कल की पोस्ट से बात आगे बढाते हुए
जी हाँ अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं , यूनिवर्सिटी के अध्यापक हैं या किसी भी ऐसी संस्था मे काम करते हैं जहाँ आप को नौकरी देते समय "appointment letter " दिया गया हैं तो आप उस पत्र की सभी शर्तो को मानने के लिये बाध्य हैं ।
प्राइवेट नौकरी मे बहुधा थ्रू प्रोपर चैनल की बात नहीं होती हैं पर सरकारी और सरकारी कानूनों के आधीन सभी संस्थानों मे ये रुल हैं की आप कोई भी कार्य करने से पहले अपने बॉस या सुपीरियर से लिख कर आज्ञा लेगे ।
और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप पर कार्यवाही की जा सकती हैं ।
इस पोस्ट से पहले की दो पोस्ट जरुर पढे ताकि सन्दर्भ पता हो
दिल्ली विश्विद्यालय मे भी ये कानून हैं और वहा तो आप अगर ट्यूशन भी करते हैं तो गैर कानूनी हैं अगर उस ट्यूशन के लिये आप कोई फीस लेते हैं ।
जो लोग ऑफिस के समय मे ब्लोगिंग कर रहे हैं और जिनके ब्लॉग पर adsense हैं अगर आप ध्यान से उनके ब्लॉग देखेगे तो सब मे पोस्टिंग का टाइम रात का ही सेट किया हुआ मिलेगा !!!!!! और बहुत से ऐसे भी हैं जो पोस्ट पब्लिश का समय दिखाते ही नहीं है
पर क्युकी बहुत से ब्लॉग अग्रीगाटर पर हैं तो सही टाइम वहां से मिलता हैं । इस लिये जरुरी हैं की स्नेप शोट अग्रीगाटर से लिया जाये न की ब्लॉग का ।
ये कहना बिल्कुल निराधार होगा की हमने पोस्ट schedule कर रखी थी क्युई आप ब्लॉग्गिंग ऑफिस से इतर भी कर सकते हैं लेकिन कोई भी विज्ञापन आप के ब्लॉग पर नहीं होना चाहिये ।
पैसा कैसे इंसान की नियत बदल सकता हैं हिन्दी ब्लॉग जगत के ब्लॉग ये बताते हैं । ५०% से ज्यादा हिन्दी ब्लॉगर सरकारी संस्थानों मे आज भी ऊँचे पदों पर हैं पर लालच हैं एक्स्ट्रा इन्काम का , हिन्दी के अलावा उनके इंग्लिश के ब्लॉग भी हैं । लेकिन वो दिन दूर नहीं हैं जब ये लालच महंगा पड़ जायेगा ।
आज इतने न्यूज़ चैनेल हैं , मीडिया कहानियों को / बेईमानियों को उजागर कर रहा हैं न जाने कब ख़बर आजाए फला फला संसथान मे सरकारी पैसे का दुरूपयोग हो रहा हैं और सरकारी अफसर / बाबू ब्लॉग लिख कर विज्ञापन लगा रहे हैं और पैसा कमा रहे हैं ।
पैसा मिले ना मिले इस विज्ञापन से / ब्लोगिंग से हाँ नौकरी की सीआर जरुर बिगड़ सकती हैं । या नहीं ???
नियम और कानून मानने के लिये ही बने होते हैं
और हाँ अगर ध्यान से समझे तो आप ये जान सकेगे की ऑफिस के समय मे अगर आप कहीं भी कोई भी पोस्ट पढ़ कर उस पर कमेन्ट करते हैं तो वो कमेन्ट भी "as proof " आप के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
October 19, 2009
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अभी सूत न कपास...
ReplyDeleteऔर जुलाहों में हो रही लठ्ठमलठ्ठा...
जय हिंद...
