कल की पोस्ट पर एक कमेन्ट मे बताया गया हैं की किसी भी अपोईंटमेंट लैटर मे ब्लोगिंग सम्बंधित कोई बात नहीं लिखी होती हैं । मेरी पोस्ट मे ब्लोगिंग की बात नहीं हां उस से हो रही आय की बात की गयी हैं और ऑफिस के समय मे हो रहे उस काम की बात की गयी थी जो ऑफिस का नहीं हैं ।
हिंदी लिखने और उसको आगे ले जाने के लिये क्या आप कोई भी ऐसा कार्य करगे जो गैर कानूनी हैं जो आपके देश की संपदा को नष्ट कर रहा हैं ।
ज़रा ध्यान से देखे इस हिंदी ब्लॉग जगत मे जो हिंदी प्रेमी विदेश मे बस गए हैं वो कब और कितनी पोस्ट पब्लिश करते हैं । वो कब टिपण्णी देते हैं । क्या वो अपने दफ्तर के संसाधन का प्रयोग करते हैं हिंदी को आगे बढ़ने के लिये । वो जिस देश मे रहते हैं उस देश की तरक्की के लिये काम करते हैं और उस देश के कानून को मानते हैं ।
इस वर्ष के नोबल प्राइज़ विजेता वेंकटरमण रामकृष्णन का कहना हैं की उनको इतनी ईमेल भारत से आयी हैं की उनका ईमेल बॉक्स बंद होगया और काम की बहुत सी मेल वो नहीं देख पाये ।
ये शायद केवल हमारे देश मे ही होता हैं की हम अपने ज़मीर को नहीं दूसरो के ज़मीर को जगाते हैं । अपने घर मे नहीं दूसरो के घरो मे झांकते हैं । सही का साथ ना देकर "बहुमत" का साथ देते हैं ।
इस ब्लॉग का नाम बदल गया हैं क्युकी और कुछ नहीं बदल सकता हैं पर ब्लॉग का नाम बदलना तो अपने हाथ मे हैं । सच हमेशा सच ही होता हैं और सच को कोई अनावृत नहीं कर सकता क्युकी सच को किसी भी आवरण की जरुरत नहीं होती ।
और बिना लाग लपेट के जो कहा जाए सच वही हैं ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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