पर कोई प्रभाव पडता हैं.रही बात ब्लौगर्स को बिना पूछे नामांकित करने की तो मैंने देखा हैं कि कुछ ब्लॉगर खुद ही अपने को अलग करने की बात कर रहे हैं.
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