सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
December 30, 2010
४०० करोड़ बीस खाते एक मैनेजर !!!!
December 29, 2010
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शुभकामना हैं अगले वर्ष आप सपत्निक मिले किसी ब्लॉग मीट मे ।
किसी का एक आंसू,बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष अपना मन संतुष्ट मान लेंगे ..।
बस अगर ऐसा कर सके तो ब्लॉग पर ना दे पोस्ट बना कर क्युकी इश्वर हमारे उन्ही अच्छे कार्यो का लेखा जोखा रखता हैं जिन का हम प्रचार नहीं करते , पढ़ा था ये कहीं सो बाँट रही हूँ
नया साल आप को और आप के अपनों को शुभ हो
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आभासी दुनिया मे अपनत्व खोजने से बेहतर हैं जो अपने हैं उनसे अपने संबंधो को सुधरा जाए ताकि आभासी दुनिया मे रिश्तो को नहीं शब्दों और मुद्दों को जिया जाए
मो सम कौन कुटिल खल .... ?
आप ने सही कहा हैं माथा देख कर तिलक करने की परिपाटी ने काफी मुश्किल किया हैं । मुद्दे के साथ खड़े हो ब्लोगर के साथ नहीं तो बात बनती हैं । लेकिन यहाँ ये नहीं हैं ।
हम आभासी दुनिया मे क्यूँ आये ताकि मन की कह सके और निश्चिंतता से आगे बढ़ सके । अपने सामाजिक सरोकारों से ही कहना होता तो बाहर के समाज मे कम लोग हैं क्या ?/ रिश्तो का निर्मम प्रदर्शन यहाँ लोगो को रिश्तो मे तो बाँध नहीं रहा हां एक दूसरे के प्रति निर्मम जरुर कर रहा हैं ।
हम यहाँ एक दूसरे को टिपण्णी प्रति टिपण्णी से खेमो मे बांधते हैं । जब की इन्टरनेट की सुविधा से हम देश की सीमाए लाँघ रहे हैं फिर रिश्तो मे आभासी दुनिया मे बंधने से क्या हासिल होगा । बस इतना ही की आज एक दुसरो को पेडस्टल पर खडा करके और कल डोर मेट की तरह उस पर पैर पोछ कर निकल जाए ।
आभासी दुनिया मे अपनत्व खोजने से बेहतर हैं जो अपने हैं उनसे अपने संबंधो को सुधरा जाए ताकि आभासी दुनिया मे रिश्तो को नहीं शब्दों और मुद्दों को जिया जाए
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December 28, 2010
बिना संकलक के हिंदी ब्लॉग पढना बहुत आसान हैं
अपने अपने ब्लॉग के फोलोवर के फोटो को क्लिक करिये और उस पर दिये हुए ब्लॉग पर जा कर उनको पढिये । इतने ब्लॉग मिल जायेगे की आप पढ़ नहीं पायेगे
हर फोलोवर के नाम के अपने ब्लॉग के साथ साथ उन ब्लॉग का नाम भी होता हैं जिसको वो फोलो कर रहे हैं
सो संकलक की सुविधा के इतर ब्लॉग पढिये और जब अपने फोलोवर के पढ़ चुके तो दुसरो के फोलोवर के पढिये
क्या आईडिया हैं सर जी
December 22, 2010
टीप कुछ लम्बी होगयी पर कहना जरुरी हैं सो आगे
जब मैने ये कहा की @ क्युकी आप की नज़र मे महिला को आवाज उठानी ही नहीं चाहिये उसके खिलाफ जो जो चाहे लिखे ।तो मेरा तात्पर्य था आप की उस पोस्ट से जो एक प्रकरण से जुड़ी थी और आप ने शायद अनूप के कहने से मिटा दी । उस प्रकरण से जुड़े तीन पोस्ट मिटा दिये गये और बात ख़तम होगई लेकिन विषाक्त मन मै हैं और रहेगी तो पोस्ट भी रहने देते । और अगर आप को या किसी को भी पूरी पोस्ट मिटने का अधिकार गूगल ने दिया हैं हैं तो रविन्द्र को टीप मिटा कर आगे बढ़ना का अधिकार क्यूँ नहीं हैं ??? {मै रविंद्रे की आलोचक हूँ पर कोई अपने ब्लॉग पर क्या करे ये उसका अधिकार मानती हूँ ।}
एक प्रकरण से जुड़े लोग एक दूसरे पर लिख रहे हैं उसमे एक महिला हैं तो महिला कि तरफ हूँ ये आप का आक्षेप सही नहीं हैं ये आप कि सोच का धोखा हैं हां मै ये जरुर मानती हूँ कि अगर आप गाली दे कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं क्युकी आप पुरुष हैं तो ये अपराध नहीं हैं तो एक महिला को भी वही अधिकार हैं ।
"क्या यह नहीं देखा जाना चाहिए उस पुरुष के अन्य उदाहरण हैं ऐसे अन्य महिलाओं के प्रति ?
