माँ - पिता की एक अपनी व्यक्तिगत लाइब्ररी हैं जिस मै हिंदी की कुछ पांडुलिपियाँ और पुस्तके हैं जो अब नहीं मिलेगी । माँ अब ये सब पुस्तके किसी अच्छी संस्था को सौपना चाहती हैं जहां ये हिंदी के छात्रो के काम आ सके । अगर किसी के पास ऐसी किसी भी संस्था अथवा लाइब्ररी का पता हो तो निवेदन हैं मुझ से संपर्क कर ले ।
ये व्यक्तिगत लाइब्ररी इस समय गाजियाबाद में हैं और पुस्तके वही से आकर ली जासकती हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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अच्छी पहल।
ReplyDeleteशुभकामनाएं.....
मेरे विचार से विश्व विद्यालयों से संपर्क साधना पड़ेगा। मेल से शायद जवाब आये। कभी-कभी अकादमी अभियान चलाकर ऐसा संग्रह करती हैं। सरकारी कार्य किसी निर्धारित योजना के अनुरूप ही होते हैं। अब वे लेने आयेंगी, इस पर संदेह है।
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