हिंदी ब्लॉग जगत के ज्यादातर ब्लॉगर के पास रीयल लाइफ के रिश्तो कि कमी हैं शायद इस लिये वो यहाँ रिश्ते खोजने चले आते हैं । जबकि ये आभासी दुनिया हैं और यहाँ केवल विचारों का आदान प्रदान होना चाहिये ना कि रिश्ते खोजने चाहिये । हमे मुद्दे के साथ खड़े होना चाहिये ना कि ब्लॉगर के साथ । यहाँ सबसे ज्यादा कमेन्ट उसको मिलते हैं जो तुरंत दूसरे को माँ समान , भाई समान , पिता समान और ना जाने किस किस समान कहते हैं । ब्लोगिंग सोशल नेट्वोर्किंग नहीं हैं पर हिंदी ब्लोगिंग हैं ।
इसके अलावा टिपण्णी पाने कि इच्छा और अपने लिखे पर तारीफ़ पाने कि इच्छा सबको आभासी रिश्तो बनाने केलिये प्रेरित करती हैं ।
लोग कहते हैं ये पुराने ब्लॉगर , ये वरिष्ठ ब्लॉगर ये अति विद्वान् ब्लॉगर , ये सम्मानित ब्लॉगर इत्यादि । जब भी आप किसी को तेग देते हैं तो आप उसको एक मंच पर खडा कर देते हैं और फिर अगर वो आप को जवाब नहीं देता तो उसके नीचे का मंच खीचना चाहते हैं और खीच भी लेते हैं सो किसी को भी महिमा मंडित करना ही अपने आप मे आप कि कमजोरी हैं । सबको सम्मान क्यूँ ना समझा जाये इस आभासी दुनिया ।
क्या ज़रूरी हैं कि आप किसी कि उम्र , लिंग और उसके व्यक्तिगत चीजों से परचित हो । आप को लेख अच्छा लगा आप कमेन्ट कर दे , नहीं लगा तो भी कह दे । मुद्दा हो कोई तो मुद्दे कि बात करे नहीं हैं तो आगे चले जाए ।
आभासी दुनिया मे रिश्ते बनाना ही अपने आप मे सही नहीं हैं । रिश्ते मजबूत करिये अपने घर मे अपने आस पास मे ये दुनिया शब्दों कि हैं , मुद्दों कि हैं , विचारों कि हैं यहाँ क्यूँ माँ , पिता भाई बहना खोजना । क्यूँ अपने को एक छवि मे बंधना ।
ईश्वर ने जिन रिश्तो को आपकी जिंदगी मे दिया हैं पहले उनको पूरा कीजिये क्यूँ अपनी रीयल जिंदगी कि कमियों हो यहाँ पूरा कीजिये
टिपण्णी के लिये नहीं अपनी ख़ुशी के लिये लिखे । जो मुद्दे आप को व्यथित करते हैं उनपर लिखे । हर दिन एक दूसरे के ऊपर लिखकर आप कोई इतहास नहीं दर्ज करा सकते ब्लोगिंग का । ब्लोगिंग का टाइम कैप्सूल बनाना छोड़ दे
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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आपकी बात से पूर्णत: सहमत
ReplyDeleteप्रणाम
सबको सम्मान क्यूँ ना समझा जाये इस आभासी दुनिया ..
ReplyDeletebilkus sahi kaha aapne.
sab apni jahah barabar hain... n jane kyun bahut se logon ko yah khushfahmi ho jaati hai ki we bade hai.....
aapki baat se bilkul sahmat hun ki sabse pahle apne ghar mein rishten majboot banane chahiye phir samaj aur phir desh duniya mein...
आपके विचारों से एकदम सहमत हूँ. अपनी बात कह कर स्वतंत्र रहना अच्छा है. यह इन्वॉल्व होने की जगह नहीं है.
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