मै ऊपर कह चुकी हूँ कि मै किसी के भी संबंधो का आकलन करने ब्लॉग मै नहीं आयी हूँ जो लिखा जाता हैं पढ़ लेती हूँ । ब्लॉग को मै सोशल नेट्वोर्किंग के लिये नहीं मानती हूँ और ना ही आप को मै किसी सोशल नेट्वोर्किंग साईट पर मिलूंगी
क्या यह प्रकरण 'जेनुइन' के समर्थन की मांग नहीं करता , स्त्री या पुरुष की वर्ग-दृष्टि से अलग निरपेक्ष होकर ..क्योंकि -
महज किसी स्त्री का समर्थन करना स्त्रीवाद का समर्थन करना नहीं है !
मेरी सोच मै नारीवाद का एक ही मतलब हैं समानता हर चीज़ मै । उस से ऊपर कुछ नहीं हां अगर चौराहे पर खड़े होकर किसी स्त्री के कपड़े नोचे जाए तो मै एक स्त्री होने के नाते सबसे पहले उसके साथ खड़ी होयुंगी क्युकी आज भी समाज स्त्री को ही डराता हैं और नंगा करता हैं । पुरुष को जिस दिन नंगे होने का भय होने लगेगा उस दिन प्रिय अमेरंद्र समानता आ जायेगी ।
टीप कुछ लम्बी होगयी पर कहना जरुरी हैं सो आगे
आप ने जितने भी लिंक दिये हैं उनकी याद हैं मुझ सो चलिये शुक्रिया कहना बनता हैं सो कह रही हूँ । आग्रह करती हूँ कि अपना साथ देते रहियेगा । और अंत मे कभी कभी हम गलत नहीं होते पर हम सही भी नहीं होते हैं । आपआकलन कीजिये
December 14, 2010
ब्लॉग जगत में निर्मल हास्य या तो है ही नहीं या लोगों को हँसना नहीं आता
# हमारा समाज ‘एन्टी ह्यूमर’ है। हम मजाक की बात पर चिढ़ जाते हैं। व्यंग्य -विनोद और आलोचना सहन नहीं कर पाते।
# हिंदी में हल्का साहित्य बहुत कम है। हल्के-फ़ुल्के ,मजाकिया साहित्य, को लोग हल्के में लेते हैं। सब लोग पाण्डित्य झाड़ना चाहते हैं।
# गांवों में जो हंसी-मजाक है , गाली-गलौज उसका प्रधान तत्व है। वहां बाप अपनी बिटिया के सामने मां-बहन की गालियां देता रहता है। लेखन में यह सब स्वतंत्रतायें नहीं होतीं। इसलिये गांव-समाज हंसी-मजाक प्रधान होते हुये भी हमारे साहित्य में ह्यूमर की कमी है"
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ये किसने कह दिया कि हिंदी ब्लॉग पर "साहित्यकारों वो भी हिंदी के " का अधिकार हैं . हिंदी मे ब्लॉग लिखने वाले अहिन्दी भाषी भी हैं और जिनके लिये हिंदी साहित्य कि नहीं मात्र बोल चाल कि भाषा हैं . टंकण कि सुविधा मिल गयी , सो हिंदी मे लिख दिया . गीत , ग़ज़ल , कहानी और भी ना जाने क्या क्या लिखा जा सकता हैं क्युकी ये ब्लॉग माध्यम का उपयोग मात्र हैं . वैसे ब्लॉग केवल और केवल एक डायरी ही है जिस मे समसामयिक बाते जयादा होती हैं .
