जब मैने हिंदी ब्लॉग लिखना शुरू किया था { ६ साल पहले } तब गूगल पर
ट्रांस्लिशन की सुविधा नहीं थी और मैने अपनी कविता का ब्लॉग रोमन में लिखा
था . फिर "नारद" जो उस समय जीतेन्द्र चौधरी , संजय बेगानी इत्यादि चलाते थे
वहाँ से कमेन्ट आया एक कविता पर उन से जुड़े और ब्लॉग को हिंदी में लिखे
इत्यादि .
उस समय चिटठा चर्चा मंच थाजहां अनूप शुक्ल की अगवाई में चिट्ठा चर्चा की जाती थी और तमाम ब्लॉग के लिंक उपलब्ध कराये जाते थे . उससमय कुछ गिने चुने ब्लॉग के लिंक ही दिये जाते थे फिर नये ब्लोग्गर ने आपत्ति की जिस में मै भी थी की इस मंच पर अपनी पसंद का बायस हैं . उस आपत्ति में अजय झा भी थे , बी अस पाब्ला भी थे और भी कयी ब्लोग्गर थे . इसके बाद अजय झा ने टिपपू चचा या ऐसा ही कुछ नाम के ब्लॉग के साथ अपने को जोड़ कर चिटठा चर्चा और अनूप शुक्ल की लम्बी खिचाई की . केवल ये बताने के लिये की चिटठा चर्चा पर लिंक संकलन में बायस हैं
आज ब्लॉग बुलीटन नामक ब्लॉग पर लिंक संयोजन किया जाता हैं और उन लिंकों को भी दिया जाता हैं जिन मै द्विअर्थी संवाद हैं . कल मैने शिवम् मिश्र जी को जब ये बात कहीं ऐसे ब्लॉग के लिंक नहीं जोड़े तो आज वहाँ पोस्ट हैं की हम पढते नहीं हैं केवल लिंक उपलब्ध करवाते हैं
ये वैसा ही कुछ हुआ की गंदगी की टोकरी को आगे बढाते चलो उसको साफ़ मत करो और जब क़ोई आपत्ति करे तो कहो की समाज की इतनी चिंता ना करे .
जब चिटठा चर्चा पर होता था तब गलत था आज ब्लॉग ब्लॉग बुलेटिन पर आप खुद करते हैं तो सही हैं .
जब दूसरे करते थे तो गलत था आप करते हैं तो सही हैं
और मुझे सबसे ज्यादा हंसी उन टिप्पणियों पर आती हैं जिन में लिखा होता हैं बड़े अच्छे लिंक दिये पढ़ कर मजा आया .
iskae
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