फ्रीफंड में डरा रहे हो यार, आप इन सरकारी कर्मचारियों को ! ऐसे में तो टिप्पणिया आनी ही बंद हो जायेंगी ! इस और तो आपका ध्यान गया लेकिन आपने एक और ध्यान नहीं दिया ! दिन में ब्लॉग्गिंग सिर्फ वही सरकारी कर्मचारी करेगा जो सूखी कुर्सी पर बैठा हो ! अन्यथा यदि कुरसे हरी भरी या गीली होगी तो उसे ब्लॉग्गिंग का वक्त ही कहाँ, और उसके मुकाबले ब्लॉग्गिंग में क्या मिलता है ? वह तो बस ninty nine-nitynine ही करता रहेगा !
ReplyDeleteआधे से ज्या्दा ब्लाग बंद, 60% टिप्पणी, तिपनी हो जायेंगी। फ़िर वही उजड़ा चमन, फ़िर वही मिलेगे।
ReplyDeleteएक पुरानी कहावत है
धीरे-धीरे चले गये, देवन के सब देव्।
लोहे की रह गयी कालका, माटी के महादेव
जय हो महाराज
ऐसे ही अंधेरे में चलने देते तो आपका क्या बिगड़ जाता? बधाई हो बढिया जानकारी।
पैसे की कमी सबको हैं लेकिन क्या इसके लिये सर्विस कर रहे लोग अपनी कंपनी के नियम कानून से बाहर जा सकते हैं । नैतिकता हमेशा एक "सामाजिक " प्रश्न क्यूँ होता हैं । और यहाँ तो लोग एक विदेशी कंपनी गूगल से आस लगा कर बैठे हैं । सब ने अपना पता भी बिलिंग एड्रेस मे दिया हैं । जबकि विदेश या किसी भी विदेशी कंपनी से पैसा लेने से पहले अपनी कम्पनी जहाँ आप नौकरी कर रहे हैं सूचित करना जरुरी हैं
ReplyDeleteबात तो पते की कही है आपने। ...तो खतरा बस उनको है जिन्होंने कोई एड वगैरह लगा रखा है अपने ब्लौग पर?
ReplyDeleteअरे खामखाँ डरा रहे हो यार। कितने ही सरकारी कर्मचारी हैं जिनकी आमदनी के नौकरी के सिवा और भी बहुत से साधन हैं पर बेखौफ नौकरी कर रहे हैं। ये हिन्दुस्तान है भाई, फँस जाने पर निकलने के सैकड़ों रास्ते निकल जाते हैं। हिन्दी ब्लोग्स से आमदनी की शुरुवात तो होने दो फिर देखा जायेगा। करना ही है तो हिन्दी ब्लोग्स को लोकप्रिय बनाने, पाठक संख्या जुटाने आदि कि कुछ बात करो।
ReplyDeleteक्या Hindi और Hindi ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के लिये सारे रुल तोड़ दिये जाये ।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढकर कईंयों ने तो बच निकलने के रास्ते खोजने भी आरम्भ कर दिए होंगें :)
ReplyDeleteये विवेक जी हर जगह अपने मतलब का कुछ न कुछ जरूर खोज लेते है :)
@major gautam
ReplyDeleteoffice kae samay par pratyaksh yaa apratyaksh rup sae kisi bhi post kaa aanaa
yaani pehli galti
wo psot jis blog par aayee agar us par vigyapan haen jinsae dhan milsaktaa haen
dusri galti
aur agar wo dhan koi videshi company dae rahee haen
yanni teesri badii aur bhayankar galti
जो डर गया
ReplyDeleteसो मर गया
जिसकी टिप्पणी आनी चाहिए
वो किधर गया
या
पास से चुपचाप
गुजर गया।
मैंने बहुत सारे
नियुक्ति पत्र छान मारे
कहीं पर भी
ब्लॉगिंग निषेध लिखा नहीं मिला
।
HMMM... Some thing informative and i am sure most of us will not be able to digest it. BTW not only government concerns but also public and private sector companies do not allow use of office resources for personal usages. Companies like Infosys, TCS, Wipro and many more have well defined policies on their intranet and when an employee is hired, that person is undergone an induction to understand such policies...
ReplyDeleteAs far as Hindi Blogging is concerned these days people taking it as prestige issue... I feel so... NOM...
Anyways keep posting informative stuff...
वाह.....
ReplyDeleteखूब लपेटा है.....
शुभकामनाएँ!