निर्मल हास्य कि परिभाषा स्थान से स्थान पर बदलती हैं . जिनकी परवरिश गाव और देहातो मे नहीं हुई हैं वो गोबर से होली खेलने को "गंदगी "कहते हैं जबकि गाव मे और कुछ ना मिले तो गोबर ही सही .
कुछ लोग ब्लॉग पर मुद्दे पर लिखते हैं तो कुछ लोग सर्जनात्मक । मुदे पर बहस हो सकती हैं लेकिन किसी कि सर्जनात्मकता पर नहीं . हां देखना ये हैं कि एक दूसरे के ऊपर तारीफ़ कि पोस्ट लगा लगा कर निर्मल हास्य को कब तक मुद्दा बना कर कौन कितना लिख सकता हैं . निर्मल हास्य का फ़ॉर्मूला या कहले कल्ट से जल्दी ही ऊब जायेगे लोग
चिटठा चर्चा पर कमेन्ट
December 11, 2010
हम जिस परिवेश मे रहते हैं वहाँ अपने "नाम" से जाने जाते हैं ।
काफी इग्नोर कर लिया हैं जब आप लोग समाज के लिये इतना कदम उठाने का सहास रखते हैं तो मै भी एक पहल कर लम्बी लड़ाई कि तयारी क्यों ना करू
खुशदीप जी कि पोस्ट पर मेरा कमेन्ट
December 09, 2010
ईमेल पर उत्तराधिकार संबंधी जानकारी
कुछ दिन पहले ये पढ़ा था सोचा बाँट लूँ । अब ईमेल / ब्लॉग इत्यादि केपास्वोर्ड / संचालन पर उत्तराधिकार संभव हैं । किसी की मृत्यु होने पर किस प्रकार से उसके उत्तराधिकारी उसके अकाउंट पर जा सकते हैं ये इस पोस्ट मे बताया हैं । आज का सन्दर्भ गूगल तक सिमित हैं ।
आगे यहाँ
ईमेल पर उत्तराधिकार संबंधी जानकारी
कुछ दिन पहले ये पढ़ा था सोचा बाँट लूँ । अब ईमेल / ब्लॉग इत्यादि केपास्वोर्ड / संचालन पर उत्तराधिकार संभव हैं । किसी की मृत्यु होने पर किस प्रकार से उसके उत्तराधिकारी उसके अकाउंट पर जा सकते हैं ये इस पोस्ट मे बताया हैं । आज का सन्दर्भ गूगल तक सिमित हैं ।
Accessing a deceased person's mail
If an individual has passed away and you need access to the content of his or her mail, please fax or mail us the following information:
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December 07, 2010
नए शक्तिशाली शक्ति पुंज आ चुके हैं और उम्मीद है वे ऐसे नहीं होंगे !
ओह लगता हैं वरिष्ठ , सम्मानित इत्यादि से मोह भंग होगया । और ये मान भी लिया कि यहाँ शक्ति पुंज थे !!!! शक्ति पुंज यानी ???? "muscle power ? .
