मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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September 05, 2012

"लम्पट और नक्कालों से सावधान "





रवीन्द्र प्रभात
15:54 (46 minutes ago)

to me
रवीन्द्र प्रभात ने आपकी पोस्ट "लम्पट और नक्कालों से सावधान" पर एक नई टिप्पणी छोड़ी है:

झूठ के पाँव नहीं होते रचना जी, जब मैंने आपके इस आरोप के परिप्रेक्ष्य मे रवीन्द्र जी से पूछा तो वे हतप्रभ रह गए उन्होने कहा कि मैंने तो दशक के सभी सम्मानित ब्लोगर्स को मेल 28 जुलाई को ही कर दिया था । उसके बाद रचना जी ने मुझे फोन भी किया था और कहा था कि मैंने टिकट बूक करा लिया है । उसके बाद उन्होने मुझे फिर फोन करके पूछा कि कार्यक्रम के लिए मैं कुछ पुस्तकें भेजना चाहती हूँ दिल्ली मेन किसे दे दूँ तो मैंने अविनाश जी का नाम सुझाया था । उन्होने वह मेल मुझे फॉरवर्ड भी किया है जो यहाँ प्रस्तुत है। मैं तो यही कहूँगा कि गुरग्रह से बचिए किसी पर इल्जाम सोच-समझकर लगाईए ।

from: रवीन्द्र प्रभात noreply-comment@blogger.com
to: indianwomanhasarrived@gmail.com
date: 5 September 2012 15:54
subject: [मंगलायतन] लम्पट और नक्कालों से सावधान पर नई टिप्पणी.
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मनोज पाण्डेय ने आपकी पोस्ट "लम्पट और नक्कालों से सावधान" पर एक नई टिप्पणी छोड़ी है:

झूठ के पाँव नहीं होते रचना जी, जब मैंने आपके इस आरोप के परिप्रेक्ष्य मे रवीन्द्र जी से पूछा तो वे हतप्रभ रह गए उन्होने कहा कि मैंने तो दशक के सभी सम्मानित ब्लोगर्स को मेल 28 जुलाई को ही कर दिया था । उसके बाद रचना जी ने मुझे फोन भी किया था और कहा था कि मैंने टिकट बूक करा लिया है । उसके बाद उन्होने मुझे फिर फोन करके पूछा कि कार्यक्रम के लिए मैं कुछ पुस्तकें भेजना चाहती हूँ दिल्ली मेन किसे दे दूँ तो मैंने अविनाश जी का नाम सुझाया था । उन्होने वह मेल मुझे फॉरवर्ड भी किया है जो यहाँ प्रस्तुत है। मैं तो यही कहूँगा कि गुरग्रह से बचिए किसी पर इल्जाम सोच-समझकर लगाईए ।
from: मनोज पाण्डेय noreply-comment@blogger.com
to: indianwomanhasarrived@gmail.com
date: 5 September 2012 15:56
subject: [मंगलायतन] लम्पट और नक्कालों से सावधान पर नई टिप्पणी.
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 किसी की आईडी से कमेन्ट करना और दूसरो को झूठा कहना ,
अपनी तारीफ़ खुद करना और अपनी तारीफ़ के लिये ब्लॉग बनाना 

मेरे पास और भी सब ईमेल हैं कमेंट्स की जो प्रूफ चाहते हो कहे  

मेरे कमेन्ट के जवाब में कहा गया हैं की झूठ के पाँव नहीं होते 
सब खुदगर्ज हैं केवल और केवल एक महान हैं और उनकी महानता ये हैं 


13 comments:

  1. मेरे न होने की शंका करने वाले लोग मुझे खटीमा ब्लॉगर मीट, दिल्ली ब्लॉगर मीट और लखनऊ के ब्लॉगर मीट मे मिल चुके हैं । आपके कहने या न कहने से मेरा वजूद नहीं मीट जाएगा माननीया ।

