इस पोस्ट का महत्व इसलिये हैं क्युकी सोचने की जरुरत हैं . जो जानकारी हैं उसको बांटने का मन हैं
जो लोग ये कह रहे हैं की भारत में डिग्री खरीदी जाती हैं गलत नहीं हैं पर क्या वो जानते हैं की ये चलन विदेशो में यहाँ से ज्यादा हैं . आप नेट पर जाकर गूगल करिये गेट डिग्री तो आप को हजारो ऐसी उनिवार्सिटी दिखेगी जो अमेरिका और ब्रिटेन के छोटे शहरो में बसी हैं और दूर शिक्षा के माध्यम से आप को किसी भी डिग्री को उपलब्ध करा देगी बस पैसा होना चाहिये .
इसके अलावा बहुत सी प्राइवेट बेहतर शिक्षा का "भरोसा " दे कर भारत से लोगो को लुभा कर वहाँ बुलाती हैं और बाद में वहाँ पहुचने पर पता चलता हैं की वहाँ पढायी की क़ोई व्यवस्था नहीं हैं हा डिग्री मिलती हैं .
जो डॉक्टर की पढाई यहाँ कम में होती हैं वही वहाँ ३ गुना ज्यादा फीस में होती हैं क्युकी उसके बाद लोगो को लगता हैं वहाँ सैलिरी भी ३ गुना मिलेगी .
पिछले एक साल में ना जाने कितनी फेक उनिवार्सिटी का पर्दाफाश हुआ हैं ज़रा गूगल कर के देखे .
फरक इतना हैं की अभी भी आम भारतीये को विदेशी दंद फंद का पता नहीं हैं वो केवल अपने , अपने लोगो बेईमान समझता हैं .
असली फरक हैं न्याय व्यवस्था का , वहाँ के कानून सख्त हैं पर केवल वहाँ के नागरिक इस का फायदा उठा सकते हैं भारतीये नागरिक है ही दोयम दर्जे के दूसरी जगह .
अब बात कर ते है की जो डॉक्टर हैं वो अगर आ ई अस बन जाते हैं तो किसी और का नुक्सान हो जाता हैं और वो अपनी शिक्षा और डिग्री का फायदा नहीं लेते हैं
इस से ज्यादा भ्रमित करने वाली बात हो ही नहीं सकती हैं
आ ई अस में आने के बाद आप जिस विषय में पारंगत है आप को उस विषय से सम्बंधित विभाग के मंत्री के नीचे काम करना होता हैं . स्वस्थ्य मंत्रालय में काम देखने के लिये डॉक्टर से बेहतर कौन हो सकता हैं ??? और क्युकी हमारे यहाँ मंत्रियों के लिये क़ोई डिग्री का प्रावधान नहीं हैं इस लिये उनके नीचे काम करने वाले डिग्री होल्डर हो तो कुछ तो व्यवस्था ठीक होगी .
जिसके पास कानून की डिग्री नहीं होगी उसको तो किसी अदालत में अपनी बात कहने का भी अधिकार नहीं हैं चाहे वो कानून की शिक्षा में कितना भी पारंगत क्यूँ ना हो .
शिखा जी आप जिस शिक्षा की बात कर रही हैं वो शायद किताबी शिक्षा नहीं हैं केवल जीने की और आत्म सम्मान से जीने की शिक्षा हैं , नैतिकता की शिक्षा जो सही हैं किताबी ज्ञान से डिग्री से ये नहीं आता हैं लेकिन { मजाक में ले } मोरल साइंस की भी डिग्री दी जाती हैं जो पादरी , नन , पंडित इत्यादि लेते हैं .
नैतिकता , जीवन का संघर्ष और ईमानदारी व्यक्तिगत होते हैं और इसको माँ पिता भी एक लिमिट तक ही अपने बच्चो में स्थापित कर सकते हैं बाद में survival of the fittest and self will power and needs , ही काम आते हैं .
आज अन्ना की टीम में जितने लोग हैं सबके पास डिग्री हैं तभी वो व्यवस्था से डंके की चोट पर लडते हैं , एक अईअस हैं दूसरा आईपीअस ,तीसरा वकील
अन्ना के पास जितनी शिक्षा हैं वो इन तीनो के पास नहीं हैं पर इन तीनो की डिग्री के बिना अन्ना की लड़ाई भी संभव नहीं हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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अच्छे विचार हैं।
ReplyDeleteसहमत हूं
सही कहा।
ReplyDeleteसहमत।
हूँ ...आपने इस टिप्पणी में एक दूसरा पहलू दिखाया है.इस तरीके से भी सोचा जाना चाहिए.
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