हिंदी ब्लोगिंग की पहचान अब तक केवल और केवल हिंदी साहित्य की शाखा के रूप में हो पाई हैं । हर मीटिंग , मेल जोल ब्लॉगर मिलन , खान पान , दोस्ती , भाईचारा , बहनापे और कविता पाठ , किताब विमोचन गीत ग़ज़ल और पीना पिलाना तक ही सिमित हुआ हैं ।
वो ब्लॉगर भी जो मुद्दों से जुड़ कर ब्लॉग पर लिखते इन मीटिंग में केवल और केवल मनोरंजन की चाह और मेल जोल के लिये ही जाते हैं
ना जाने कितने ब्लॉग पर पिछले एक महीने या दो महीने में ब्लोगिंग , टिपण्णी , पाठक , कंटेंट , और भी ना जाने कितने विषयों पर पोस्ट आयी हैं पर साल के अंत में बात वही की वही हैं
सक्रियता से वही मिल जुल रहे हैं जो साहित्यकार बनना चाहते हैं , कवि कहलाना चाहते हैं ।
सिमित दायरा हो गया हैं हिंदी ब्लोगिंग का या सिमट गयी हैं हिंदी ब्लोगिंग
पता नहीं पर ब्लोगिंग का जो स्वरुप हैं या जिस स्वरुप की कल्पना कर के या जिस स्वरुप की खोज में हिंदी ब्लॉग लिखना शुरू किया था वो स्वरुप कही नहीं हैं
सभी को आने वाले वर्ष की बधाई
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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जो ब्लॉगर मुद्दों से जुड़ कर ब्लॉग पर लिखते हैं , वो भी इन मीटिंग में केवल और केवल मनोरंजन की चाह और मेल जोल के लिये ही जाते हैं .
ReplyDeleteहिंदी ब्लोगिंग की पहचान अब तक केवल और केवल हिंदी साहित्य की शाखा के रूप में हो पाई हैं । हर ब्लॉगर मिलन, मीटिंग , मेल जोल , खान पान , दोस्ती , भाईचारा , बहनापे और गीत ग़ज़ल, कविता पाठ , किताब विमोचन और पीने पिलाने तक ही सिमित हुआ हैं ।
ये भी एक अंदाज है ब्लॉगिंग का अपने-आप को विकसित करने का। समय के साथ और बदलाव भी आयेंगे शायद! :)
ReplyDeleteमेल जोल में तो कोई बुराई भी नहीं ।
ReplyDeleteलेकिन मुफ्त में अपना टाइम खोटी कोई कब तक कर सकता है !
ऐसा ज्यादातर ब्लोगर्स को लगने लगता है जो ब्लोगिंग छोड़ रहे हैं ।
आप लगता है, कि सिर्फ़ चुनिन्दा Blogs पर ही जाती हैं, ’Blogजगत’ वृह्द है, सब हैं यहाँ वो भी और हम सब भी!
ReplyDeleteनया साल सब को मुबारक!
हर मीटिंग , मेल जोल ब्लॉगर मिलन , खान पान , दोस्ती , भाईचारा , बहनापे और कविता पाठ , किताब विमोचन गीत ग़ज़ल और पीना पिलाना तक ही सिमित हुआ हैं ।
ReplyDeleteवो ब्लॉगर भी जो मुद्दों से जुड़ कर ब्लॉग पर लिखते इन मीटिंग में केवल और केवल मनोरंजन की चाह और मेल जोल के लिये ही जाते हैं
ये आपका आकलन और अंदाज़ा है , वैसे भी इस तरह के मिलन , बैठकी को जबरन ही गंभीरता का जामा पहनाना भी उचित नहीं है । ब्लॉगिंग जहां गंभीर होना चाहिए वहां है , शेष तो सफ़र ज़ारी है ।
हर एक अपने उद्देश्यों के हिसाब से उसके लिए पूरी तन्मयता से लगा है .......इसका रूप आगे क्या होगा शायद समझ आये ?
ReplyDeleteवैसे ब्लॉग विधा को बाधना भी कोई चाहे तो बाँध लेगा क्या ???
मिलना , बतियाना ,खाना- पीना , किताबों का विमोचन ये भी ब्लॉगिंग का एक हिस्सा जरुर हो सकता है , मगर मैं भी इन रिपोर्ट्स में यह जानने को उत्सुक रहती हूँ कि आखिर वहां ब्लॉगिंग या ब्लॉगर्स द्वारा उठाये गये सामाजिक या अन्य मुद्दों पर पर क्या विमर्श हुआ , मेलजोल बढ़ाने के साथ देश, दुनिया ,साहित्य ,समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर भी विमर्श हो तो इन मीटिंग्स की सार्थकता बढ़ जाती है !
ReplyDeleteyeh sab bhee jaruri hai...
ReplyDeleteaaj kal logo ke paas apno se milane ka time hota nahi hai...
jai baba banaras.....
राम राम जी.....
ReplyDeleteशायद ऐसा नहीं है,क्योकि अभी जी ब्लॉगर सम्मलेन सांपला में हुआ था वहा शायद ऐसा नहीं था!जितने भी सुधिजन वहा उपस्थित थे सभी हिंदी भाषा और हिंदी ब्लॉग्गिंग को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रहे थे!
कुछ तो साधारण से ऊपर के कुछ प्रयास भी करते नजर आये इंटरनेट पर हिंदी भाषा को और अधिक सशक्त भाषा के रूप में प्रस्तुत करने के लिए!
हाँ;मेल-जोल तो होता ही है....और हो जाए तो संभवतः उस से कसी विशेष को कुछ हानि होती भी नहीं होगी!
कुँवर जी!
मेल जोल और संवाद से काफी दिक्कतों का समाधान निकल आता है......
ReplyDeleteनए साल की शुभकामनाएं.....
आप ब्लॉग जगत में क्यों आए अखबारी दुनिया को छोडके .रेडियो से विमुख होके ,विमर्श इन तमाम ,दीगर विषयों पर भी होना चाहिए .पीना पिलाना तो एक रवायत है रिवाज़ है चाहे कोफी हाउस हो या कहवा घर .विमर्श के लिए चुस्की तो चाहिए ही .
ReplyDeleteमिलने जुलने पर ही कोई लिखता है -मेरे घर उनका आना जाना था ,क्या मोहब्बत थी ,क्या ज़माना था .