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    1. मनोज पाण्डेय
      ये माननीया इत्यादि लिखने सो क़ोई फायदा हैं क्या जब आप एक के मन में किसी के लिये आदर ना की क़ोई चीज़ हैं ही नहीं
      यहाँ बात आप के वजूद की नहीं हैं , बात हैं आप ने किस अधिकार से ये कहा की मेरा कमेन्ट "झूठ के पाँव नहीं होते " , ऐसी भाषा का प्रयोग करते क्या उनके लिये जिनको सम्मान का अधिकारी मानते हैं ???
      और जब आप रविन्द्र प्रभात के आ ई डी से कमेन्ट देते हैं तो आप फ्रौड़ कर रहे हैं फ्रौड़ यानी जाल साजी

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    2. इनके एकाध कमेंट हमारे यहां भी हैं। अब पता नहीं इन्होंने किये या उन्होंने जिनने इनको मेल आई.डी. और पासवर्ड दिये। मुझे ताज्जुब है कि आपके कथन "तो आप फ्रौड़ कर रहे हैं फ्रौड़ यानी जाल साजी " के जबाब में अभी तक उनका यह जबाब क्यों नहीं आया शिकायत मत कीजिये आप इससे बड़ा फ़्राड करके दिखाइये

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  2. ये कैसे लोग है जिनके दो मुह है. ये मीनिंगलेस हो रहे है पाडे तो बिलकुल गुडगोबर करने पर तुले है.एक कहावत है नासमझ दोस्त से समझदार दुश्मन अच्छा. उम्मीद है लोग समझने का प्रयास करेगे.

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    1. पता चला था की तुम पर मानहानि का मुकदमा होने वाला हैं सो अनुज ये सबूत रख लो , रेखा के अजीज हो मेरे भी हुए और ब्लॉग सहयोगी हो ही सो जरुरत समझो तो सब ईमेल लेलेना मुझ से

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  3. रचना जी,
    इसमें ऐसा कुछ भी नहीं जो बात का बतंगड़ बनाया जाये । आपके कॉमेंट के बाद मनोज जी का फोन आया था, की क्या आपने रचना जी को निमंत्रण नहीं भेजा ? मैंने कहा भेजा था । फोन पर उनकी बात पूरी तरह मैं समझ भी नहीं पा रहा था । मैंने उनसे कहा की मैं मीटिंग मे हूँ और अगले दो-चार घंटे तक ऑनलाइन नहीं हो पाऊँगा । आप ऐसा करें की मैं आपको अपना पासवर्ड एस एम एस कर दे रहा हूँ आप सेंट आइटम से उस मेल की कॉपी करके मेरे नाम से ही उन्हें प्रतिउत्तर दे दें । मैं जब फ्री होऊंगा तो पासवर्ड बदल लूँगा । संभव है की उन्होने अपनी भाषा में लिखकर मेरे नाम से पोस्ट किया होगा, फिर उन्हें यह भान हुआ होगा की गलत हो गया तो वे अपने नाम से पोस्ट कर दिये होंगे । आपको जबाब चाहिए था वह तो मिल गया न ?

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    1. रविन्द्र जी
      किसी भी चीज़ मै ऐसा कुछ होता ही नहीं हैं की मान अपमान की बात की जाए , उसका बतंगड़ बनाया जाए
      आप ने नारी ब्लॉग को वोट के आधार पर दशक का ब्लॉग माना , लेकिन मुझे नहीं बुलाया , मैने तब भी बुरा नहीं माना क्युकी ये सब इतने आयोजन में होता हैं , लेकिन जब आप का ऑनलाइन इनविटे देखा जो आज भी रूप शास्त्री की पोस्ट पर हैं जहां आप ने सब को वरिष्ठ ब्लॉगर कहा और मेरा नाम केवल सुश्री रचना लिखा , जब आप ब्लोगर ही नहीं मानते तो ये दिखावा बंद ही करदे
      वंदना अवस्थी दुबे ने उस पोस्ट पर कमेन्ट कर जब पूछा तो सुधार दिया गया पर कमेन्ट नहीं दिखा ,
      वंदना का ब्लॉग देख ले
      और ये अनजाने में हुई गलती नहीं थी , थी भी तो लापरवाही थी या मन की इच्छा थी
      बाकी आप महान हैं ये मनोज पाण्डेय बता चुके और बाकी सब नक्काल
      इस भाषा पर आप ने क़ोई टिपण्णी नहीं की
      आप ने आई डी दिया अच्छा किया , उन्होने कमेन्ट मिटा दिया और भी अच्छा किया

