वर्धा मे ब्लॉग प्रयोगशाला और सेमिनार का आयोजन संपन्न होगया हैं
बहुत से रिपोर्ट पढ़ ली हैं
एक जानकारी चाहिये
क्या वहाँ हमारा राष्ट्रीय गान / नॅशनल एंथम कार्यक्रम शुरू या संपन्न होने पर गाया गया था किसी भी सत्र मे ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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अन्त तक तो मैं रुका नहीं था… अलबत्ता शुरु में तो दोनों में से एक भी नहीं गाया गया था…
ReplyDeleteवैसे अपना-अपना विचार है लेकिन मेरा मानना है की राष्टगान गाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उसकी भावना की रक्षा की दिशा में सोचना तथा उसके लिए एकत्र होना और वर्धा में हमसब देश और समाज के लिए ब्लोगिंग के सार्थक प्रयोग पर कुछ सार्थक सोचने के लिए पहुंचे थे तो यह भी राष्ट्रगान की भावना के अनुकूल था वैसे राष्ट्रगान गाया जाता तो सोने पे सुहागा और हो जाता ...आगे इस भावना का भी ख्याल रखा जायेगा ...
ReplyDeleteयह तो वही हुआ कि और सब तो ठीक है लेकिन फिर भी, एक बार और देख लो कहीं कोई कमी न रह गई हो, कुछ छूट उट न गया हो.....नहीं तो बाद में मत कहना कि हमने चेताया नहीं :)
ReplyDeleteकहीं आप यह तो नहीं कहना चाहतीं कि - यदि नेशनल एंथम बिना गाये ब्लॉगर लोग लौट गये हैं तो उन्हें वापस वर्धा बुलाया जाय औऱ नेशनल एंथम गवा कर फिर वापस भेजा जाय :)
इतनी अच्छी ब्लॉगर कार्यशाला में सब कुछ सुचारू रूप से निपट गया और लोग बाग खुशी बांट ही रहे हैं कि आप ये नेशनल एंथम वाली बात बटोर लाईं।
लगता है कॉमनवेल्थ का समापन समारोह देख कर ही आप को यह एंथम वाली बात कहने की सूझी है :)
धन्य हो!!
क्या आप रोज़ गाती है राष्ट्रगान ?
ReplyDeleteअगर नहीं तो दूसरों से आशा करना व्यर्थ विवाद खड़ा करना है, वैसे भी राष्ट्रगान गाना एक परंपरा है, और मैंने आपको परम्परा-भंजक के तौर पर पहचाना है. फिर मात्रा विवाद खड़ा करने के लिए, और इसलिए की आपको पसंद नहीं आया !!!!!!!!!
ReplyDeleteamit आप मुझे किस रूप मे पहचानते हैं ये आप कि अपनी नज़र हैं जो लोग परम्परा / आचरण और नैतिकता का ढोल पीटते हैं वो खुद किसी परम्परा को नहीं मानते । कभी समय हो तो सरकारी प्रायोजित कार्यक्रमों मे क्या का होना जरुरी हैं जरुर पढे और सरकारी पैसे हमारा ही हैं इस लिये पूछने का यानी आर टी आयी का अधिकार नयी परमपरा हैं
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