मो सम कौन कुटिल खल .... ?
आप ने सही कहा हैं माथा देख कर तिलक करने की परिपाटी ने काफी मुश्किल किया हैं । मुद्दे के साथ खड़े हो ब्लोगर के साथ नहीं तो बात बनती हैं । लेकिन यहाँ ये नहीं हैं ।
हम आभासी दुनिया मे क्यूँ आये ताकि मन की कह सके और निश्चिंतता से आगे बढ़ सके । अपने सामाजिक सरोकारों से ही कहना होता तो बाहर के समाज मे कम लोग हैं क्या ?/ रिश्तो का निर्मम प्रदर्शन यहाँ लोगो को रिश्तो मे तो बाँध नहीं रहा हां एक दूसरे के प्रति निर्मम जरुर कर रहा हैं ।
हम यहाँ एक दूसरे को टिपण्णी प्रति टिपण्णी से खेमो मे बांधते हैं । जब की इन्टरनेट की सुविधा से हम देश की सीमाए लाँघ रहे हैं फिर रिश्तो मे आभासी दुनिया मे बंधने से क्या हासिल होगा । बस इतना ही की आज एक दुसरो को पेडस्टल पर खडा करके और कल डोर मेट की तरह उस पर पैर पोछ कर निकल जाए ।
आभासी दुनिया मे अपनत्व खोजने से बेहतर हैं जो अपने हैं उनसे अपने संबंधो को सुधरा जाए ताकि आभासी दुनिया मे रिश्तो को नहीं शब्दों और मुद्दों को जिया जाए
मेरा कमेन्ट यहाँ
हास्य और निर्मल हास्य पर इतना कुछ होता रहता है कि कई बार रोने का मन करता है:)
ReplyDeleteमुझे तो आपकी इसके बाद वाली पोस्ट "थैंक गोड इस पूरे वर्ष मे आप ने मेरे ऊपर कोई पोस्ट नहीं लिखी अपने ब्लॉग पर सो मूर्ख और कालिदास के ....." विशुद्ध हास्य ही लगा। पता नहीं, मैं सही हूँ या नहीं? कमेंट उस पोस्ट पर न करके इस पोस्ट पर कर रहा हूँ, ये आपको धन्यवाद देने का तरीका है कि मेरे ब्लॉग पर डिलीटेड कमेंट वाले प्रकरण में मुझे गलत नहीं समझा गया। मैंने जब तक आकर देखा, तो कमेंट डिलीट हो चुका था।
जानता हूँ कि कमेंट मिलने से या न मिलने से आपको फ़र्क नहीं पड़ता, आपने जो करना है करेंगे ही, फ़िर भी मुझे उनका धन्यवाद करना सही लगता है जिन्होंने मेरे लिखे पर समय दिया।
थैंक्स।
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ReplyDeleteबढ़िया बात।
ReplyDelete"थैंक गोड इस पूरे वर्ष मे आप ने मेरे ऊपर कोई पोस्ट नहीं लिखी अपने ब्लॉग पर सो मूर्ख और कालिदास के ....." विशुद्ध हास्य ही लगा।
ReplyDeleteहास्य ही था पर जिनके ब्लॉग पर कमेन्ट किया उनको इस मे हास्य नहीं नकारात्मकता लगी । हास्य की यही विडंबना हैं की अगर उसका जवाब ब्लैक ह्यूमर से दिया जाए तो लोग बिदक जाते हैं । आप का शुक्रिया