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  4. हो सकता है आप भी अपनी जगह पर सही हो, कभी-कभी मैसेज स्पेम मे चले जाने से व्यक्ति नहीं देख पाता, इसलिए मैंने ऑनलाइन निमंत्रण भी दिया था। मैं तो प्पूरी तरह आश्वस्त था की आप आएंगी। कोई भी आयोजन हो कुछ न कुछ कमियाँ तो रह ही जाती है ,जिसे व्यक्ति आगे चलकर सुधार लेता है। वेबजह बातों को तुल देने से क्या फायदा ?

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    1. रविन्द्र जी
      किसी भी चीज़ मै ऐसा कुछ होता ही नहीं हैं की मान अपमान की बात की जाए , उसका बतंगड़ बनाया जाए
      आप ने नारी ब्लॉग को वोट के आधार पर दशक का ब्लॉग माना , लेकिन मुझे नहीं बुलाया , मैने तब भी बुरा नहीं माना क्युकी ये सब इतने आयोजन में होता हैं , लेकिन जब आप का ऑनलाइन इनविटे देखा जो आज भी रूप शास्त्री की पोस्ट पर हैं जहां आप ने सब को वरिष्ठ ब्लॉगर कहा और मेरा नाम केवल सुश्री रचना लिखा , जब आप ब्लोगर ही नहीं मानते तो ये दिखावा बंद ही करदे
      वंदना अवस्थी दुबे ने उस पोस्ट पर कमेन्ट कर जब पूछा तो सुधार दिया गया पर कमेन्ट नहीं दिखा ,
      वंदना का ब्लॉग देख ले
      और ये अनजाने में हुई गलती नहीं थी , थी भी तो लापरवाही थी या मन की इच्छा थी
      बाकी आप महान हैं ये मनोज पाण्डेय बता चुके और बाकी सब नक्काल
      इस भाषा पर आप ने क़ोई टिपण्णी नहीं की
      आप ने आई डी दिया अच्छा किया , उन्होने कमेन्ट मिटा दिया और भी अच्छा किया

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  5. नक्कालों से सावधान करने वाले भी नक्काली करें, और तुरंत ही पकड़े जाएँ तो बहुत शर्म की बात है.
    दोहरी शर्म की बात है कि

    अव्वल तो नक्काली क्यों की ?

    दोयम कर ली तो ढंग से क्यों न की ?

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  6. रचना जी,
    एक साथ दशक के सारे ब्लॉगर को ई मेल से आमंत्रण भेजा गया था। आपने तो टिकट बूक कराने की बात भी कही थी । ऐसे मे तो कोई भी आश्वस्त हो जाएगा, कि आप आ रही हैं ।

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    1. रविन्द्र प्रभात
      मुद्दे की बात क्यूँ नहीं होती मैने तो कह ही दिया हैं फिर आगे ये भी बता दिया की जिस प्रकार से आप ने ऑनलाइन निमंत्रण में मुझे ब्लोग्गर ही नहीं माना , आने का क्या औचित्य था
      आप उस पर बता दे , की वंदना अवस्थी दुबे का वो कमेन्ट कहां हैं जिसका जिक्र उनके ब्लॉग पर हैं और फिर सुधार का क्या मतलब था ??

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