"नए शक्तिशाली शक्ति पूंज " उफ़ ये कौन कौन हैं क्युकी पहली बार आप के ब्लॉग पर पढ़ रही हूँ और आप सबसे ज्यादा ब्लॉग मीटिंग मे गए हैं सो नामो का खुलासा कर ही दे । अब डरना पड़ेगा ना उनसे । पहले वरिष्ठो और सम्मानित के ऊपर पोस्ट लिख लिख कर डराते रहे अपने सरोकारों से अब नए शक्तिशाली शक्ति पुंजो से डरा रहे हैं । ब्लॉग लिखना बंद करदे या अपने लिये muscle power का जुगाड़ करले ।
नाम बता देते तो आगाह करना हो जाता ।
December 05, 2010
चिटठा जगत का सक्रियता क्रम नहीं डोल रहा हैं , लीजिये कैसे डोल सकता हैं एक उपाय
जब चिटठा जगत बना था उस समय जो सक्रिय ब्लॉग थे वो अगर आज एक महीने बाद भी अपने ब्लॉग पर पोस्ट देते हैं तो अपने ओरीजिनल संख्या पर वापस आ जाते हैं क्युकी उनके ब्लॉग का उल्लेख बहुत ब्लॉग मे हुआ हैं ।
सक्रियता केवल लिखना नहीं हैं आप को कितना पढ़ा जाता हैं और कितने लोगो ने आप का ब्लॉग पुस्तक चिन्ह किया हैं इस पर भी निर्भर हैं
इस पोस्ट पर मुझ कमेन्ट नहीं चाहिये आप ने पढ़ लिया शुक्रिया
वो कहते हैं ना " जे न मित्र दुःख होई दुखारी " सो अपने अपने मित्र ब्लॉगर को जोडीये और उनके दुःख को समझिये सक्रियता क्रम मे उनका नाम ऊपर आये इस लिये उनके ब्लॉग का जिक्र करिये ।
लिंकिंग कीजिये खुश रहिये जो चर्चा करते हैं अलग अलग ब्लॉग पर उनसे कहिये आप के ब्लॉग का लिंक भी दे । फिर देखिये ये सक्रियता क्रम कैसे डोलता हैं
December 04, 2010
जो लोग चिटठा जगत पर अपनी पोस्ट क्रम "धड़ाधड़ टिप्पणियां" मे ऊपर देखना चाहते हैं उनके लिये आसान और सरल उपाय
जो लोग चिटठा जगत पर अपनी पोस्ट क्रम "धड़ाधड़ टिप्पणियां" मे ऊपर देखना चाहते हैं उनके लिये आसान और सरल उपाय
पोस्ट पुब्लिश करे
चिटठा जगत पर जब दिखने लगे तो अपने नाम से कम से कम १५ कमेन्ट कर दे
फिर ५ मिनट रुके और सारे कमेन्ट "स्पाम" के फोल्डर मे डाल दे
यानी कमेन्ट डिलीट भी नहीं हुआ और दिखा भी नहीं और आप कि पोस्ट "धड़ाधड़ टिप्पणियां" मे १५ कमेन्ट दिखा देगी
कर के देखिये और बताइये नहीं यहाँ नहीं क्युकी हमको इस पोस्ट पर कमेन्ट कि चाह नहीं हैं हमने तो मात्र ब्लॉगर सेवा हित ये बात कही हैं
December 02, 2010
पिद्दी न पिद्दी का शोरबा
कल मुंबई में अभिजात सावंत कि पिटाई कर दी जनता ने कारण एक एक्सिडेंट मे उनकी दोस्त प्राजक्ता शुक्रे कि गाडी ने दो लोगो को घायल किया । सावंत और शुक्रे रेस लगा रहे थे ।
अभिजीत सावंत ने बीच बचाव करते हुए कहा " मेरे बहुत कोंटेक्ट हैं "
कल तक जो अभिजात सावंत ती वी पर वोते के लिये याचन कर रहे थे आज उनके भी "कोंटेक्ट" बन गए हैं वाह
इसे ही कहते हैं पिद्दी न पिद्दी का शोरबा
December 01, 2010
दम लगा के हईशा हिंदी ब्लोगिंग को ऊपर उठाना हैं
हिंदी ब्लोगिंग को ऊपर उठाना हैं , सन २०१० मे ये नारा हिंदी ब्लॉग मे तकरीबन किसी ना किसी ब्लॉग पर हर दिन किसी एक पोस्ट मे जरुर दिख ही गया ।
बहुत बार पढ़ा सोचा आज पूछ ही लूँ ऊपर उठाने से तात्पर्य क्या हैं ?? साल ख़तम होने को हैं
एक साधारण प्रश्न हैं , ना इसमे कोई व्यंग हैं ना तंज महज एक जिज्ञासा
कि
हिंदी ब्लोगिंग को ऊपर उठाना हैं का टार्गेट क्या हैं ???
सो निवेदन हैं कि कमेन्ट मे कुछ सार्थक रौशनी दी जाए इस विषय मे
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